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पहली बार बच्चा जाएगा स्कूल, उसे इस तरह से करें तैयार, सिखानी चाहिए यह बातें
बच्चे को खुद खाना लेना सिखाएं
जैसे ही बच्चा ढाई-तीन का साल होता है वैसे ही बच्चे को घर पर स्वयं खाना खाने की आदत डालनी चाहिए। ज्यादातर घर पर इस उम्र के बच्चों को माँ-पिता अपने हाथ से खाना खिलाते हैं। ऐसे में जब बच्चे पहली बार स्कूल में जाते हैं, तो पूरे दिन उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन और गुस्सा भरा होता है। कारण है भूखा रहना। बच्चे अचानक से अपनी आदतों को नहीं बदल पाते। स्कूल में जाकर बच्चे खुद से या टीचर के हाथों खाना खाने के लिए तैयार नहीं होते और परेशान हो जाते हैं। बच्चों को घर पर खुद से खाना लेने की आदत डालें ताकिउन्हें इसकी आदत हो।
स्वयं करने दे अपनी साफ-सफाई
बेशक बच्चे जब छोटे होते हैं तो हमें ही उनका पूरा ध्यान रखना होता है, लेकिन ढाई-तीन साल का होते ही बच्चे को अपनी साफ-सफाई कैसे रखी जाती है इसकी आदत डालें। जो काम आप करते हैं वह उससे करवाएँ जिससे उसे इस बात की आदत हो जाएं और वह स्वयं अपनी साफ-सफाई रखना शुरू करे। आप अपने बच्चे को टॉयलेट और वॉशरूम के बाद खुद को साफ करना
सिखाएं। इसके अलावा उन्हें साफ सफाई ना रखने से होने वाले नुकसानों की जानकारी भी दें।
बच्चे का रूटीन बनाएं
बच्चे को स्कूल भेजने से पहले उसे वहां के रूटीन के मुताबिक ढालें। बच्चे को सुबह जल्दी उठने की आदत डालें। फिर तय समय तक कुछ एक्टिविटीज के बाद बच्चे को खाने के लिए कुछ दें और फिर एक स्थान पर बिठाकर खेल खिलाएं। शुरुआत में बच्चे प्लेग्रुप में जाते हैं और वहां पढ़ाई के बजाय बच्चे को स्कूल जाने की आदत बनाने पर जोर दिया जाता है। अगर बच्चा पहले से ही उस रूटीन में ढल जाएगा, तो स्कूल जाने के दौरान उसे परेशानी नहीं होगी।
बच्चे को खुद से करने दें अपने काम
पहली बार स्कूल जाने वाले बच्चे अपने माँ-बाप को याद करते हैं। इसका कारण है यह है कि बच्चों को अपना काम खुद करने की आदत नहीं होती है। पहली बार स्कूल जाकर उन्हें अपनी बात रखने में हिचकिचाहट महसूस होती है। इसी कारण से बच्चे डर जाते हैं और उन्हें एंग्जाइटी या तनाव महसूस होता है। ये उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। इस समस्या से बचने के लिए बच्चों को अपना काम खुद करने की आदत डालें। उन्हें भोजन खाना या टॉयलेट जाने का तरीका सिखा दें। इससे बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी नहीं होगी।
थैंक्यू और सॉरी बोलना सिखाएं
अपने बच्चों को सिखाएं कि बड़ों का आदर करें। उनमें थैंक्यू बोलने की आदत डालें। उन्हें सिखाएं कि जब आपको कोई चीज़ देता है या आप किसी से कुछ लेते हैं तो थैंक्यू जरूर कहें। साथ ही अपनी गलती पर सॉरी बोलना भी सिखाएं। बच्चों को सोशल सर्कल की अहमियत बताएं। इससे उनमें सभी से घुल-मिल कर रहने की आदत बनेगी।
स्कूल के वातावरण के बारे में बताएं
बच्चे को स्कूल भेजने से पहले ही स्कूल के वातावरण के बारे में बताया जाना चाहिए। उसे घर पर स्कूल भेजने के तीन महीने पहले से ही स्कूल क्या है और वहाँ पर कब, क्या और क्यूं होता है इस बात की जानकारी देनी चाहिए। इससे बच्चे को पहली बार स्कूल जाकर असहज महसूस नहीं होगा। उसे बताएं कि किस तरह वहां जाकर सभी बच्चे एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं, वहां मौजूद टीचर बच्चों को नए-नए गेम्स खिलाती हैं और तमाम बातें बच्चों के सामने रखें। इससे बच्चे स्कूल जाने के लिए उत्सुक होंगे और वहां खुश होकर जाना चाहेंगे।
बच्चे के साथ प्रैक्टिस करें
स्कूल के वातावरण में बच्चे को ढलने में समय लगेगा। लेकिन उसे मानसिक रूप से तैयार करने के लिए बच्चे के साथ आप घर पर अभ्यास कर सकते हैं। जिस तरह स्कूल में सुबह प्रेयर्स, फिर एक्टिविटी, ब्रेक और खेल आदि होता है, ठीक उसी तरह घर पर भी बच्चों के साथ ऐसा करें, उन्हें एक्टिवटीज दें और तय समय तक इन्हें करवाएँ। इससे बच्चे को स्कूल जाकर समस्या नहीं होगी।
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