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दीपावली के दिन कंद फल की सब्जी क्यों खाना जरूरी है?
लेकिन, बड़े लोगो से पूछने पर पता चला कि पहले के समय में जो चीज़े बनाई गई थीं, उसके पीछे कारण हुआ करते थे। समस्या बस यह है की हमें चीज़ें करने के लिए कहा जाता है। लेकिन, उसके कारण नहीं बताए जाते, इसकी वजह से हम ऐसी चीजों को अंध श्रद्धा के साथ जोड़ देते हैं। तो मित्रों अब जानते हैं कि दीपावली के दिन कांद की सब्जी खाने व खिलाने के मुख्य कारणः-
दरअसल, कांद को अपने देश में कई नामों से जाना जाता है, जैसे सूरन, जिमीकन्द (कहीं-कहीं ओल) और कांद भी बोलते हैं, आजकल तो बाजार में हाईब्रीड सूरन आ गया है। कभी-कभी देशी वाला सूरन भी मिल जाता है। दीपावली के 3-4 दिन पहले से ही बाजार में हर सब्जी वाला (खासकर के उत्तर भारत में) सूरन जरूर रखता है और मजे की बात है कि इसकी लाइफ भी बहुत होती है।
सब्जियों में सूरन ही एक ऐसी सब्जी है जिसमें फास्फोरस अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है और अब तो मेडिकल साइंस ने भी मान लिया है कि इस एक दिन यदि हम देशी सूरन की सब्जी खा लें तो स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में महीनों फास्फोरस की कमी नही होगी। यह बवासीर से लेकर कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों से बचाए रखता है। इसमें फाइबर, विटामिन सी, विटामिन बी6, विटामिन बी1 और फोलिक एसिड होता है साथ ही इसमें पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम भी पाया जाता है।
मुझे नहीं पता कि ये परंपरा कब से चल रही है। लेकिन, सोचिए तो सही कि हमारे लोक मान्यताओं में भी वैज्ञानिकता छुपी हुई होती थी। धन्य हों हमारे पूर्वज जिन्होंने विज्ञान को हमारी परम्पराओं, रीतियों और संस्कारों में पिरो दिया।
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