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हरियाणा में कांग्रेस की हार, क्या फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ला पाएगी बदलाव?
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- अश्विनी कुमार -
चंडीगढ़। हरियाणा में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार ने पार्टी के भीतर हलचल मचा दी है। चुनाव नतीजों ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की टेंशन बढ़ा दी है, जिसके चलते अब पार्टी का शीर्ष नेतृत्व हरकत में आ गया है।
चुनाव नतीजों में करारी हार के कारणों का विश्लेषण करने और आगे की रणनीति तय करने के लिए अब से कुछ ही देर में दिल्ली में कांग्रेस फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में हरियाणा कांग्रेस के प्रमुख नेता भी शामिल होंगे।
भूपेश बघेल करेंगे नेतृत्वः
इस बैठक का नेतृत्व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल करेंगे। संगठनात्मक दक्षता और गहरी राजनीतिक समझ के लिए जाने जाने वाले बघेल पार्टी की मौजूदा स्थिति पर चर्चा करेंगे और हार के प्रमुख कारणों को जानने की कोशिश करेंगे। कांग्रेस के लिए यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पिछले काफी समय से पार्टी के लगातार खराब प्रदर्शन से खफा है। लेकिन इस बैठक के जरिए पार्टी आने वाले समय में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाना चाहती है।
हरियाणा के प्रमुख नेता होंगे शामिलः
बैठक में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष उदय भान, कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला के अलावा हरियाणा कांग्रेस से जुड़े सभी वरिष्ठ नेता, सांसद और विधायक बैठक में शामिल होंगे। इस दौरान नेताओं से फीडबैक लिया जाएगा और क्षेत्रीय मुद्दों, संगठनात्मक कमजोरियों और प्रचार में खामियों पर चर्चा की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक हार के पीछे गुटबाजी, कमजोर रणनीति और स्थानीय मुद्दों की अनदेखी जैसे कारकों को मुख्य कारण माना जा रहा है।
कांग्रेस की चुनौतीः
हरियाणा में पार्टी की लगातार हार ने पार्टी के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों ने एक बार फिर पार्टी के सामने सवालों की झड़ी लगा दी है। इन नतीजों ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या कांग्रेस जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ खो रही है। खासकर हरियाणा में, जहां किसान आंदोलन के बाद पार्टी से मजबूत पकड़ बनाने की उम्मीद थी, वहां चुनावी प्रदर्शन ने नेतृत्व को निराश किया है।
बैठक का एजेंडाः
बैठक में वैसे तो कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है, लेकिन चुनावी रणनीति की समीक्षा के तहत इस बात पर भी चर्चा होगी कि प्रचार अभियान में कहां कमी रह गई? गुटबाजी पर नियंत्रण: पार्टी के भीतर एकजुटता लाने के लिए क्या कदम उठाए जाएं? स्थानीय मुद्दों पर फोकस: मतदाताओं से जुड़ने के लिए क्या नीतियां अपनाई जाएं?
युवाओं की भागीदारी:
पार्टी के युवा चेहरे किस तरह मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं? आगे की राहः बैठक से जो भी निष्कर्ष निकलेगा, वह कांग्रेस की आगामी रणनीतियों को आकार देगा। पार्टी के पास समय कम है, क्योंकि एक बार फिर कई राज्यों के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।
ऐसे में कांग्रेस के लिए अपनी गलतियों से सीख लेकर संगठन को मजबूत करना जरूरी हो गया है। इस बैठक के नतीजे न सिर्फ कांग्रेस के भविष्य को प्रभावित करेंगे, बल्कि यह भी तय करेंगे कि पार्टी किस तरह खुद को एक प्रभावी विपक्ष के तौर पर स्थापित कर पाती है। अब देखना यह है कि यह मंथन कांग्रेस को नई दिशा देता है या नहीं।
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