जयपुर में 20 मिनट का प्रदर्शन : युवा कांग्रेस की संजीदगी पर सवाल

युवा कांग्रेस का दावा था कि वे भाजपा कार्यालय का घेराव करेंगे, लेकिन पुलिस ने उन्हें इससे पहले ही रोक दिया। यह तय था कि प्रशासन किसी भी संभावित हंगामे के मद्देनज़र पहले से तैयार रहेगा। परंतु, सवाल यह उठता है कि कांग्रेस का युवा नेतृत्व खुद कितना तैयार था? प्रदेशाध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया और कार्यकारी अध्यक्ष यशवीर सूरा जैसे प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति प्रदर्शन की गंभीरता पर सवाल खड़े करती है।
राहुल गांधी के समर्थन में किए गए इस प्रदर्शन की 'राजनीतिक मियाद' सिर्फ 20 मिनट थी, लेकिन बेरोजगारी का मुद्दा दशकों से युवाओं की जिंदगी का सबसे लंबा संघर्ष बना हुआ है। राहुल गांधी का संसद में दिया गया भाषण निश्चित रूप से आंकड़ों के लिहाज़ से महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन क्या कांग्रेस का ज़मीनी संगठन इन मुद्दों पर वास्तविक संघर्ष के लिए तैयार है?
भाजपा पर निशाना साधना और मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करना विपक्ष के लिए अनिवार्य कार्य है, लेकिन जब प्रदर्शन मात्र 20 मिनट में सिमट जाए, तो यह संदेह उत्पन्न करता है कि क्या विरोध केवल सोशल मीडिया और प्रेस रिलीज़ तक ही सीमित रह गया है? युवा कांग्रेस को यह सोचना होगा कि क्या केवल बयानबाज़ी और सांकेतिक प्रदर्शन से बेरोजगारों की तकलीफें कम होंगी या फिर सशक्त आंदोलन और ठोस रणनीति की जरूरत है?
कांग्रेस का युवा मोर्चा बेरोजगारी के ख़िलाफ़ संघर्ष में खुद ही 20 मिनट से अधिक नहीं टिक सका। क्या यह युवाओं के भविष्य की लड़ाई थी, या केवल एक 'राजनीतिक टी-टाइम ब्रेक' लिया गया?
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