खनन माफिया, नेता और अफसरों की जुगलबंदी : 50 करोड़ से बड़ा घोटाला!

बिजोलिया क्षेत्र के नया नगर में पिछले पांच वर्षों से चल रहे अवैध खनन का खुलासा हुआ है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जा रहा है। खनिज विभाग पेनल्टी लगाकर इस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे राजनेताओं और अफसरशाही के गठजोड़ की सच्चाई सामने आ गई है।
सूत्रों के अनुसार, 100 बीघा से भी अधिक सरकारी भूमि पर माफिया धड़ल्ले से अवैध खनन कर 50 करोड़ रुपये से अधिक का बेशकीमती सैंड स्टोन बेच चुके हैं। लेकिन खनिज विभाग पांच सालों तक मूकदर्शक बना रहा। जब शिकायतें हुईं, तो दबाने का पूरा प्रयास किया गया।
जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, वे प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार की गहरी साजिश को उजागर करते हैं। इस अवैध खनन में एक पूर्व मंत्री समेत अन्य राजनीतिज्ञ और उनके करीबी, विभाग के अफसर शामिल बताए जा रहे हैं। आराजी संख्या 186 सहित कई अन्य भूखंडों पर लंबे समय से अवैध खनन जारी था।
कार्रवाई सिर्फ दिखावा, आरोपियों को बचाने की कोशिश
जैसे ही इस मामले ने तूल पकड़ा, गुरुवार को खनिज विभाग ने दबाव में आकर अवैध खनन के लिए इस्तेमाल हो रहे डंपर, लोडर, ट्रैक्टर-कंप्रेशर सहित कई वाहनों को जब्त किया। लेकिन असली अपराधियों पर शिकंजा कसने के बजाय मामूली पेनल्टी लगाकर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की गई।
बड़े मगरमच्छों पर कब गिरेगी गाज?
यह मामला सिर्फ खनन घोटाले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकारी तंत्र की विफलता और भ्रष्ट तंत्र की ताकत को भी दर्शाता है। सवाल यह उठता है कि क्या खनिज विभाग, प्रशासन और सरकार की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार अब भी जारी रहेगा? या फिर सरकार इस मामले में निष्पक्ष जांच कर बड़े मगरमच्छों पर भी गाज गिराएगी?
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या प्रशासन वाकई दोषियों पर सख्त कार्रवाई करता है या फिर राजनीतिक रसूख और अफसरशाही की गठजोड़ इस घोटाले को भी फाइलों में दफना देगा।
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