Advertisement
राम सेतु: असफलता से सबक लें अक्षय कुमार, भूमिका बदलने की जरूरत

—राजेश कुमार भगताणी
हिन्दी फिल्मों के सर्वाधिक सफल सितारों में शामिल अक्षय कुमार के लिए वर्ष 2022 पूरी तरह से निराश करने वाला रहा है। इस वर्ष उनकी प्रदर्शित समस्त फिल्मों को दर्शकों ने नकार दिया। यहाँ तक कि दिवाली के मौके पर प्रदर्शित हुई राम सेतु तक दर्शकों को अपने साथ जोडऩे में असफल साबित हुई। हालांकि इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 50 करोड़ के आंकड़े को पार करने में सफलता प्राप्त कर ली लेकिन यह अपनी 200 करोड़ की लागत को निकालने में पूरी तरह से असफल हो गई है। इससे पहले इस वर्ष अक्षय कुमार की प्रदर्शित फिल्मों बच्चन पांडे, कठपुतली, रक्षा बंधन का भी बॉक्स ऑफिस पर बुरा हाल हुआ था।
अक्षय कुमार हिन्दी फिल्मों के सबसे सफल सितारों में रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने कमोबेश अपनी हर प्रदर्शित फिल्म से बॉक्स ऑफिस पर 100 से 150 करोड़ तक की कमाई की है। उनकी गत वर्ष प्रदर्शित हुई फिल्म सूर्यवंशी उनके करियर की पहली ऐसी फिल्म रही है जिसने बॉक्स ऑफिस पर 294 करोड़ का कारोबार किया था। हालांकि इस फिल्म की सफलता में अजय देवगन और रणवीर सिंह का बड़ा योगदान रहा।
लगातार असफल हो रही फिल्मों से अक्षय कुमार को सबक लेते हुए अपनी भूमिकाओं में बदलाव की आवश्यकता पर ध्यान देना होगा। पिछले कुछ वर्षों से वे एक ही तरह की भूमिका करते नजर आ रहे हैं, जिसकी वजह से दर्शकों में उनको लेकर उत्साह की कमी नजर आने लगी है। अक्षय अच्छे अभिनेता हैं इसलिए जरूरी नहीं है कि वे लगातार नायक के तौर पर ही फिल्मों में नजर आए हैं। उन्हें कुछ ऐसी भूमिकाओं की तरफ भी ध्यान देना चाहिए जो नायक से ज्यादा किरदार को ध्यान में रखकर लिखी गई हो। ऐसा ही कुछ समय संजय दत्त की जिन्दगी में भी आया था जब दर्शकों ने उन्हें नायक के तौर पर अस्वीकार कर दिया था। संजय दत्त ने कुछ चिंतन के बाद स्वयं को दूसरी भूमिकाओं में लाना शुरू किया, विशेष रूप से खलनायक के तौर पर, जहाँ उन्होंने बेहतरीन पारी खेलनी शुरू की। आज संजय दत्त विलेन की भूमिका के लिए निर्माता निर्देशकों की पहली पसन्द हैं।
अक्षय कुमार प्रतिभाशाली हैं, वे किसी भी तरह की भूमिका को परदे पर उतारने में कामयाब हो सकते हैं। उन्हें नायक के किरदार से बाहर आने की जरूरत है। वैसे भी आजकल फिल्म लेखक नायक से ज्यादा चरित्र भूमिका को भारी भरकम अंदाज में पेश करते हैं। इसके अतिरिक्त अक्षय कुमार को युवा लेखक निर्देशकों के साथ काम करने की जरूरत है जो उन्हें नये अंदाज में परदे पर उतारने में कामयाब हो सकते हैं। संजय दत्त के बाद अक्षय कुमार के सामने सैफ अली खान का उदाहरण है। आज सशक्त चरित्र भूमिका या खलनायक की भूमिका के लिए सैफ को ध्यान में रखा जा रहा है। निर्देशक ओम राउत की तान्हाजी इसका सशक्त उदाहरण है। इन्हीं के निर्देशन में बन रही आदिपुरुष में भी सैफ खलपात्र को परदे पर जीवंत करते नजर आएंगे।
अक्षय कुमार दर्शकों की नजरों में बने रहना चाहते हैं तो उन्हें भी नायकत्व का मोह छोडक़र ऐसी भूमिकाओं में आने के लिए तैयार होना पड़ेगा।
हिन्दी फिल्मों के सर्वाधिक सफल सितारों में शामिल अक्षय कुमार के लिए वर्ष 2022 पूरी तरह से निराश करने वाला रहा है। इस वर्ष उनकी प्रदर्शित समस्त फिल्मों को दर्शकों ने नकार दिया। यहाँ तक कि दिवाली के मौके पर प्रदर्शित हुई राम सेतु तक दर्शकों को अपने साथ जोडऩे में असफल साबित हुई। हालांकि इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 50 करोड़ के आंकड़े को पार करने में सफलता प्राप्त कर ली लेकिन यह अपनी 200 करोड़ की लागत को निकालने में पूरी तरह से असफल हो गई है। इससे पहले इस वर्ष अक्षय कुमार की प्रदर्शित फिल्मों बच्चन पांडे, कठपुतली, रक्षा बंधन का भी बॉक्स ऑफिस पर बुरा हाल हुआ था।
अक्षय कुमार हिन्दी फिल्मों के सबसे सफल सितारों में रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने कमोबेश अपनी हर प्रदर्शित फिल्म से बॉक्स ऑफिस पर 100 से 150 करोड़ तक की कमाई की है। उनकी गत वर्ष प्रदर्शित हुई फिल्म सूर्यवंशी उनके करियर की पहली ऐसी फिल्म रही है जिसने बॉक्स ऑफिस पर 294 करोड़ का कारोबार किया था। हालांकि इस फिल्म की सफलता में अजय देवगन और रणवीर सिंह का बड़ा योगदान रहा।
लगातार असफल हो रही फिल्मों से अक्षय कुमार को सबक लेते हुए अपनी भूमिकाओं में बदलाव की आवश्यकता पर ध्यान देना होगा। पिछले कुछ वर्षों से वे एक ही तरह की भूमिका करते नजर आ रहे हैं, जिसकी वजह से दर्शकों में उनको लेकर उत्साह की कमी नजर आने लगी है। अक्षय अच्छे अभिनेता हैं इसलिए जरूरी नहीं है कि वे लगातार नायक के तौर पर ही फिल्मों में नजर आए हैं। उन्हें कुछ ऐसी भूमिकाओं की तरफ भी ध्यान देना चाहिए जो नायक से ज्यादा किरदार को ध्यान में रखकर लिखी गई हो। ऐसा ही कुछ समय संजय दत्त की जिन्दगी में भी आया था जब दर्शकों ने उन्हें नायक के तौर पर अस्वीकार कर दिया था। संजय दत्त ने कुछ चिंतन के बाद स्वयं को दूसरी भूमिकाओं में लाना शुरू किया, विशेष रूप से खलनायक के तौर पर, जहाँ उन्होंने बेहतरीन पारी खेलनी शुरू की। आज संजय दत्त विलेन की भूमिका के लिए निर्माता निर्देशकों की पहली पसन्द हैं।
अक्षय कुमार प्रतिभाशाली हैं, वे किसी भी तरह की भूमिका को परदे पर उतारने में कामयाब हो सकते हैं। उन्हें नायक के किरदार से बाहर आने की जरूरत है। वैसे भी आजकल फिल्म लेखक नायक से ज्यादा चरित्र भूमिका को भारी भरकम अंदाज में पेश करते हैं। इसके अतिरिक्त अक्षय कुमार को युवा लेखक निर्देशकों के साथ काम करने की जरूरत है जो उन्हें नये अंदाज में परदे पर उतारने में कामयाब हो सकते हैं। संजय दत्त के बाद अक्षय कुमार के सामने सैफ अली खान का उदाहरण है। आज सशक्त चरित्र भूमिका या खलनायक की भूमिका के लिए सैफ को ध्यान में रखा जा रहा है। निर्देशक ओम राउत की तान्हाजी इसका सशक्त उदाहरण है। इन्हीं के निर्देशन में बन रही आदिपुरुष में भी सैफ खलपात्र को परदे पर जीवंत करते नजर आएंगे।
अक्षय कुमार दर्शकों की नजरों में बने रहना चाहते हैं तो उन्हें भी नायकत्व का मोह छोडक़र ऐसी भूमिकाओं में आने के लिए तैयार होना पड़ेगा।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
यह भी प�?े
Advertisement
बॉलीवुड
Advertisement
Traffic
Features
