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फिल्म समीक्षा: आदिपुरुष —समय और पैसे की बर्बादी है देखना

सितारे:
प्रभास,
कृति
सेनॉन,
सैफ
अली
खान,
सनी
सिंह
और
वत्सल
सेठ
निर्देशक: ओम राउत
निर्माता: भूषण कुमार (टी-सीरीज), कृष्ण कुमार, ओम राउत, रेट्रोफाइल्स
बहुत इंतजार के बाद आदिपुरुष आखिरकार सिनेमाघरों मे प्रदर्शित हो गई। तान्हाजी के बाद निर्देशक ओम राउत से उम्मीद थी कि वे दर्शकों को एक नया रोमांच देंगे लेकिन यहाँ पर ऊँची दुकान फीके पकवान वाली कहावत खरी उतरी। ओम राउत द्वारा निर्देशित यह फिल्म वाल्मिकी के महाकाव्य 'रामायण' पर आधारित है। इस फिल्म में जहां प्रभास भगवान श्रीराम का किरदार निभा रहे हैं तो वहीं कृति सेनॉन मां सीता का रोल निभाती नजर आ रही हैं। फिल्म में सैफ अली खान 'रावण' का किरदार निभा रहे हैं। नए युग की रामायण 'आदिपुरुष' से काफी उम्मीदें थीं जो देखने के बाद पूरी तरह से चूर-चूर हो गई। फिल्म का कथानक पूरी तरह से स्लेट की तरह साफ है। राघव रावण के युद्ध से पहले के दृश्यों में किसी प्रकार का कोई टि्वस्ट नहीं है। 'आदिपुरुष' की कहानी महर्षि वाल्मीकि की पौराणिक लिपि पर आधारित है। फिल्म की कहानी राघव, जानकी और शेष के 14 सालों के वनवास से शुरू होती है। वनवास के आखिरी साल में लंकेश जानकारी का हरण करके ले जाता है, जिसके बाद राघव जानकी को वापस लाने के लिए लंकेश के राज्य का सर्वनाश कर देते हैं।
आदिपुरुष रामायण महाकाव्य पर बनी है, जिसे हम बचपन से सुनते और पढ़ते आ रहे हैं। इस कथानक पर आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर रामायण को अपने अंदाज में पेश किया है जो पहले दृश्य से ही निराश करता है। राम के चरित्र में प्रभास पूरी तरह से मिसफिट हैं। उन्हें एक योद्धा की तरह पेश किया गया है, जबकि रामायण में राम को बेहद शांत और धैर्यवान बताया गया है। लक्ष्मण को रामायण में जहाँ क्रोधित बताया गया है वहीं यहाँ पर वे पूरी तरह से शांत नजर आए हैं। सीता की भूमिका में कुछ नयापन नजर नहीं आया। कृति के चेहरे पर सीता का ओज नहीं दिखता है। उनके हिस्से में एक-दो संवाद हैं लेकिन वे बेअसर हैं। रावण को चेतावनी देने वाले दृश्य में सीता के चेहरे पर जो भाव हैं वे पूरी तरह से निराश करते हैं। लंकेश का किरदार हॉलीवुड फिल्मों में दिखाई जाने वाली शैतानी ताकतों से प्रेरित लग रहा है। हनुमान का चरित्र जरूर कुछ दृश्यों में प्रभावी रहा है। उनका अभिनय भी सहज और प्रभावी है। जटायु द्वारा सीता को बचाने का दृश्य जरूर कुछ असर छोड़ता है। फिल्म देखते हुए एनिमेशन फिल्म का अहसास होता है। जिसमें खूबसूरत जंगल और आकर्षक वानर सेना दिखाई गई है।
अभिनय के मोर्चे पर एकमात्र सैफ अली खान प्रभावित करते हैं। निर्देशक के अनुसार उन्होंने रावण की चाल, उसके बोलने के अंदाज और उसके भावों को अपने चेहरे के जरिये प्रस्तुत करने में सफलता प्राप्त की है।
फिल्म का बैकग्राउण्ड म्यूजिक सबसे प्रभावी पक्ष है। साथ ही गीत तेरे ही भरोसे हैं हम तेरे ही सहारे सबसे प्रभावी है। इसे फिल्म देखते हुए और देखने के बाद भी दर्शक गुनगुनाता नजर आता है। फिल्म का छायांकन इसकी दूसरी सबसे बड़ी जीत है। हालांकि दृश्यों को सजाने के लिए वीएफएक्स का सहारा लिया है, लेकिन जो हरियाली, झरने दिखाए गए वे आँखों को सुकून देते हैं। कुल मिलाकर ओम राउत का यह प्रयास दर्शकों की जेब पर बहुत भारी पड़ता है। फिल्म की टिकट दरें बहुत ज्यादा हैं। जिस तरह से इस फिल्म को बनाया गया है वह पूरी तरह से निराश करता है। फिल्म में फील की कमी है। सैफ अली खान के अलावा, कोई भी पात्र जंच नहीं रहा है। रामायण में लंका को स्वर्ण नगरी बताया गया था लेकिन 'आदिपुरुष' में लंका अजीब दिखने वाले जीवों से भरा एक काला साम्राज्य है। इस फिल्म को केवल राघव और लंकेश के बीच लड़ाई पर भी फोकस किया गया है। यह पौराणिक कथाओं की पृष्ठभूमि के साथ एक आउट-ऑफ-आउट एक्शन फिल्म की तरह प्रतीत होती है। कुछ दृश्य और संवाद वास्तव में हंसने योग्य हैं।
निर्देशक: ओम राउत
निर्माता: भूषण कुमार (टी-सीरीज), कृष्ण कुमार, ओम राउत, रेट्रोफाइल्स
बहुत इंतजार के बाद आदिपुरुष आखिरकार सिनेमाघरों मे प्रदर्शित हो गई। तान्हाजी के बाद निर्देशक ओम राउत से उम्मीद थी कि वे दर्शकों को एक नया रोमांच देंगे लेकिन यहाँ पर ऊँची दुकान फीके पकवान वाली कहावत खरी उतरी। ओम राउत द्वारा निर्देशित यह फिल्म वाल्मिकी के महाकाव्य 'रामायण' पर आधारित है। इस फिल्म में जहां प्रभास भगवान श्रीराम का किरदार निभा रहे हैं तो वहीं कृति सेनॉन मां सीता का रोल निभाती नजर आ रही हैं। फिल्म में सैफ अली खान 'रावण' का किरदार निभा रहे हैं। नए युग की रामायण 'आदिपुरुष' से काफी उम्मीदें थीं जो देखने के बाद पूरी तरह से चूर-चूर हो गई। फिल्म का कथानक पूरी तरह से स्लेट की तरह साफ है। राघव रावण के युद्ध से पहले के दृश्यों में किसी प्रकार का कोई टि्वस्ट नहीं है। 'आदिपुरुष' की कहानी महर्षि वाल्मीकि की पौराणिक लिपि पर आधारित है। फिल्म की कहानी राघव, जानकी और शेष के 14 सालों के वनवास से शुरू होती है। वनवास के आखिरी साल में लंकेश जानकारी का हरण करके ले जाता है, जिसके बाद राघव जानकी को वापस लाने के लिए लंकेश के राज्य का सर्वनाश कर देते हैं।
आदिपुरुष रामायण महाकाव्य पर बनी है, जिसे हम बचपन से सुनते और पढ़ते आ रहे हैं। इस कथानक पर आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर रामायण को अपने अंदाज में पेश किया है जो पहले दृश्य से ही निराश करता है। राम के चरित्र में प्रभास पूरी तरह से मिसफिट हैं। उन्हें एक योद्धा की तरह पेश किया गया है, जबकि रामायण में राम को बेहद शांत और धैर्यवान बताया गया है। लक्ष्मण को रामायण में जहाँ क्रोधित बताया गया है वहीं यहाँ पर वे पूरी तरह से शांत नजर आए हैं। सीता की भूमिका में कुछ नयापन नजर नहीं आया। कृति के चेहरे पर सीता का ओज नहीं दिखता है। उनके हिस्से में एक-दो संवाद हैं लेकिन वे बेअसर हैं। रावण को चेतावनी देने वाले दृश्य में सीता के चेहरे पर जो भाव हैं वे पूरी तरह से निराश करते हैं। लंकेश का किरदार हॉलीवुड फिल्मों में दिखाई जाने वाली शैतानी ताकतों से प्रेरित लग रहा है। हनुमान का चरित्र जरूर कुछ दृश्यों में प्रभावी रहा है। उनका अभिनय भी सहज और प्रभावी है। जटायु द्वारा सीता को बचाने का दृश्य जरूर कुछ असर छोड़ता है। फिल्म देखते हुए एनिमेशन फिल्म का अहसास होता है। जिसमें खूबसूरत जंगल और आकर्षक वानर सेना दिखाई गई है।
अभिनय के मोर्चे पर एकमात्र सैफ अली खान प्रभावित करते हैं। निर्देशक के अनुसार उन्होंने रावण की चाल, उसके बोलने के अंदाज और उसके भावों को अपने चेहरे के जरिये प्रस्तुत करने में सफलता प्राप्त की है।
फिल्म का बैकग्राउण्ड म्यूजिक सबसे प्रभावी पक्ष है। साथ ही गीत तेरे ही भरोसे हैं हम तेरे ही सहारे सबसे प्रभावी है। इसे फिल्म देखते हुए और देखने के बाद भी दर्शक गुनगुनाता नजर आता है। फिल्म का छायांकन इसकी दूसरी सबसे बड़ी जीत है। हालांकि दृश्यों को सजाने के लिए वीएफएक्स का सहारा लिया है, लेकिन जो हरियाली, झरने दिखाए गए वे आँखों को सुकून देते हैं। कुल मिलाकर ओम राउत का यह प्रयास दर्शकों की जेब पर बहुत भारी पड़ता है। फिल्म की टिकट दरें बहुत ज्यादा हैं। जिस तरह से इस फिल्म को बनाया गया है वह पूरी तरह से निराश करता है। फिल्म में फील की कमी है। सैफ अली खान के अलावा, कोई भी पात्र जंच नहीं रहा है। रामायण में लंका को स्वर्ण नगरी बताया गया था लेकिन 'आदिपुरुष' में लंका अजीब दिखने वाले जीवों से भरा एक काला साम्राज्य है। इस फिल्म को केवल राघव और लंकेश के बीच लड़ाई पर भी फोकस किया गया है। यह पौराणिक कथाओं की पृष्ठभूमि के साथ एक आउट-ऑफ-आउट एक्शन फिल्म की तरह प्रतीत होती है। कुछ दृश्य और संवाद वास्तव में हंसने योग्य हैं।
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