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स्वस्थ और लंबा जीवन जीने के लिए अच्छी नींद लेना बेहद जरूरी!
चीन के वेनझोउ मेडिकल विश्वविद्यालय की टीम ने 'सफल उम्र बढ़ने' (सक्सेसफुल एजिंग) को मधुमेह, कैंसर, दीर्घकालिक फेफड़ों के रोग, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी प्रमुख दीर्घकालिक बीमारियों की अनुपस्थिति, अच्छे मानसिक स्वास्थ्य और किसी भी शारीरिक विकलांगता के रूप में परिभाषित किया है।
शोध में स्वस्थ बुढ़ापे को बढ़ावा देने के लिए स्थिर और पर्याप्त नींद की अवधि बनाए रखने को कहा गया है।
बीएमसी पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित शोधपत्र में टीम ने कहा कि निष्कर्ष मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध वयस्कों में नींद की अवधि में गतिशील परिवर्तनों की निगरानी के महत्वपूर्ण महत्व को रेखांकित करते हैं।
शोध में टीम ने 3,306 प्रतिभागियों का विश्लेषण किया जो 2011 में प्रमुख दीर्घकालिक बीमारियों से मुक्त थे और 2020 तक 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के हो गए थे।
टीम ने 2011, 2013 और 2015 में कुल दैनिक नींद के घंटों की गणना करने के लिए रात की नींद और दिन की झपकी को मिलाया।
शोधकर्ताओं ने पांच अलग-अलग नींद अवधि की पहचान की जिसमें सामान्य-स्थिर (प्रतिभागियों का 26.1 प्रतिशत), लंबे समय तक स्थिर (26.7 प्रतिशत), घटती हुई (7.3 प्रतिशत), बढ़ती हुई (13.7 प्रतिशत), और छोटी-स्थिर (26.2 प्रतिशत) शामिल थी।
बढ़ती और छोटी स्थिर नींद वाले लोगों ने सफल उम्र बढ़ने की काफी कम संभावना दिखाई। कम होते नींद पैटर्न में भी कम संभावनाएं देखी गईं।
कुल मिलाकर, 2020 तक सिर्फ़ 13.8 प्रतिशत लोग ही सफल बुढ़ापे की परिभाषा को पूरा कर पाए।
टीम ने पाया कि नियमित रूप से कम और ज्यादा नींद लेने से सफल बुढ़ापे में बाधा आ सकती है, क्योंकि इससे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक सेहत पर असर पड़ सकता है।
टीम ने शोधपत्र में कहाचीन के वेनझोउ मेडिकल विश्वविद्यालय की टीम ने 'सफल उम्र बढ़ने' (सक्सेसफुल एजिंग) को मधुमेह, कैंसर, दीर्घकालिक फेफड़ों के रोग, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी प्रमुख दीर्घकालिक बीमारियों की अनुपस्थिति, अच्छे मानसिक स्वास्थ्य और किसी भी शारीरिक विकलांगता के रूप में परिभाषित किया है।
शोध में स्वस्थ बुढ़ापे को बढ़ावा देने के लिए स्थिर और पर्याप्त नींद की अवधि बनाए रखने को कहा गया है।
बीएमसी पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित शोधपत्र में टीम ने कहा कि निष्कर्ष मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध वयस्कों में नींद की अवधि में गतिशील परिवर्तनों की निगरानी के महत्वपूर्ण महत्व को रेखांकित करते हैं।
शोध में टीम ने 3,306 प्रतिभागियों का विश्लेषण किया जो 2011 में प्रमुख दीर्घकालिक बीमारियों से मुक्त थे और 2020 तक 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के हो गए थे।
टीम ने 2011, 2013 और 2015 में कुल दैनिक नींद के घंटों की गणना करने के लिए रात की नींद और दिन की झपकी को मिलाया।
शोधकर्ताओं ने पांच अलग-अलग नींद अवधि की पहचान की जिसमें सामान्य-स्थिर (प्रतिभागियों का 26.1 प्रतिशत), लंबे समय तक स्थिर (26.7 प्रतिशत), घटती हुई (7.3 प्रतिशत), बढ़ती हुई (13.7 प्रतिशत), और छोटी-स्थिर (26.2 प्रतिशत) शामिल थी।
बढ़ती और छोटी स्थिर नींद वाले लोगों ने सफल उम्र बढ़ने की काफी कम संभावना दिखाई। कम होते नींद पैटर्न में भी कम संभावनाएं देखी गईं।
कुल मिलाकर, 2020 तक सिर्फ़ 13.8 प्रतिशत लोग ही सफल बुढ़ापे की परिभाषा को पूरा कर पाए।
टीम ने पाया कि नियमित रूप से कम और ज्यादा नींद लेने से सफल बुढ़ापे में बाधा आ सकती है, क्योंकि इससे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक सेहत पर असर पड़ सकता है।
टीम ने शोधपत्र में कहा कि अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद बहुत जरूरी है। अगर नींद कम होती है या नींद के पैटर्न में गड़बड़ी होती है तो यह बढ़ती उम्र का ही संकेत नहीं है, बल्कि यह भी बताता है कि हमारी सेहत ठीक नहीं है।
--आईएएनएस
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