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जब शरीर में कफ ज़्यादा बन रहा हो तो उसे बाहर थूकना अच्छा है या अंदर निगलना?
कफ का मुख्य उद्देश्य शरीर को स्वच्छ और सुरक्षित रखना है। इसे बाहर थूकना आमतौर पर ज्यादा फायदेमंद होता है, लेकिन इसे निगलना भी हानिकारक नहीं है, खासकर जब स्थिति इसकी मांग करे। स्वच्छता और व्यक्तिगत स्वास्थ्य प्राथमिकता होनी चाहिए।
कफ थूकना:
जब कफ गाढ़ा हो और आपको इसे आसानी से बाहर निकालने का मन करे, तो थूकना एक बेहतर विकल्प है। कफ में बैक्टीरिया, वायरस, और अन्य अशुद्धियां हो सकती हैं, और इसे बाहर निकालना श्वसन तंत्र को साफ रखने में मदद करता है। इसे ऐसे स्थान पर थूकें, जहां स्वच्छता बनी रहे, जैसे टिशू में या कफ डिस्पोजल डस्टबिन में।
कफ को निगलना:
यदि आप ऐसी स्थिति में हैं जहां थूकना संभव नहीं है, तो कफ को निगलने से कोई गंभीर समस्या नहीं होती। निगले जाने पर कफ पाचन तंत्र में चला जाता है, जहां पेट के एसिड इसे निष्क्रिय कर देते हैं। हालांकि, बार-बार निगलने से आपको गले में जलन या पेट में भारीपन महसूस हो सकता है।
कौन सा विकल्प बेहतर है?
यदि आप ऐसी जगह हैं जहां कफ थूकना स्वास्थ्य और सामाजिक दृष्टि से उचित है, तो इसे बाहर निकालना बेहतर है। यह बैक्टीरिया और वायरस को श्वसन तंत्र से तुरंत हटा देता है। यदि थूकने का विकल्प नहीं है, तो कफ निगलने में कोई बड़ी समस्या नहीं है क्योंकि पाचन तंत्र उसे संभाल लेता है।
इसके लिए क्या करें?
दिन में अधिक मात्रा में गुनगुना पानी पीएं। भाप लें, ताकि कफ पतला हो जाए और आसानी से बाहर निकल सके। अदरक, शहद, और तुलसी का सेवन करें, जो कफ को बाहर निकालने में मदद करते हैं। डाइट में मसालेदार और ऑयली खाने से बचें, क्योंकि यह कफ को बढ़ा सकता है। यदि कफ लंबे समय तक बना रहता है, तो डॉक्टर से सलाह लें।
-डॉ. पीयूष त्रिवेदी, राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय राजस्थान विधानसभा जयपुर, 9828011871
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