Bundi District Judge gave orders to suspend many police personnel including Raithal police station in-charge Babulal, also asked to take action against Tehsilda-m.khaskhabar.com
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Oct 16, 2024 5:55 am
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बूंदी के जिला जज ने दिए रायथल थाना प्रभारी बाबूलाल समेत कई पुलिस कर्मियों को सस्पेंड करने के आदेश, तहसीलदार पर भी कार्रवाई करने को कहा

khaskhabar.com : शनिवार, 03 फ़रवरी 2024 4:31 PM (IST)
बूंदी के जिला जज ने दिए रायथल थाना प्रभारी बाबूलाल समेत कई पुलिस कर्मियों को सस्पेंड करने के आदेश, तहसीलदार पर भी कार्रवाई करने को कहा
बूंदी। जिला जज दिनेश कुमार गुप्ता ने एक फैसले में रायथल के थाना प्रभारी बाबू लाल और कई अन्य पुलिस कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड अथवा लाइन हाजिर करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही कार्यपालक मजिस्ट्रेट एवं तहसीलदार के खिलाफ भी अनुशासात्मक कार्रवाई करते हुए सरकार को उचित निर्णय लेने को कहा है। इतना ही नहीं की गई कार्रवाई की कॉपी संबंधित जिला कलेक्टर को भेजते हुए कोर्ट को भी कार्यवाही से अवगत कराने को कहा है। इसके साथ ही जिला जज ने प्रार्थी रमेशचंद की निगरानी आंशिक रूप से स्वीकार कर ली।

दरअसल, होटल का छज्जा निकालने को लेकर हुए मारपीट एवं झगड़े के मामले में थाना प्रभारी ने दोनों पक्षों के 6 लोगों को गिरफ्तार कर तहसीलदार की कोर्ट में पेश किया था। थाना प्रभारी के इस्तगासे के आधार पर रायथल तहसीलदार एवं कार्यपालक मजिस्ट्रेट ने 10 दिसंबर, 2023 को मौखिक आदेश से निगरानीकर्ता के साथ 3 अन्य लोगों को धारा 107, 151 के मामले में 20-20 हजार के जमानत मुचलके पर 6 माह के लिए पाबंद किया था। इनमेें से रमेशचंद ने इस आदेश के खिलाफ जिला जज के यहां निगरानी याचिका पेश की थी।
मामले की सुनवाई के दौरान निगराकार एवं वकील रमेश चंद ने कहा कि वह 9 दिसंबर, 2023 को अपने पक्षकार बनवारी लाल के साथ विवादित स्थल का मौका देखने गया था। उसी समय उसके पक्षकार को थाने पर बुला लिया गया। जब वह पक्षकार के साथ थाने पर पहुंचा तो एसएचओ ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया। कार्यपालक मजिस्ट्रेट ने अपने विवेक का इस्तेमाल किए बिना छपे-छपाए फार्म में मशीनीकृत तौर पर पाबंद करने का आदेश पारी कर दिया। यह सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की गाइडलाइन और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। उसे भी सुनवाई का अवसर मिलना चाहिए था।
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद जिला जज दिनेश कुमार गुप्ता ने माना कि घटनाक्रम के संबंध में थाने पर दर्ज एफआईआर में थाने पर सूचना प्राप्त हुए कॉलम में तारीख 10 दिसंबर, 2023 और समय 14.20 बजे अंकित है। यह दर्शाता है कि इस मामले में अपेक्षित कार्यवाही के 24 घंटे बाद एफआईआर दर्ज की गई है, जो थाना प्रभारी बाबूलाल की मनमानी को दर्शाता है।
कोर्ट ने माना कि दूसरे पक्ष की लिखित रिपोर्ट में भी निगरानीकार वकील रमेशचंद को मारपीट एवं गाली-गलौच की घटना में लिप्त होने को लेकर नामजद नहीं किया है। इसके बावजूद जांच के नाम पर बयानों के आधार पर रमेशचंद को इस प्रकरण में लिप्त मान लिया गया। इससे लगता है कि वकील की गिरफ्तारी के बाद दूसरे पक्ष के प्रार्थी बलराम का बयान बैक डेट में लिखा गया है, जो गलत है।
कोर्ट ने इस मामले में थाना प्रभारी और संबंधित तहसीलदार की मिलीभगत की आशंका जताते हुए इस प्रकरण की एडीएम स्तर के अधिकारी से जांच कराए जाने की भी जरूरत बताई है। इस मामले में निगरानीकार रमेशचंद की ओऱ से वकील मनीष गौतम और दूसरे पक्ष की ओऱ से विशेष लोक अभियोजक योगेश यादव ने पैरवी की।

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