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क्या भविष्य में भोजन को केवल एक टैबलेट के रूप में लेना संभव होगा ?

यदि हम इस समस्या का कोई बायोइंजीनियरिंग हल खोज भी लें तो भी हमें कम-से-कम इतनी खुराक लेनी होगी कि हम स्वस्थ बने रहें । ऐसा नहीं होने पर हम बीमार हो जाएंगे ।
अब हम पहली बात की ओर लौटते हैं. भोजन से मिलनेवाली ऊर्जा हमारे लिए बहुत ज़रूरी है. हमारे भोजन में हमें वसा से सबसे अधिक मात्रा में ऊर्जा मिलती है. वसा (जैसे घी, तेल वगैरह) से हमें प्रति ग्राम मात्रा से 9 कैलोरी मिलती है. रोचक तथ्य यह है कि हमें ऊर्जा के अन्य पारंपरिक स्रोतों से लगभग इतनी ही ऊर्जा मिल सकती है - इसका अर्थ यह है कि हमारे शरीर ने ऊर्जा को सबसे अच्छे तरीके से प्राप्त और स्टोर करने का ज़रिया विकसित कर लिया है, और इसकी संभावना कम ही है कि हमें ऐसी कोई दूसरी चीज़ मिले जो हमें इससे भी अधिक ऊर्जा उपलब्ध करा सके. यही कारण है कि हम भोजन को इतना सघऩ नहीं कर सकते कि उसकी एक गोली से ही हमारा पेट भी भर जाए और भरपूर खाने जितनी ऊर्जा मिल जाए. एक औसत व्यक्ति को लगभग 2000 कैलोरी ऊर्जा की जरूरत होती है जिसके लिए हमें लगभग 220 ग्राम वसा का सेवन करना होगा. यह लगभग 1 पाव शुद्ध घी के बराबर है ।
सैद्धांतिक रूप से हम कुछ अनिवार्य एमीनो एसिड्स (प्रोटीन) को और अधिक सघन कर सकते हैं लेकिन उसकी भी एक सीमा है. औसत मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन लगभग 30 ग्राम प्रोटीन लेने की ज़रूरत होती है ।
यह सच है कि बहुत से विटामिन और मिनरल्स को बहुत सूक्ष्म मात्रा में टैब्लेट में पैक किया जा सकता है लेकिन कैलोरी, प्रोटीन और फायबर इससे कहीं अधिक स्थान घेरते हैं. इन्हें किसी टैब्लेट जैसी चीज़ में पैक करना संभव नहीं है.
ऐसा नहीं है कि हम ऐसी सघन भोजन सामग्री नहीं बना सकते जिसमें पानी को छोड़कर हर प्रकार का पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में हो, लेकिन उसे इतना घना नहीं किया जा सकता कि वह एक ग्राम की गोली जितना छोटा हो जाए. वह नीचे दिख रही चीज़ जैसा दिखेगाः
ये अमरीका की दुकानों में मिलनेवाले इमर्जेंसी राशन बार हैं. इन्हें खाने के सार्वभौमिक विकल्प के रूप में नहीं बनाया गया है. इनमें मुख्यतः प्रोटीन और वसा होती है. इनकी कम मात्रा थोड़े समय के लिए व्यक्ति की भूख शांत कर सकती है. यदि इनमें पर्याप्त मात्रा में अन्य पोषक तत्व और फायबर मिला दिया जाए तो इन्हें कम मात्रा में खाकर मनुष्य बहुत लंबे समय तक स्वस्थ जीवित रह सकता है. लेकिन बहुत कम लोग होंगे जो इन्हें ही खाकर जीवित रहना चाहते हों ।
डा पीयूष त्रिवेदी आयुर्वेद विशेषज्ञ जयपुर ।
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