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बुंदेलखंड : बालू का अवैध खनन बदस्तूर जारी, सरकार बदलने पर गोरखधंधे में नहीं आया बदलाव!

बांदा। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में बालू का अवैध खनन कोई नई बात नहीं है। बसपा और सपा की सरकारों के दौरान माफिया चोरी-छिपे खनन करते रहे हैं। लेकिन राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद भी बालू के इस गोरखधंधे में कोई बदलाव नहीं अया है। अब तो दिन के उजाले में भी खनन हो रहा है। अधिकारी अवैध खनन रोकने में खुद को असहाय पा रहे हैं।
बालू का अवैध खनन और परिवहन बुंदेलखंड के सभी सात जिलों में चरम पर है। लेकिन बानगी के तौर पर बांदा जिले की नरैनी कोतवाली क्षेत्र से महज आठ किलोमीटर दूर मोतियारी-राजापुर और मुगौरा गांव से बह रही बागै नदी में जिस तरह दिन-रात बालू का अवैध खनन किया जा रहा है, उससे अवैध बालू खनन की गंभीरता को समझा जा सकता है। मोतियारी, राजापुर, मुगौरा खनिज विभाग से चिन्हित वैध खनन क्षेत्र नहीं हैं।
लेकिन यहां जिस कदर बालू के डंप और उसका परिवहन करते ट्रैक्टर-ट्रॉली और डग्गी (मिनी ट्रक) फर्राटा भरते नजर आ रहे हैं, उससे नहीं लगता कि यहां अवैध खनन हो रहा है। राजापुर गांव के निवासी बिंदा दीक्षित ने सोमवार को कहा कि बागै नदी में शाम चार बजे से सुबह 10 बजे तक सात ट्रैक्टर और तीन डग्गी बालू खनन और परिवहन में जुटे रहते हैं। ये सभी ट्रैक्टर बेलापुरवा, मुर्दी पुरवा और मोतियारी गांव के हैं। तीन डग्गी नरैनी कस्बे से आते हैं।
दीक्षित ने कहा कि खनन का विरोध किए जाने पर ग्रामीणों को पुलिस से परेशान करवाया जाता है। इस ग्रामीण ने यह भी बताया कि जंगल में पांच जगह बालू डंप है। बागै नदी के गोरदहा घाट में बने रपटे में दो ट्रैक्टर शाम से ही नौगवां गांव का बालू इस पार लाने में लग जाते हैं।
फिर यहां से उस बालू का परिवहन किया जाता है। इस कारोबार में लगे एक व्यक्ति ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि नरैनी कोतवाली में तैनात महेंद्र नामक सिपाही के पास 15 दिनों के 15 हजार रुपये प्रति ट्रैक्टर-ट्रॉली जमा होता है। एक ट्रैक्टर-ट्रॉली विधायक के रिश्तेदार का है। पुलिस उससे पैसा नहीं लेती।
बालू का अवैध खनन और परिवहन बुंदेलखंड के सभी सात जिलों में चरम पर है। लेकिन बानगी के तौर पर बांदा जिले की नरैनी कोतवाली क्षेत्र से महज आठ किलोमीटर दूर मोतियारी-राजापुर और मुगौरा गांव से बह रही बागै नदी में जिस तरह दिन-रात बालू का अवैध खनन किया जा रहा है, उससे अवैध बालू खनन की गंभीरता को समझा जा सकता है। मोतियारी, राजापुर, मुगौरा खनिज विभाग से चिन्हित वैध खनन क्षेत्र नहीं हैं।
लेकिन यहां जिस कदर बालू के डंप और उसका परिवहन करते ट्रैक्टर-ट्रॉली और डग्गी (मिनी ट्रक) फर्राटा भरते नजर आ रहे हैं, उससे नहीं लगता कि यहां अवैध खनन हो रहा है। राजापुर गांव के निवासी बिंदा दीक्षित ने सोमवार को कहा कि बागै नदी में शाम चार बजे से सुबह 10 बजे तक सात ट्रैक्टर और तीन डग्गी बालू खनन और परिवहन में जुटे रहते हैं। ये सभी ट्रैक्टर बेलापुरवा, मुर्दी पुरवा और मोतियारी गांव के हैं। तीन डग्गी नरैनी कस्बे से आते हैं।
दीक्षित ने कहा कि खनन का विरोध किए जाने पर ग्रामीणों को पुलिस से परेशान करवाया जाता है। इस ग्रामीण ने यह भी बताया कि जंगल में पांच जगह बालू डंप है। बागै नदी के गोरदहा घाट में बने रपटे में दो ट्रैक्टर शाम से ही नौगवां गांव का बालू इस पार लाने में लग जाते हैं।
फिर यहां से उस बालू का परिवहन किया जाता है। इस कारोबार में लगे एक व्यक्ति ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि नरैनी कोतवाली में तैनात महेंद्र नामक सिपाही के पास 15 दिनों के 15 हजार रुपये प्रति ट्रैक्टर-ट्रॉली जमा होता है। एक ट्रैक्टर-ट्रॉली विधायक के रिश्तेदार का है। पुलिस उससे पैसा नहीं लेती।
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