Banswara Nuclear Power Plant: A Moments Mistake, Centuries Punishment? The Project Could Still Change!-m.khaskhabar.com
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बांसवाड़ा में परमाणु बिजलीघर : लम्हों की खता, सदियों को सज़ा? अभी भी बदल सकता है प्रोजेक्ट !

khaskhabar.com: सोमवार, 29 सितम्बर 2025 12:00 PM (IST)
बांसवाड़ा में परमाणु बिजलीघर : लम्हों की खता, सदियों को सज़ा? अभी भी बदल सकता है प्रोजेक्ट !
- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी - बांसवाड़ा। माही परियोजना पर आधारित फिल्म- माही दर्शन पर चर्चा के दौरान माही परियोजना के तत्कालीन मुख्य अभियंता डीएम सिंघवी का कहना था कि बांसवाड़ा में हाइड्रोलीक पावरहाउस के अलावा- थर्मल और परमाणु बिजलीघर की भी संभावनाएं हैं, लेकिन थर्मल पावर प्रोजेक्ट ज्यादा सुरक्षित और ज्यादा उपयुक्त साबित हो सकता है।
हाइड्रोलिक पावर हाउस के अलावा माही क्षेत्र में बिजली बनाने के तीन तरीके हो सकते हैं, एक- तापीय बिजलीघर, दो- सौर बिजलीघर और तीन- परमाणु बिजलीघर। इन तीनों का तुलनात्मक अध्ययन करें, तो बांसवाड़ा के लिए थर्मल पावर प्रोजेक्ट सबसे अच्छा है, इसमें दोहरा फायदा है- क्योंकि इसमें कोयले की जरूरत होती है, इसलिए इसके कारण कोयला ढोने के लिए बांसवाड़ा में रेल आ सकती है।
थर्मल पावर प्रोजेक्ट के नुकसान पर नजर डालें तो इसके कारण वायु प्रदूषण संभव है, लेकिन क्योंकि बांसवाड़ा घने जंगल का क्षेत्र है, इसलिए इसका कुछ खास नुकसान नहीं है। बांसवाड़ा में बरसात के मौसम को छोड़ दें तो अच्छी धूप उपलब्ध है, लिहाजा सौर बिजलीघर भी अच्छा साबित हो सकता है।
इसके नुकसान को देखें तो- सौर पैनल बहुत अधिक जगह घेरते हैं और सौर पैनल महंगे हो सकते हैं, लेकिन माही क्षेत्र में जगह की कोई कमी नहीं है, कई जगहों पर नहरो के ऊपर सौर पैनल लगाए गए है, यह प्रयोग बांसवाड़ा में भी संभव है, इसका भी दोहरा फायदा है- एक तो बिजली मिलती है और दूसरा वाष्पन की गति धीमी पड़ जाती है। नहरों के ऊपर सौर पैनल लगाना नई लोकप्रिय तकनीक है, जो जमीन का संतुलित उपयोग करती है, पानी की बर्बादी रोकती है और स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करती है।
गुजरात में पहली नहर सौर परियोजना शुरू हुई, जिसे दिल्ली, हरियाणा आदि राज्य में भी अपनाया जा रहा हैं। खास बात यह है कि इसके लिए भूमि अधिग्रहण की जरूरत नहीं पड़ती है। परमाणु बिजलीघर को तब महत्व दिया जाना चाहिए जब कोई और संभावना नही हो, यही नहीं, यह समुद्र के किनारे अपेक्षाकृत ज्यादा सही है, लेकिन बांसवाड़ा जैसे क्षेत्र के लिए तो कत्तई उपयुक्त नहीं है। अभी बांसवाड़ा के परमाणु बिजलीघर पर प्रायोगिक कार्य शुरू नहीं हुआ है, इसलिए अच्छा होगा यदि इस प्रोजेक्ट को थर्मल पावर प्रोजेक्ट में बदल दिया जाए, वरना भविष्य में लम्हों ने खता की, सदियों ने सज़ा पाई जैसी हालत हो जाएगी।

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