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आगरा: मुगल काल की विरासत का अनूठा प्रमाण, पर्यटन में रखता है विशेष स्थान

khaskhabar.com : शनिवार, 11 मार्च 2023 11:56 AM (IST)
आगरा: मुगल काल की विरासत का अनूठा प्रमाण, पर्यटन में रखता है विशेष स्थान
ताजमहल
भारत के आगरा शहर में स्थित एक विश्व धरोहर मकबरा है। इसका निर्माण मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में करवाया था। ताजमहल मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसकी वास्तु शैली फारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के घटकों का अनोखा सम्मिलन है। सन् 1983 में, ताजमहल युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना। इसके साथ ही इसे विश्व धरोहर के सर्वत्र प्रशंसा पाने वाली, अत्युत्तम मानवी कृतियों में से एक बताया गया। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया है। साधारणतया देखे गये संगमरमर की सिल्लियों की बड़ी- बड़ी परतों से ढंक कर बनाई गई इमारतों की तरह न बनाकर इसका श्वेत गुम्बद एवं टाइल आकार में संगमरमर से ढंका है। केन्द्र में बना मकबरा अपनी वास्तु श्रेष्ठता में सौन्दर्य के संयोजन का परिचय देते हैं। ताजमहल इमारत समूह की संरचना की खास बात है कि यह पूर्णतया सममितीय है। इसका निर्माण सन् 1648 के लगभग पूर्ण हुआ था। उस्ताद अहमद लाहौरी को प्राय: इसका प्रधान रूपांकनकर्ता माना जाता है।

ताजमहल की वास्तुकला को दुनिया की किसी भी इमारत की वास्तुकला से ज्यादा नायाब माना जाता है। इसे 20 हजार मजदूरों ने 22 साल में पूरा किया था, इसका निर्माण 1648 में हो गया था। जबकि इसे बनाने की लागत उस समय 3.2 करोड़ रुपए आई थी। यह पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बना है। चांद की रोशनी में ताजमहल जगमगा उठता है। यमुना नदी इसे छूती हुई बहती है। हालांकि आजकल यमुना नदी ने अपना पाट कम कर लिया है। चौकोर प्लेटफॉर्म पर बना ताजमहल शाही शान का प्रतीक है। ताजमहल को बनाने में इंटरलॉकिंग अरबस्क तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। जिसमें प्रत्येक तत्व अलग होता है लेकिन यह मूल रूप से सबके साथ जुड़ा होता है। केन्द्रीय गुंबद का व्यास 58 मीटर है और इसकी ऊंचाई 213 फीट है। इसके चारों किनारों पर बनी मीनारों में 4 गुंबदनुमा कमरे भी हैं इसकी ऊंचाई 162.5 मीटर है। पूरे मकबरे को जटिल फूलों के डिजाइन के साथ एगेट और जेस्पर के कीमती रत्नों की लिखावट से सजाया गया है। इसके मुख्य मेहराब पर पवित्र कुरान की आयतें लिखी हैं।


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