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राज्य भर में सांस्कृतिक मेलों की लड़ी को मंजूरी, पर्यटन विभाग बनाएगा मसौदा

चंडीगढ़। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य की समृद्ध संस्कृति, कला और विरासत को दर्शाने के लिए राज्यभर में सांस्कृतिक मेलों की लड़ी करवाने को मंजूरी दे दी है। इससे राज्य को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के तौर पर उभारा जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग की मीटिंग में कहा कि इसका मंतव्य राज्य में सैलानियों की आमद को बढ़ाना और आने वाले सालों में पंजाब को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के तौर पर स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक समागम राज्य के पर्यटन क्षेत्र को काफी बढ़ावा देंगे। पंजाब को विश्व पर्यटन के नक्शे पर प्रमुखता से उभारेगा।
मान ने कहा कि यह कदम राज्य में सैलानियों के यातायात को बढ़ावा देने के साथ-साथ नौजवान पीढ़ी को राज्य की समृद्ध विरासत से अवगत करवाने में भी अहम भूमिका निभाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब की पवित्र धरती अपने सदियों पुराने गौरवमयी इतिहास और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के कारण सैलानियों/यात्रियों को आकर्षित करने के समर्थ है। उन्होंने अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहाकि पिछली राज्य सरकारों की लापरवाही के कारण पर्यटन क्षेत्र में पंजाब की विशाल संभावनाएं अप्रयुक्त ही रह गई हैं।
मान ने पर्यटन विभाग को हिदायत की कि इन सांस्कृतिक मेलों को नियमित तौर पर करवाने के लिए एक मुकम्मल सारणी (टेबल) तैयार की जाये जिससे यह एक विशाल समागम के तौर पर उभर कर सामने आ सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक समागम राज्यभर में करवाए जाएं और इनमें अधिकतम लोगों की भागीदारी यकीनी बनाई जाए।
भगवंत मान ने आशा अभिव्यक्ति की कि यह महत्वपूर्ण समागम पर्यटन स्रोतों की जिम्मेदाराना संभाल और उचित विकास के द्वारा बड़े स्तर पर पर्यटन को आकर्षित करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की अपार संभावनाएं है, जिसके लिए पंजाब सरकार द्वारा ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहाकि इन सांस्कृतिक मेलों द्वारा राज्य के पर्यटन क्षेत्र में मौजूद अप्रयुक्त संभावनाओं को योग्य ढंग से बरतने में बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने पर्यटन विभाग को इन सांस्कृतिक मेलों के प्रबंध के लिए मुकम्मल नक्शा तैयार करने के लिए कहा जिससे पर्यटन क्षेत्र को प्रफुल्लित किया जा सके। राज्य में आर्थिक गतिविधियों को उत्साहित करना समय की ज़रूरत है, जिससे लोगों के जीवन में तबदीली लाई जा सकती है।
उन्होंने अधिकारियों को हिदायत की कि ऐसे सांस्कृतिक मेलों को बड़े स्तर पर करवाने के लिए बारीकी से सारणी तैयार की जाए जिससे राज्य की गौरवमयी विरासत को आने वाली नसलों तक पहुँचाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग की मीटिंग में कहा कि इसका मंतव्य राज्य में सैलानियों की आमद को बढ़ाना और आने वाले सालों में पंजाब को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के तौर पर स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक समागम राज्य के पर्यटन क्षेत्र को काफी बढ़ावा देंगे। पंजाब को विश्व पर्यटन के नक्शे पर प्रमुखता से उभारेगा।
मान ने कहा कि यह कदम राज्य में सैलानियों के यातायात को बढ़ावा देने के साथ-साथ नौजवान पीढ़ी को राज्य की समृद्ध विरासत से अवगत करवाने में भी अहम भूमिका निभाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब की पवित्र धरती अपने सदियों पुराने गौरवमयी इतिहास और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के कारण सैलानियों/यात्रियों को आकर्षित करने के समर्थ है। उन्होंने अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहाकि पिछली राज्य सरकारों की लापरवाही के कारण पर्यटन क्षेत्र में पंजाब की विशाल संभावनाएं अप्रयुक्त ही रह गई हैं।
मान ने पर्यटन विभाग को हिदायत की कि इन सांस्कृतिक मेलों को नियमित तौर पर करवाने के लिए एक मुकम्मल सारणी (टेबल) तैयार की जाये जिससे यह एक विशाल समागम के तौर पर उभर कर सामने आ सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक समागम राज्यभर में करवाए जाएं और इनमें अधिकतम लोगों की भागीदारी यकीनी बनाई जाए।
भगवंत मान ने आशा अभिव्यक्ति की कि यह महत्वपूर्ण समागम पर्यटन स्रोतों की जिम्मेदाराना संभाल और उचित विकास के द्वारा बड़े स्तर पर पर्यटन को आकर्षित करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की अपार संभावनाएं है, जिसके लिए पंजाब सरकार द्वारा ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहाकि इन सांस्कृतिक मेलों द्वारा राज्य के पर्यटन क्षेत्र में मौजूद अप्रयुक्त संभावनाओं को योग्य ढंग से बरतने में बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने पर्यटन विभाग को इन सांस्कृतिक मेलों के प्रबंध के लिए मुकम्मल नक्शा तैयार करने के लिए कहा जिससे पर्यटन क्षेत्र को प्रफुल्लित किया जा सके। राज्य में आर्थिक गतिविधियों को उत्साहित करना समय की ज़रूरत है, जिससे लोगों के जीवन में तबदीली लाई जा सकती है।
उन्होंने अधिकारियों को हिदायत की कि ऐसे सांस्कृतिक मेलों को बड़े स्तर पर करवाने के लिए बारीकी से सारणी तैयार की जाए जिससे राज्य की गौरवमयी विरासत को आने वाली नसलों तक पहुँचाया जा सके।
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