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अकाली दल के दिग्गज नेता पूर्व कृषिमंत्री गुरदेव सिंह का देहांत
फरीदकोट। सुबह सवेरे
जैसे ही पूर्व कृषिमंत्री गुरदेव बादल के देहांत की खबर फैली तो पूरे इलाके
में शोक की लहर दौड़ गयी। हमेशा मिलनसार व्यक्तित्व वाले गुरदेव बादल पिछले
काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका लुधियाना के डी एम सी हस्पताल में
इलाज चल रहा था।
आज सुबह करीब 4 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। अगर बात की जाये उनके जीवन पर एक झलक डालने की तो गुरदेव सिंह बादल एक मिलनसार और एक दूसरे के दुःख सुख में साथ निभाने वाले थे। उन्होंने अपने सियासी जीवन की शुरुआत सन 1967 में श्री मुक्तसर साहिब से चुनाव लड़कर की थी और पहली बार विधायक बने और इसके बाद लगातार 2002 तक यह चुनाव जीतकर विधायक बनते रहे और 1997 में गुरदेव सिंह बादल पँजाब सरकार में कृषिमंत्री बने और 2002 में भी चुनाव में जीत हांसिल की थी। इसके बाद 2007 में पंजगराई से चुनाव हारे।
वही गुरदेव सिंह बादल 1963 में एसजीपीसी मेंबर भी रह चुके है। वो अपने पीछे एक बेटी और दो बेटों को छोड़ गए।इस वक्त उनकी अंतिम रस्मो में भाग लेने कई बड़े अकाली नेता और शहर वासी पोहंचे जिन्होंने उनकी आत्मा की शांति के लिए अरदास की और उनके पारिवारिक मेम्बरों को इस दुःख भरी घडी में हौसला दिया। सरकार की तरफ से उनको सलामी दी गयी।
आज सुबह करीब 4 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। अगर बात की जाये उनके जीवन पर एक झलक डालने की तो गुरदेव सिंह बादल एक मिलनसार और एक दूसरे के दुःख सुख में साथ निभाने वाले थे। उन्होंने अपने सियासी जीवन की शुरुआत सन 1967 में श्री मुक्तसर साहिब से चुनाव लड़कर की थी और पहली बार विधायक बने और इसके बाद लगातार 2002 तक यह चुनाव जीतकर विधायक बनते रहे और 1997 में गुरदेव सिंह बादल पँजाब सरकार में कृषिमंत्री बने और 2002 में भी चुनाव में जीत हांसिल की थी। इसके बाद 2007 में पंजगराई से चुनाव हारे।
वही गुरदेव सिंह बादल 1963 में एसजीपीसी मेंबर भी रह चुके है। वो अपने पीछे एक बेटी और दो बेटों को छोड़ गए।इस वक्त उनकी अंतिम रस्मो में भाग लेने कई बड़े अकाली नेता और शहर वासी पोहंचे जिन्होंने उनकी आत्मा की शांति के लिए अरदास की और उनके पारिवारिक मेम्बरों को इस दुःख भरी घडी में हौसला दिया। सरकार की तरफ से उनको सलामी दी गयी।
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