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Ayodhya case:वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, मुस्लिम पक्ष ने यह जमीन हिन्दुओं को देने के लिए दिया था हलफनामा
अयोध्या/नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ram Janmabhoomi-Babri Masjid dispute)पर रोजाना सुनवाई चल रही है। अब तक 9 दिन की सुनवाई पूरी हो गई है। आज दसवां दिन है। अभी तक निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के वकील अपना पक्ष अदालत में रख चुके हैं।
अपडेट....
-गोपाल सिंह विशारद के वकील राजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 1949 में मुस्लिम पार्टी ने कहा था कि वह 1935 से वहां पर नमाज नहीं पढ़ रहे हैं, ऐसे में अगर जमीन को हिंदुओं को दिया जाता है तो कोई परेशानी नहीं होगी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामे की वैधता को पूछा और पूछा कि क्या ये हलफनामे वेरिफाई हैं।
जस्टिस बोबड़े ने कहा कि ये हलफनामा तब दिया गया था जब सरकार जमीन को रिसीवर को सौंपना चाह रही थी। क्या ये बातें कभी मजिस्ट्रेट के सामने प्रूव हो पाई थी?
बुधवार शाम को सुनवाई खत्म होने से पहले गोपाल सिंह विशारद की ओर से वकील रंजीत कुमार अपनी दलीलें रख रहे थे। सुप्रीम कोर्ट में गोपाल सिंह विशारद के वकील रंजीत कुमार अपना पक्ष रख रहे हैं। उनकी ओर से 1950 में ही मुकदमा दाखिल किया गया था और उनका सूट नंबर एक है।
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-गोपाल सिंह विशारद के वकील राजीव कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 1949 में मुस्लिम पार्टी ने कहा था कि वह 1935 से वहां पर नमाज नहीं पढ़ रहे हैं, ऐसे में अगर जमीन को हिंदुओं को दिया जाता है तो कोई परेशानी नहीं होगी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामे की वैधता को पूछा और पूछा कि क्या ये हलफनामे वेरिफाई हैं।
जस्टिस बोबड़े ने कहा कि ये हलफनामा तब दिया गया था जब सरकार जमीन को रिसीवर को सौंपना चाह रही थी। क्या ये बातें कभी मजिस्ट्रेट के सामने प्रूव हो पाई थी?
बुधवार शाम को सुनवाई खत्म होने से पहले गोपाल सिंह विशारद की ओर से वकील रंजीत कुमार अपनी दलीलें रख रहे थे। सुप्रीम कोर्ट में गोपाल सिंह विशारद के वकील रंजीत कुमार अपना पक्ष रख रहे हैं। उनकी ओर से 1950 में ही मुकदमा दाखिल किया गया था और उनका सूट नंबर एक है।
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