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वक्फ संशोधन कानून का सुप्रीम कोर्ट में बचाव करेगी भजनलाल सरकार, पक्षकार बनने की अनुमति मांगी

राज्य सरकार ने कहा है कि वह इस कानून में किए गए ऐतिहासिक और संविधान सम्मत संशोधनों का समर्थन और बचाव करना चाहती है, क्योंकि राजस्थान में भी वक्फ बोर्ड द्वारा सैकड़ों एकड़ भूमि पर दावा किया गया है। सरकार का तर्क है कि यह संशोधन सरकारी व निजी भूमि को मनमाने ढंग से वक्फ संपत्ति घोषित करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए जरूरी है।
संशोधन की प्रमुख बातें :
अब किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने से पहले 90 दिन का सार्वजनिक नोटिस जारी करना अनिवार्य होगा।
इस दौरान आमजन और संभावित प्रभावित पक्षों को आपत्ति दर्ज कराने का मौका मिलेगा।
सरकार का कहना है कि यह प्रक्रिया निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी।
राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने जानकारी दी कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दाखिल कर कहा है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25 और 26 का उल्लंघन नहीं करता।
सरकार के मुताबिक, यह संशोधन न तो धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करता है और न ही किसी समुदाय विशेष के साथ भेदभाव करता है। इसमें केवल संपत्ति के दावों और उनके वैध प्रबंधन को सुस्पष्ट और न्यायोचित ढंग से संचालित करने का प्रयास किया गया है।
व्यापक परामर्श के बाद हुआ कानून में बदलाव :
संशोधन से पहले गठित संयुक्त संसदीय समिति ने देशभर के 284 से अधिक हितधारकों, जिनमें 25 राज्य वक्फ बोर्ड, 15 राज्य सरकारें, सामाजिक संगठन और विधि विशेषज्ञ शामिल थे, उनके विचारों को शामिल कर सर्वसम्मति से समर्थन दिया।
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि उसे इस मामले में पक्षकार बनकर राज्य हितों की रक्षा का अवसर दिया जाए।
इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में होनी है, जिस पर देशभर की निगाहें टिकी हुई हैं।
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