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ऑस्ट्रेलियाई-जर्मन शोधकर्ताओं ने घातक त्वचा रोग 'टॉक्सिक एपिडर्मल नेक्रोलिसिस' का इलाज खोजा
वाल्टर और एलिजा हॉल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च (डब्ल्यूईएचआई) ने एक समाचार विज्ञप्ति में कहा, ''मेलबर्न में वाल्टर और एलिजा हॉल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च और जर्मनी में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ बायोकेमिस्ट्री के शोधकर्ताओं सहित एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ने नेचर में प्रकाशित एक सफल अध्ययन में टॉक्सिक एपिडर्मल नेक्रोलिसिस (टीईएन) के लिए पहला इलाज विकसित किया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बताया, लियेल सिंड्रोम के नाम से जाना जाने वाला टीईएन एक दुर्लभ त्वचा रोग है, जो त्वचा पर बड़े पैमाने पर छाले और त्वचा के डिटैचमेंट पैदा करता है। यह डिहाइड्रेशन, सेप्सिस, निमोनिया और ऑर्गन फेलियर का कारण बन सकता है।
संभावित रूप से यह घातक स्थिति सामान्य दवाओं के रिएक्शन से पैदा होती है। इसकी मृत्यु दर लगभग 30 प्रतिशत है।
नई स्टडी में पाया गया कि जेएके-एसटीएटी सिग्नलिंग पाथवे (एक सेल के अंदर प्रोटीन के बीच इंटरैक्शन की एक चेन, जो इम्यूनिटी, सेल डेथ और ट्यूमर फॉर्मेशन जैसी प्रक्रियाओं में शामिल होती है) का हाइपरएक्टिवेशन टीईएन का कारण है।
जेएके इनहिबिटर्स (इंफ्लेमेटरी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं का एक मौजूदा वर्ग) का उपयोग करके, वे टीईएन के रोगियों का इलाज करने में सक्षम थे।
वाल्टर और एलिजा हॉल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च (डब्ल्यूईएचआई) के अध्ययन के लेखक होली एंडर्टन ने कहा, "इस तरह की घातक बीमारियों का इलाज खोजना चिकित्सा अनुसंधान का प्रमुख कार्य है। मुझे इस अविश्वसनीय शोध सहयोग पर बहुत गर्व है, जिसने कई रोगियों के जीवन को बचाने में मदद की है।"
आगे कहा, ''हमारे शोध में इस थेरेपी से इलाज किए गए सभी सात लोगों में तेजी से सुधार और पूर्ण रिकवरी देखी गई, जिसमें आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिले है। इस शोध ने इस बीमारी के इलाज के आगे के रास्ते खोल दिए है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ये निष्कर्ष टॉक्सिक एपिडर्मल नेक्रोलिसिस (टीईएन) के इलाज महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
--आईएएनएस
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