अलवर का जेनेसिस बाजार प्रोजेक्ट नहीं हुआ पूरा, RERA ने दिए ग्राहकों का पैसा लौटाने के आदेश

सुनवाई के दौरान रेरा के सदस्य सुधीर कुमार शर्मा ने कहाकि सभी नौ शिकायतें एक ही प्रोजेक्ट से संबंधित हैं, इसलिए उन्हें एक साथ निपटाया जाएगा। इस दौरान शिकायतकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आदित्य किरण माथुर ने पक्ष रखा, जबकि बिल्डर पक्ष की ओर से अधिवक्ता हार्दिक मिश्रा ने जवाब प्रस्तुत किया।
शिकायतकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने ‘जेनेसिस बाजार’ परियोजना में दुकानें बुक की थीं और इसके लिए लाखों रुपये का भुगतान किया, लेकिन अब तक उन्हें कब्जा नहीं मिला है। परियोजना को 2021 तक पूरा किया जाना था, लेकिन निर्माण कार्य अभी तक अधूरा है। इतना ही नहीं, कुछ निवेशकों को अब तक एग्रीमेंट टू सेल (Agreement to Sell) भी नहीं मिला है।
कमालिका डेवेलपर्स की ओर से परियोजना में देरी के लिए बजरी प्रतिबंध, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश, नोटबंदी और कोविड-19 महामारी जैसी परिस्थितियों को जिम्मेदार बताया गया। बिल्डर पक्ष का कहना था कि प्रोजेक्ट का कार्य अब लगभग पूरा हो गया है और कुछ तैयार ब्लॉकों में दुकानों का कब्जा देने के लिए वे तैयार हैं।
शिकायतकर्ताओं का कहना था कि परियोजना 3 साल 9 महीने से अधिक की देरी से चल रही है, जिससे उन्हें भारी वित्तीय नुकसान हो रहा है। कई निवेशकों ने 90% से अधिक भुगतान कर दिया है, लेकिन अभी तक सिर्फ 11% निर्माण कार्य ही पूरा हुआ है। उन्होंने बिल्डर द्वारा भेजे गए नए डिमांड लेटर्स पर रोक लगाने और ब्याज सहित मुआवजा देने की मांग की।
बिल्डर पक्ष ने दलील दी कि शिकायतकर्ताओं की मांगें स्पष्ट नहीं हैं – कुछ ग्राहक रिफंड चाहते हैं, जबकि कुछ कब्जा लेना चाहते हैं। उनका कहना था कि यदि ग्राहक पहले एग्रीमेंट साइन करें, तो वे दुकानों का कब्जा देने के लिए तैयार हैं।
रेरा सदस्य सुधीर कुमार शर्मा ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विपक्षी बिल्डर को आदेश दिया कि वह निवेशकों की उनकी प्रत्येक जमा राशि 11.10 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाए। इस फैसले का बिल्डर को 45 दिन में पालन करना होगा। इसके बाद निवेशक अगली कानूनी कार्रवाई कर सकेंगे। ….पूरा फैसला पढ़ने के लिए यहां क्लिक करिए।
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