खेती-बाड़ी के साथ-साथ मछली पालन से आएगी संपन्नता, ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया जारी

प्रदेश में कृषि और पशुपालन प्रमुख व्यवसाय हैं। लेकिन, अब मत्स्य पालन एक नए और फायदे वाले व्यवसाय के रूप में तेज़ी से उभर रहा है। राज्य के जलाशयों, नहरों, तालाबों और कृत्रिम जल स्रोतों के माध्यम से मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत किसानों को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और नई तकनीकों से परिचित कराया जा रहा है, जिससे वे कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।
क्या है प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाय) को 2020 में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य भारत में मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देना, मछुआरों तथा कृषकों की आय बढ़ाना और मछली उत्पादों के निर्यात को बढ़ाना है। प्रदेश में योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को मत्स्य पालन गतिविधियों हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। राज्य सरकार भी इस योजना को प्रभावी बनाने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से विभिन्न कदम उठा रही है। विभिन्न जिलों में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए तालाब निर्माण, जैव फ्लॉक तकनीक, रिसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाया जा रहा है।
योजना के तहत मिलने वाले लाभ
योजना का लाभ लेने हेतु मछुआरा समुदाय, मत्स्य पालक, मछली विक्रेता, स्वयं सहायता समूह, मत्स्य सहकारी समितियां, निजी फर्म, फिर्श फार्मर प्रोड्यूसर संगठन/कम्पनीयां, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग एवं महिलाएं आवेदन कर सकती है। योजना के तहत सामान्य वर्ग के लोगों को इकाई लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को इकाई लागत का अधिकतम 60 प्रतिशत अनुदान राशि डी.बी.टी. के माध्यम से देय होगी। लाभार्थी को शेष राशि की व्यवस्था स्वयं के स्तर से अथवा बैंक ऋण लेकर करनी होगी। लाभार्थी को देय अनुदान राशि दो या तीन किस्तों में दी जाएगी। आवेदन ई-मित्र अथवा स्वयं के माध्यम से ऑनलाइन भरे जा सकते है।
आवेदक की स्वयं की जमीन होना जरूरी
परियोजना प्रस्ताव के साथ आवेदक को स्वयं की जमीन की उपलब्धता के दस्तावेज प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। योजना के लिये पट्टे पर जमीन लेने की स्थिति में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए न्यूनतम 10 वर्ष की पट्टा अवधि एवं शेष परियोजनाओं के लिये 7 वर्ष से कम की पट्टा अवधि मान्य नहीं होगी। किसी भी परियोजना के लिये जमीन क्रय करने अथवा लीज पर लेने हेतु कोई अनुदान राशि नहीं दी जाएगी। परियोजना हेतु प्रस्तावित जमीन विवादित नहीं होनी चाहिए। योजना के मुख्य कम्पांनेंट्स, इनकी इकाई लागत एवं देय अनुदान राशि के विवरण हेतु मत्स्य विभाग की वेबसाइट अथवा जिला कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।
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