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कई इलाकों में 40 साल बाद पहुंचा नहरी पानी, सिंचाई के लिए नहरों में लगाएंगे फाटकः मीत हेयर

रूप नगर। राज्य में बाढ़ रोकथाम कामों के लिए 99.33 करोड़ रुपए रखे हैं। यह काम 30 जून तक हर सूरत में मुकम्मल होंगे। यह बात जल स्रोत मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने बुधवार को रोपड़ हैड वर्कस में सिंचाई प्रोजेक्टों का निरीक्षण करने के लिए किए औचक दौरे के मौके पर कही।
मीत हेयर ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से सिंचाई के लिए जहां नहरी नेटवर्क को मज़बूत किया जा रहा है। बारिशों के सीजन के दौरान संभावित बाढ़ों की स्थिति से निपटने के लिए भी अभी से कमर कस ली है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान बाढ़ों के लिए रखे कुल 99.33 करोड़ रुपए में से जहां 79.33 करोड़ रुपए बाढ़ सुरक्षा कामों पर ख़र्चे किये जा रहे हैं। वहीं, बाढ़ सीजन के दौरान किसी भी असुखद स्थिति से निपटने के लिए 20 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि अलग तौर पर रखी गई है। इसी तरह अंतरराष्ट्रीय सरहदी सुरक्षा विभाग राज्य के फंडों में से सतलुज, ब्यास और रावी नदियों के साथ लगते बीओपी की सुरक्षा के लिए काम कर रहा है।
उन्होंने निर्देश दिए कि ज़मीनी स्तर पर फंडों का पारदर्शी तरीके से सही प्रयोग किया जाए। इस मामले में लापरवाही बरतने वालों के खि़लाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी। यह पहली बार हुआ है किसी नहर या दरिया के फाटकों को आटोमैटिक किया गया है। इसके अलावा पुल पर सकाडा सिस्टम लगाया गया हो। इससे नहर में छोड़े गए पानी की सही मात्रा नापी जाएगी कि नहर के पुल पर स्थापित अलग-अलग फाटकों से कितना पानी छोड़ा जा रहा है। इसका मंतव्य नहरों के पानी को अधिक से अधिक सुरक्षित करके ज़रूरत अनुसार सही स्थानों पर सिंचाई के लिए पहुंचाना है।
इसी तरह चक्क ढेरा गाँव के नजदीक सतलुज दरिया पर 15.41 लाख रुपए की लागत के साथ स्टड (पत्थरों का बाँध) बनाया गया। जिससे किनारे नहीं कटेंगे और आसपास के रिहायशी क्षेत्र और कृषि ज़मीन का बाढ़ों से बचाव होगा। मीत हेयर ने रोपड़ हैड वर्कस में पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत करते हुए बताया कि रोपड़ जिले में 2.29 करोड़ रुपए की लागत से बाढ़ सुरक्षा के काम किए जाएंगे। आईआईटी रोपड़ के साथ लगते क्षेत्रों में बाढ़ सुरक्षा के काम किए जा रहे हैं। जिससे दोबारा बाढ़ के मौके पर मुश्किलें पेश न आएं।
इसी तरह जिले के गाँव पलसरी, जींदवाली और गाँव आसरापुर में बाढ़ रोकथाम के काम किए जा रहे हैं। नांगल से रोपड़ तक अलग-अलग ड्रेनों और चोओं की सफ़ाई की जा रही है। इसी तरह धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता रखते चरण गंगा चोअ की क्षमता को बहाल करने और धार्मिक श्रद्धालुओं के यातायात के लिए पैदल मार्ग बनाने का प्रस्ताव है। चोअ में गन्दगी और कूड़ा-कर्कट फेंकने के कारण यह पिछले साल से पूरी तरह अनुपयोगी पड़ा हुआ है।
मीत हेयर ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान की दूरदर्शी सोच स्वरूप राज्य के कई इलाकों में 40 साल के बाद नहरी पानी पहुँचा है। राज्य सरकार की तरफ से व्यापक स्तर पर भूजल को बचाने के लिए यत्न किये जा रहे हैं और इस मकसद से ही नहरों और दरियाओं पर फाटकों को आटोमैटिक किया जा रहा है। राज्य में सिंचाई के लिए भूमिगत पाईपें स्थापित की जा रही हैं।
मीत हेयर ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से सिंचाई के लिए जहां नहरी नेटवर्क को मज़बूत किया जा रहा है। बारिशों के सीजन के दौरान संभावित बाढ़ों की स्थिति से निपटने के लिए भी अभी से कमर कस ली है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान बाढ़ों के लिए रखे कुल 99.33 करोड़ रुपए में से जहां 79.33 करोड़ रुपए बाढ़ सुरक्षा कामों पर ख़र्चे किये जा रहे हैं। वहीं, बाढ़ सीजन के दौरान किसी भी असुखद स्थिति से निपटने के लिए 20 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि अलग तौर पर रखी गई है। इसी तरह अंतरराष्ट्रीय सरहदी सुरक्षा विभाग राज्य के फंडों में से सतलुज, ब्यास और रावी नदियों के साथ लगते बीओपी की सुरक्षा के लिए काम कर रहा है।
उन्होंने निर्देश दिए कि ज़मीनी स्तर पर फंडों का पारदर्शी तरीके से सही प्रयोग किया जाए। इस मामले में लापरवाही बरतने वालों के खि़लाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी। यह पहली बार हुआ है किसी नहर या दरिया के फाटकों को आटोमैटिक किया गया है। इसके अलावा पुल पर सकाडा सिस्टम लगाया गया हो। इससे नहर में छोड़े गए पानी की सही मात्रा नापी जाएगी कि नहर के पुल पर स्थापित अलग-अलग फाटकों से कितना पानी छोड़ा जा रहा है। इसका मंतव्य नहरों के पानी को अधिक से अधिक सुरक्षित करके ज़रूरत अनुसार सही स्थानों पर सिंचाई के लिए पहुंचाना है।
इसी तरह चक्क ढेरा गाँव के नजदीक सतलुज दरिया पर 15.41 लाख रुपए की लागत के साथ स्टड (पत्थरों का बाँध) बनाया गया। जिससे किनारे नहीं कटेंगे और आसपास के रिहायशी क्षेत्र और कृषि ज़मीन का बाढ़ों से बचाव होगा। मीत हेयर ने रोपड़ हैड वर्कस में पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत करते हुए बताया कि रोपड़ जिले में 2.29 करोड़ रुपए की लागत से बाढ़ सुरक्षा के काम किए जाएंगे। आईआईटी रोपड़ के साथ लगते क्षेत्रों में बाढ़ सुरक्षा के काम किए जा रहे हैं। जिससे दोबारा बाढ़ के मौके पर मुश्किलें पेश न आएं।
इसी तरह जिले के गाँव पलसरी, जींदवाली और गाँव आसरापुर में बाढ़ रोकथाम के काम किए जा रहे हैं। नांगल से रोपड़ तक अलग-अलग ड्रेनों और चोओं की सफ़ाई की जा रही है। इसी तरह धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता रखते चरण गंगा चोअ की क्षमता को बहाल करने और धार्मिक श्रद्धालुओं के यातायात के लिए पैदल मार्ग बनाने का प्रस्ताव है। चोअ में गन्दगी और कूड़ा-कर्कट फेंकने के कारण यह पिछले साल से पूरी तरह अनुपयोगी पड़ा हुआ है।
मीत हेयर ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान की दूरदर्शी सोच स्वरूप राज्य के कई इलाकों में 40 साल के बाद नहरी पानी पहुँचा है। राज्य सरकार की तरफ से व्यापक स्तर पर भूजल को बचाने के लिए यत्न किये जा रहे हैं और इस मकसद से ही नहरों और दरियाओं पर फाटकों को आटोमैटिक किया जा रहा है। राज्य में सिंचाई के लिए भूमिगत पाईपें स्थापित की जा रही हैं।
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