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मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी "शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह पुरस्कार" से सम्मानित

श्री गुरु तेग बहादुर जी ने मानवता की रक्षा और धर्म की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्योछावर किए
नायब सिंह सैनी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत के इतिहास में श्री गुरु तेग बहादुर जी, एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने मानवता की रक्षा और धर्म की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए। जिस समय भारत में औरंगजेब का शासन था और हालात इतने नाजुक थे कि गुरु गद्दी पर बैठना शहंशाह से शत्रुता मोल लेना था। ऐसे संकट के समय में श्री गुरु तेग बहादुर जी ने निर्भीकता का परिचय देते हुए गुरु पद पर सेवा करना स्वीकार किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब औरंगजेब अपने ज़ोर-जुल्म के बल पर हिंदुओं को मुसलमान बनाने पर तुला था। उसने हिंदुओं के मंदिर ध्वस्त कर देने के आदेश जारी किए और नए मंदिरों के निर्माण पर पाबंदी लगा दी। जब कश्मीरी पंडितों को इस अन्याय का सामना करना पड़ा तो वे अपने धर्म की रक्षा के लिए श्री गुरु तेग बहादुर जी की शरण में आए। उनकी व्यथा सुनकर गुरु जी ने कहा कि यदि कोई महापुरुष अपना बलिदान दे तभी आपका धर्म बच सकता है। यह सुनकर 9 वर्ष के बालक गोबिंद राय (श्री गुरु गोबिंद सिंह जी) ने कहा कि ‘पिता जी, आपसे बड़ा महापुरुष और कौन हो सकता है। आप अपना ही बलिदान क्यों नहीं देते।
नायब सिंह सैनी ने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी ने अपने पुत्र की बात सुनकर पंडितों से कहा कि जाओ औरंगजेब से कह दो कि, ‘यदि गुरु तेग बहादुर इस्लाम स्वीकार कर लें तो हम सब स्वतः ही इस्लाम स्वीकार कर लेंगे’। हिंदू धर्म की रक्षा के लिए 11 नवम्बर, 1675 को श्री गुरु तेग बहादुर जी ने अपना शीश कुर्बान कर दिया। उन्होंने शीश दे दिया पर धर्म नहीं छोड़ा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक में श्री गुरु तेग बहादुर जी का शीश कलम करवा दिया था तो भाई जैता ने उनके शीश को श्री आनन्दपुर साहिब ले जाने का संकल्प लिया। जब मुगल सेना भाई जैता का पीछा कर रही थी तो उन्हें जिला सोनीपत के बढ़खालसा गांव में कुशाल नाम का एक गुरु शिष्य मिला। उसने भाई जैता को कहा कि मेरी शक्ल गुरु जी से मिलती है। इसलिए आप मेरा शीश उतारकर मुगल सेना को सौंप दें। इस तरह कुशाल ने अपना शीश कलम करवा दिया और भाई जैता गुरु जी का शीश श्री आनन्दपुर साहिब ले जाने में सफल हुए।
प्रधानमंत्री की पहल पर साहिबजादों की वीरता और बलिदान की स्मृति में प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है ‘वीर बाल दिवस’
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश वर्ष को देशभर में मनाया गया। श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व पर उनकी स्मृति में डाक टिकट और एक सिक्का भी जारी किया गया। प्रधानमंत्री ने दशम पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों जोरावर सिंह और फतेह सिंह के शहीदी दिवस को हर वर्ष ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
हरियाणा की पावन धरा से सभी सिख गुरुओं का रहा गहरा नाता
नायब सिंह सैनी ने कहा कि प्रथम पातशाह श्री गुरु नानक देव जी से लेकर दशम पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी तक, सभी सिख गुरुओं ने हमें सेवा, समानता और साहस की शिक्षा दी। हरियाणा की पावन धरा से सभी सिख गुरुओं का गहरा सम्बन्ध रहा है। जहां-जहां वे पधारे, ऐसे 30 से अधिक स्थानों पर उनकी याद में गुरुघर स्थापित हैं। उन्होंने कहा कि गुरु परंपरा से प्रेरित होकर हरियाणा सरकार सेवा भाव से सर्वसमाज के कल्याण के कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में भी श्री गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का 350वां प्रकाश पर्व भव्य तरीके से मनाया गया। हर कदम पर हमारी डबल इंजन सरकार ने श्रद्धा और सम्मान के साथ काम किया है। उन्होंने कहा कि दिसम्बर, 2022 में हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति की स्थापना की गई। इससे सिखों की काफी समय से चली आ रही मांग को पूरा किया। इससे हरियाणा में सिख समुदाय को स्वायत्तता मिली है। सिरसा स्थित गुरुद्वारा श्री चिल्ला साहिब को 27 जून, 2024 को 70 कनाल भूमि स्थानांतरित करने का फैसला लिया गया और इसे गुरुद्वारा साहिब को दे दिया गया। यमुनानगर में बनने वाले मेडिकल कॉलेज का नाम हिन्द की चादर श्री गुरु तेग बहादुर सिंह जी के नाम पर रखा गया है। असंध के कॉलेज का नाम श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के छोटे बेटे बाबा फतेह सिंह जी के नाम पर रखा गया है। लखनौर साहिब में माता गुजरी के नाम से वी.एल.डी.ए. कॉलेज स्थापित किया गया है। श्री हजूर साहिब गुरुद्वारा, श्री ननकाना साहिब, श्री हेमकुंड साहिब व श्री पटना साहिब जाने वाले प्रदेश के तीर्थ यात्रियों को वित्तीय मदद उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ‘स्वर्ण जयंती गुरु दर्शन यात्रा योजना’ शुरू की गई है।
उन्होंने कहा कि आज जब हम विज्ञान, तकनीक, सोशल मीडिया, एआई के युग में जी रहे हैं, तब श्री गुरु तेग बहादुर जी जैसे महापुरुषों के उपदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। यह पुस्तक भी आने वाली पीढ़ियों को हिंद की चादर श्री गुरु तेग बहादुर जी के उन महान आदर्शों व सिद्धांतों की याद दिलाती रहेगी और उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती रहेगी।
इस अवसर पर गोस्वामी सुशील महाराज, नाभा की महारानी उमा सिंह, मुख्यमंत्री के ओएसडी वीरेंद्र बड़खलसा, कुलवंत सिंह धालीवाल और ग्लोबल पंजाब एसोसिएशन के पदाधिकारी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
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