जिला न्यायाधीश भर्ती परीक्षा रद्द करने और अधिवक्ता सुरक्षा कानून की मांग को लेकर उदयपुर में अधिवक्ताओं का प्रदर्शन, दो दिन न्यायिक कार्य बहिष्कार

उदयपुर। उदयपुर में बार एसोसिएशन एवं अधिवक्ता संघर्ष समिति ने न्यायिक व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ एवं अधिवक्ताओं की सुरक्षा को लेकर बड़ा आंदोलन छेड़ दिया है। इस आंदोलन के तहत 16 और 17 मई को जिलेभर के अधिवक्ता न्यायिक कार्यों का बहिष्कार कर रहे हैं। अधिवक्ता वर्ग की ओर से यह विरोध प्रदर्शन जिला न्यायाधीशों सवर्ग भर्ती परीक्षा को रद्द करने, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करने तथा न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने हेतु कठोर कानून बनाने की मांग को लेकर किया जा रहा है।
बार एसोसिएशन उदयपुर और अधिवक्ता संघर्ष समिति की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि वर्तमान में न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं, और कई स्तरों पर भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आ रही हैं। अधिवक्ताओं का कहना है कि जब तक न्याय व्यवस्था में जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जाएगी, आम जनता को न्याय मिलना कठिन होता चला जाएगा। इसके अतिरिक्त अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए ठोस कानून की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा ज्ञापन
आंदोलन के दौरान अधिवक्ता वर्ग जिला कलेक्टर के माध्यम से माननीय राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन भी सौंपेगा, जिसमें उक्त तीनों मांगों को प्रमुखता से उठाया जाएगा। अधिवक्ताओं का कहना है कि यह सिर्फ एक पेशेवर मांग नहीं है, बल्कि न्यायिक प्रणाली को पारदर्शी, सुरक्षित और जनहितकारी बनाने की दिशा में एक जरूरी हस्तक्षेप है।
'यह आंदोलन हमारे भविष्य का प्रश्न है'
बार एसोसिएशन ने अधिवक्ताओं से अपील की है कि वे आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लें। आंदोलन को अधिवक्ताओं के भविष्य की सुरक्षा से जोड़ते हुए बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा, “यह आंदोलन केवल आज की परिस्थितियों के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह आने वाले समय में अधिवक्ताओं की गरिमा, सुरक्षा और न्यायपालिका की विश्वसनीयता को बचाने के लिए आवश्यक है।”
पूर्ण न्यायिक कार्य बहिष्कार से कार्य प्रभावित
दो दिन तक अधिवक्ताओं के न्यायिक कार्यों से दूर रहने के कारण अदालतों में सुनवाई प्रभावित हो रही है। कई मामलों की तारीखें आगे बढ़ाई जा रही हैं, और आम जनता को भी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, अधिवक्ता संगठनों का कहना है कि यदि सरकार समय रहते मांगों पर विचार करती है तो आमजन को बार-बार आंदोलन का सामना नहीं करना पड़ेगा।
भविष्य में बड़े आंदोलन की चेतावनी
अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द ही उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन को और अधिक व्यापक और तीव्र बनाया जाएगा। इसमें राज्यभर के अधिवक्ता एकजुट होकर आगे की रणनीति तय करेंगे।
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