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मौत का शॉर्टकटः चंबल नदी पार करते डूबे मध्य प्रदेश के 7 श्रद्धालु, 2 जनों की मौत

करौली। समय बचाने के लिए शॉर्टकट रास्ता अपनाना मध्य प्रदेश के श्रद्धालुओं को काफी महंगा पड़ गया। शिवपुरी से पैदल कैलादेवी दर्शन करने आ रहे 17 यात्रियों ने पैदल ही चंबल नदी पार करने का फैसला किया। इनमें 7 लोग डूब गए। जबकि बाकी लोग सुरक्षित निकल आए। डूबे हुए लोगों में कल्लो देवी कुशवाह (40) और देवकी नंदन कुशवाह की मौत हो गई। दोनों के शव मध्य प्रदेश सीमा के किनारे मिले। जबकि 5 अन्य लोग अभी भी लापता हैं।
इससे पहले हादसे की सूचना मिलते ही ग्रामीण और गोताखोर, एसडीआरएफ की मदद से 8 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। राजस्थान और मध्यप्रदेश में खबर फैलने से लोगों की भीड़ जमा हो गई। करौली जिला कलेक्टर अंकित कुमार और पुलिस अधीक्षक नारायण टोगस ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। पंचायतीराज मंत्री रमेशचंद मीना ने जिला कलेक्टर से जानकारी लेकर बचाव कार्य तेज कराया। यह दुर्घटना करौली जिले के मंडरायल थाना क्षेत्र के रोधई गांव स्थित चंबल घाट पर हुई है।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के चिलोद गांव से श्रद्धालुओं का एक जत्था 4 दिन पहले घर से पैदल रवाना हुआ था। यह जत्था पहली बार कैलादेवी के दर्शन करने इस रास्ते से आ रहा था। इसमें 7 महिला, 9 पुरूष और 1 दस साल के बालक सहित 17 लोग थे। श्रद्धालु शनिवार सुबह करीब 9 बजे इस घाट पर नाव-स्टीमर नहीं होने से फेरा बचाने के चक्कर में एमपी सीमा से पैदल ही चंबल को पार कर रहे थे। वे रोधई घाट होते हुए कैलादेवी जा रहे थे। इस दौरान सभी एक-दूसरे का हाथ थामे हुए नदी में प्रवेश कर गए। बीच मझधार में पहुंचते ही पानी का बहाव अधिक होने से एक-एक करके सभी लोग डूबते गए। हालांकि सभी ने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर बचाने का प्रयास भी किया। लेकिन, कुछ लोग बह गए।
गांव के युवकों ने बचाए 10 श्रद्धालुः
इधऱ, चीख-पुकार सुनते ही रोधई गांव के दो साहसी युवक नंगे पाव ही श्रद्धालुओं को बचाने दौड़ पड़े। दोनों युवकों ने बीच मझधार में से एक-एक कर 10 श्रद्धालुओं को बचा लिया। लेकिन 3 महिला एवं 1 पुरुष और एक 10 बर्षीय बालक का कोई सुराग नहीं लगा है।
इसलिए अपनाया शॉर्टकट रास्ताः
श्रद्धालु अगर मंडरायल होते हुए पैदल कैलादेवी जाते तो दो दिन का समय लगता। लेकिन, समय बचाने के चक्कर में जत्थे के लोगों ने चंबल का रास्ता चुना। पैदल का चंबल से रास्ता केबल 7-8 घंटे का है। इसीलिए चंबल को पैदल पार करके निकल रहे थे। एमपी सीमा के घाट पर दो मछुआरों से श्रद्धालुओं ने चंबल पार करने के लिए कम पानी का रास्ता पूछा था। मछुआरों ने जो रास्ता बताया उस रास्ते को वे भटक गए।
ये श्रद्धालु हैं अभी भी लापताः
खबर लिखे जाने तक जिन श्रद्धालुओं का पता नहीं चला था। उनमें मध्यप्रदेश में शिवपुरी जिले के चिलोद गांव निवासी रश्मी देवी (20), रूकमणी देवी (25), अलोपा देवी (35), बृजमोहन (19), लवकुश कुमार कुशवाह (10) लापता हैं।
इससे पहले हादसे की सूचना मिलते ही ग्रामीण और गोताखोर, एसडीआरएफ की मदद से 8 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। राजस्थान और मध्यप्रदेश में खबर फैलने से लोगों की भीड़ जमा हो गई। करौली जिला कलेक्टर अंकित कुमार और पुलिस अधीक्षक नारायण टोगस ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। पंचायतीराज मंत्री रमेशचंद मीना ने जिला कलेक्टर से जानकारी लेकर बचाव कार्य तेज कराया। यह दुर्घटना करौली जिले के मंडरायल थाना क्षेत्र के रोधई गांव स्थित चंबल घाट पर हुई है।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के चिलोद गांव से श्रद्धालुओं का एक जत्था 4 दिन पहले घर से पैदल रवाना हुआ था। यह जत्था पहली बार कैलादेवी के दर्शन करने इस रास्ते से आ रहा था। इसमें 7 महिला, 9 पुरूष और 1 दस साल के बालक सहित 17 लोग थे। श्रद्धालु शनिवार सुबह करीब 9 बजे इस घाट पर नाव-स्टीमर नहीं होने से फेरा बचाने के चक्कर में एमपी सीमा से पैदल ही चंबल को पार कर रहे थे। वे रोधई घाट होते हुए कैलादेवी जा रहे थे। इस दौरान सभी एक-दूसरे का हाथ थामे हुए नदी में प्रवेश कर गए। बीच मझधार में पहुंचते ही पानी का बहाव अधिक होने से एक-एक करके सभी लोग डूबते गए। हालांकि सभी ने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर बचाने का प्रयास भी किया। लेकिन, कुछ लोग बह गए।
गांव के युवकों ने बचाए 10 श्रद्धालुः
इधऱ, चीख-पुकार सुनते ही रोधई गांव के दो साहसी युवक नंगे पाव ही श्रद्धालुओं को बचाने दौड़ पड़े। दोनों युवकों ने बीच मझधार में से एक-एक कर 10 श्रद्धालुओं को बचा लिया। लेकिन 3 महिला एवं 1 पुरुष और एक 10 बर्षीय बालक का कोई सुराग नहीं लगा है।
इसलिए अपनाया शॉर्टकट रास्ताः
श्रद्धालु अगर मंडरायल होते हुए पैदल कैलादेवी जाते तो दो दिन का समय लगता। लेकिन, समय बचाने के चक्कर में जत्थे के लोगों ने चंबल का रास्ता चुना। पैदल का चंबल से रास्ता केबल 7-8 घंटे का है। इसीलिए चंबल को पैदल पार करके निकल रहे थे। एमपी सीमा के घाट पर दो मछुआरों से श्रद्धालुओं ने चंबल पार करने के लिए कम पानी का रास्ता पूछा था। मछुआरों ने जो रास्ता बताया उस रास्ते को वे भटक गए।
ये श्रद्धालु हैं अभी भी लापताः
खबर लिखे जाने तक जिन श्रद्धालुओं का पता नहीं चला था। उनमें मध्यप्रदेश में शिवपुरी जिले के चिलोद गांव निवासी रश्मी देवी (20), रूकमणी देवी (25), अलोपा देवी (35), बृजमोहन (19), लवकुश कुमार कुशवाह (10) लापता हैं।
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