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बिहार में एआईएमआईएम पांव पसारने में जुटी, महागठबंधन को हो सकता है नुकसान!

किशनगंज। बिहार में सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम अब पांव पसारने में जुटी है। ओवैसी ने अपने बिहार दौरे के क्रम में विधानसभा चुनाव में करीब 50 सीट पर मजबूती से चुनाव लड़ने की घोषणा से इसके संकेत भी दिए हैं। ओवैसी की इस घोषणा से भाजपा को फायदा और महागठबंधन को नुकसान पहुंचने के आसार लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि ओवैसी की पार्टी आमतौर पर मुसलमानों की पार्टी मानी जाती है और यादव और मुसलमान राजद का वोट बैंक माना जाता है।
ऐसे में ओवैसी की पार्टी अगर मजबूत होती है तो तय है कि एआईएमआईएम को जो भी वोट मिलेगा उसमे अधिकांश वोट राजद का ही होगा।
इधर, बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनाए जाने के बाद भाजपा भी बिहार में संगठन को मजबूत करने की नजर है।
बिहार के सीमांचल इलाके में पिछले दो दिनों की यात्रा के दौरान ओवैसी ने पदयात्राएं की है और जनसभा को भी संबोधित किया है।
ओवैसी ने कहा कि बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 50 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने यह भी माना कि पहले बिहार में कम सीटों पर चुनाव लड़कर गलती की है।
ओवैसी ने कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी केवल किशनगंज नहीं बल्कि और भी कई सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरेगी। ओवैसी की इस घोषणा के बाद राजद और जदयू के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी है।
उन्होंने साफ कह दिया कि इस बार यह कोताही नहीं होगी, ना ही हम सीमांचल तक सीमित रहेंगे।
ओवैसी की पार्टी को 2020 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर सफलता मिली थी, हालांकि उनके जीते हुए 5 में से 4 विधायक को राजद ने अपने पाले में कर लिया।
ओवैसी इसको भूल नहीं पाए हैं और इस बार राजद को पटखनी देने के लिए मैदान में उतर आए हैं ऐसे में ओवैसी के निशाने पर इस बार भाजपा से ज्यादा राजद रही है। संभावना जताई जा रही है ओवैसी किसी गठबंधन में शामिल नहीं होंगे और अकेले चुनावी मैदान में उतरकर राजनीतिक दलों का खेल बिगाड़ेंगे।
गौरतलब है कि भाजपा की नजर भी सीमांचल पर है। भाजपा के नेता अमित शाह भी सीमांचल का दौरा कर चुके हैं।
बहरहाल, एआईएमआईएम के अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा जरूर कर दी है, लेकिन इसमें से कितनी सीटों पर पार्टी सफल हो पाएगी यह तो बाद में पता चलेगा।
--आईएएनएस
ऐसे में ओवैसी की पार्टी अगर मजबूत होती है तो तय है कि एआईएमआईएम को जो भी वोट मिलेगा उसमे अधिकांश वोट राजद का ही होगा।
इधर, बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनाए जाने के बाद भाजपा भी बिहार में संगठन को मजबूत करने की नजर है।
बिहार के सीमांचल इलाके में पिछले दो दिनों की यात्रा के दौरान ओवैसी ने पदयात्राएं की है और जनसभा को भी संबोधित किया है।
ओवैसी ने कहा कि बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 50 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने यह भी माना कि पहले बिहार में कम सीटों पर चुनाव लड़कर गलती की है।
ओवैसी ने कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी केवल किशनगंज नहीं बल्कि और भी कई सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरेगी। ओवैसी की इस घोषणा के बाद राजद और जदयू के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी है।
उन्होंने साफ कह दिया कि इस बार यह कोताही नहीं होगी, ना ही हम सीमांचल तक सीमित रहेंगे।
ओवैसी की पार्टी को 2020 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर सफलता मिली थी, हालांकि उनके जीते हुए 5 में से 4 विधायक को राजद ने अपने पाले में कर लिया।
ओवैसी इसको भूल नहीं पाए हैं और इस बार राजद को पटखनी देने के लिए मैदान में उतर आए हैं ऐसे में ओवैसी के निशाने पर इस बार भाजपा से ज्यादा राजद रही है। संभावना जताई जा रही है ओवैसी किसी गठबंधन में शामिल नहीं होंगे और अकेले चुनावी मैदान में उतरकर राजनीतिक दलों का खेल बिगाड़ेंगे।
गौरतलब है कि भाजपा की नजर भी सीमांचल पर है। भाजपा के नेता अमित शाह भी सीमांचल का दौरा कर चुके हैं।
बहरहाल, एआईएमआईएम के अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा जरूर कर दी है, लेकिन इसमें से कितनी सीटों पर पार्टी सफल हो पाएगी यह तो बाद में पता चलेगा।
--आईएएनएस
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