Advertisement
कार्डियक अरेस्ट से बचे 5 में से 1 शख्स मौत के अनुभवों को कर सकता है याद

न्यूयॉर्क । कार्डिएक अरेस्ट के बाद कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) से बचे पांच लोगों में से एक व्यक्ति मौत के अनुभवों का वर्णन कर सकता है, जब वह बेहोश था और मौत के कगार पर था। यह बात एक अध्ययन से सामने आई है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के ग्रॉसमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन और अन्य जगहों के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में अध्ययन में 567 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया, जिनके दिल ने अस्पताल में भर्ती होने के दौरान धड़कना बंद कर दिया था।
जीवित बचे लोगों ने कार्डियक अरेस्ट के दौरान के अपने अनुभवों को बताया। इसमें शरीर से अलग होने का अनुभव, दर्द या परेशानी के बिना घटनाओं का अवलोकन और जीवन का एक सार्थक मूल्यांकन, जिसमें उनके कार्यों, इरादों और दूसरों के प्रति विचार शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने मौत के इन अनुभवों को मतिभ्रम, भ्रम, सपना या सीपीआर से आई चेतना से अलग पाया।
एनवाईयू लैंगोन हेल्थ में चिकित्सा विभाग के प्रमुख सैम पर्निया ने कहा कि याद किए गए अनुभव और मस्तिष्क तरंग परिवर्तन तथाकथित मौत के निकट के पहले के संकेत हो सकते हैं।
पर्निया ने एक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा, हमारे नतीजे इस बात का सबूत हैं कि मौत के कगार पर और कोमा में रहने के दौरान लोगों को बिना किसी परेशानी के एक अनोखे आंतरिक चेतन अनुभव से गुजरना पड़ता है।
सीपीआर में एक घंटे तक तथाकथित गामा, डेल्टा, थीटा, अल्फा और बीटा तरंगों सहित मस्तिष्क गतिविधि के स्पाइक्स का पता एक महत्वपूर्ण खोज थी।
इनमें से कुछ मस्तिष्क तरंगें आम तौर पर तब होती हैं, जब लोग सचेत होते हैं और उच्च स्तर का मानसिक कार्य करते हैं, इसमें सोच, स्मृति पुनप्र्राप्ति और सचेत धारणा शामिल है।
सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि शरीर के अन्य जैविक कार्यो की तरह स्वयं और चेतना की मानवीय भावना मृत्यु के समय पूरी तरह से बंद नहीं हो सकती है।
परनिया ने कहा इन अनुभवों को एक अव्यवस्थित या मरते हुए मस्तिष्क की चाल नहीं माना जा सकता, बल्कि एक अद्वितीय मानवीय अनुभव है जो मृत्यु के कगार पर उभरता है।
उन्होंने कहा यह स्पष्ट रूप से मानव चेतना के बारे में दिलचस्प प्रश्नों को प्रकट करता है।
-- आईएएनएस
जीवित बचे लोगों ने कार्डियक अरेस्ट के दौरान के अपने अनुभवों को बताया। इसमें शरीर से अलग होने का अनुभव, दर्द या परेशानी के बिना घटनाओं का अवलोकन और जीवन का एक सार्थक मूल्यांकन, जिसमें उनके कार्यों, इरादों और दूसरों के प्रति विचार शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने मौत के इन अनुभवों को मतिभ्रम, भ्रम, सपना या सीपीआर से आई चेतना से अलग पाया।
एनवाईयू लैंगोन हेल्थ में चिकित्सा विभाग के प्रमुख सैम पर्निया ने कहा कि याद किए गए अनुभव और मस्तिष्क तरंग परिवर्तन तथाकथित मौत के निकट के पहले के संकेत हो सकते हैं।
पर्निया ने एक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा, हमारे नतीजे इस बात का सबूत हैं कि मौत के कगार पर और कोमा में रहने के दौरान लोगों को बिना किसी परेशानी के एक अनोखे आंतरिक चेतन अनुभव से गुजरना पड़ता है।
सीपीआर में एक घंटे तक तथाकथित गामा, डेल्टा, थीटा, अल्फा और बीटा तरंगों सहित मस्तिष्क गतिविधि के स्पाइक्स का पता एक महत्वपूर्ण खोज थी।
इनमें से कुछ मस्तिष्क तरंगें आम तौर पर तब होती हैं, जब लोग सचेत होते हैं और उच्च स्तर का मानसिक कार्य करते हैं, इसमें सोच, स्मृति पुनप्र्राप्ति और सचेत धारणा शामिल है।
सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि शरीर के अन्य जैविक कार्यो की तरह स्वयं और चेतना की मानवीय भावना मृत्यु के समय पूरी तरह से बंद नहीं हो सकती है।
परनिया ने कहा इन अनुभवों को एक अव्यवस्थित या मरते हुए मस्तिष्क की चाल नहीं माना जा सकता, बल्कि एक अद्वितीय मानवीय अनुभव है जो मृत्यु के कगार पर उभरता है।
उन्होंने कहा यह स्पष्ट रूप से मानव चेतना के बारे में दिलचस्प प्रश्नों को प्रकट करता है।
-- आईएएनएस
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
यह भी प�?े
Advertisement
लाइफस्टाइल
Advertisement
Traffic
Features
