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बेबी शॉवर तो सुना था यह 'सक्सेस शॉवर' क्या है?
विदेशों में खासकर अमेरिका में ये कॉन्सेप्ट तेजी से अपनाया जा रहा है। जहां माना जाता है कि एक महिला का जीवन केवल शादी या मां बनने तक सीमित नहीं जिंदगी उससे परे भी है। सात समंदर पार भी हालात बदले नहीं हैं। वहां भी 'जेंडर डिस्क्रिमिनेशन' की लड़ाई लड़ी जा रही है। महिलाएं मानती हैं कि अक्सर जश्न के मामले में भी 'जेंडर सेलिब्रेशन डिस्क्रिमिनेशन' का शिकार होती हैं। बस इसी का तोड़ है उनके लिए सक्सेस शॉवर।
सुनने और पढ़ने में ये शब्द थोड़ा अटपटा जरूर है, लेकिन इसका उद्देश्य बेहद खास और प्यारा है। इसमें 'जेन जी या मिलेनियल्स' खुद की सफलता का जश्न मनाती हैं।
क्या होता है सक्सेस शॉवर? तो यह एक पार्टी है, जो ब्राइडल शॉवर या बेबी शॉवर जैसी ही है लेकिन इसमें व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता का जश्न मनाया जाता है। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए कई विदेशी कंपनियों की वर्किंग महिलाएं बाहें फैलाकर इसे स्वीकार रही हैं।
एक स्टडी के मुताबिक भारत में महिलाएं काम पुरुषों के मुकाबले ज्यादा करती हैं लेकिन सर्विस सेक्टर में कमाई 67 फीसदी उनसे कम है। वहीं अमेरिका के प्यू रिसर्च स्टडी में खुलासा हुआ कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा कमा रही हैं। इसके बावजूद वहां कि महिलाओं का कहना है कि वो सम्मान और पहचान नहीं मिल रही जिसकी वो हकदार हैं। इसी सोच ने उन्हें अपने अपनों के साथ (केवल महिलाएं) सफलता का उत्सव मनाने का आईडिया दिया। धीरे-धीरे लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया।
कुल मिलाकर अगर आजाद ख्याल या खुद मुख्तार महिला को उसके साथी वो मान नहीं देंगी जिसकी वो अपेक्षा रखती है तो वो जानती है कि उसे कैसे अपने हिसाब से ढालना है। सक्सेस शॉवर इसका ही नाम है!
--आईएएनएस
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