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Oct 3, 2023 5:49 am
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बिहार: मांझी अपने बूते लडेंगे चुनाव

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बिहार: मांझी अपने बूते लडेंगे चुनाव
नई दिल्ली। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने तमाम अटकलों को विराम लगाते हुए साफ कर दिया है कि बिहार में आने वाले विधानसभा चुनाव वह अपने बूते पर लडेंगे, किसी के साथ भी गठबंधन नहीं करेंगे। मांझी का शायद यह आत्मविश्वास ही है कि वह "एकला चलो" की रणनीति पर चलने की तैयारी कर रहे हैं। मांझी को लगता है कि अब वह दलितों के एक बडे नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं और उन्हें किसी को भी साथ लेने की दरकार नहीं है। दिल्ली आए जीतन राम मांझी ने बीबीसी ने बातचीत में दावा किया था कि अपने छोटे से कार्यकाल में उन्होंने जनहित के कई काम किए हैं।

मांझी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इसके बाद कयासों का दौर शुरू हो गया। राजनीतिक हलकों में मोदी और मांझी की इस मुलाकात को अलग-अलग नजरिए से देखा जा रहा है। ऎसे कयास हैं कि इस मुलाकात के बहाने बिहार में राजनीतिक रणनीति बनाई जा रही है। वहीं कुछ विश्लेषक इसे भाजपा और मांझी के बीच संभावित तालमेल के संकेत के रूप में देख रहे हैं। लेकिन जीतनराम मांझी कहते हैं, गठजोड की बात हम प्रधानमंत्री से क्यों करेंगे! लोग तो आपस में गठजोड कर ही रहे हैं, हम कोई गठजोड क्यों करेंगे! हमने इतना अच्छा काम किया है बिहार के लोगों के लिए। हम जहां जाते हैं लोग हमें अकेले में कहते हैं, चुनाव अकेले लडिए आप। किसी के साथ कोई गठजोड मत करिए, तो हम जनता की बात मानेंगे या किसी और की बात! इसीलिए हमने निर्णय लिया है कि चुनाव अकेले लडेंगे।

बता दें कि कुछ दिन पहले ही मांझी ने भाजपा पर धोखा देने का आरोप लगाया था। लेकिन बातचीत के दौरान भाजपा के प्रति उनके तेवर नरम जरूर दिखाई दिए जब उन्होंने कहा, अकेले लडेंगे और अकेले लडकर जीतेंगे भी। उस समय अगर कुछ कमी-बेशी होगी, अगर समर्थन लेने या देने की जरूरत आ पडी तो, तब देखा जाएगा। उसमें भाजपा भी शामिल है। भाजपा से भी हमें परहेज नहीं है, सिर्फ नीतीश कुमार से हमें परहेज है।

जाति की राजनीति...

मांझी को लगता है कि दलित नेता के रूप में खुद को स्थापित करना मुश्किल काम है, क्योंकि अनुसूचित जाति के नेताओं की राजनीति में भी उपेक्षा होती रही है। उनका कहना है कि इस उपेक्षा की वजह से दलित नेताओं को हमेशा से चुनौतियों का सामना करना पडता रहा है। मांझी कहते हैं, पता नहीं मायावती जी ने कौन सी राजनीति की है कि आज वह चुप हैं, और माननीय रामविलास पासवान तो सिर्फ अपनी जाति की ही राजनीति करते रहे, वह उससे आगे कभी बढ नहीं पाए। मांझी कहते हैं, मैंने तो सवणों में भी, जो दलित हैं उनकी भी बात की है। उनके लिए भी आरक्षण की हिमायत की है। दलित की राजनीति के साथ-साथ गरीब की राजनीति भी होनी चाहिए।

उनका कहना था, हम मानते हैं कि पिछडे वर्ग में भी दलित हैं। हम अल्पसंख्यकों में दलितों के बारे में भी सोचते हैं इसलिए दलित तो मेरे साथ हैं ही, मुझे अगडी जातियों और समाज के हर वर्ग के गरीबों का समर्थन मिल रहा है। बिहार में मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल की चर्चा करते हुए जीतन राम मांझी ने कहा कि इस दौरान उन्होंने जिन योजनाओं की घोषणा की थी वे सभी वगोंü के गरीबों के लिए थीं। अब नीतीश कुमार ने उन सब योजनाओं को खारिज कर दिया है। करीब 34 योजनाएं मैं गरीबों और किसानों के लिए लाना चाहता था जिसे नीतीश कुमार ने निरस्त कर दिया है। अब लोग इसका हिसाब करेंगे।

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