Advertisement
ईवी इंडस्ट्री में अगले 5 से 6 वर्षों में आ सकता है 40 अरब डॉलर का निवेश!
एक प्रोफेशनल सर्विसेज और इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनी कोलियर्स की रिपोर्ट में बताया गया कि नियोजित निवेश का लगभग दो-तिहाई संभावित रूप से अकेले लिथियम-आयन बैटरी सेगमेंट में आ सकता है।
साथ ही बताया कि इन फंडों का निवेश सरकारी नीतियों के सफल कार्यान्वयन, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के बढ़ने और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग के स्केल-अप पर निर्भर करता है।
सरकार द्वारा ईवी इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि ईवी को बढ़ाने के लिए देश में चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना होगा। इससे 2030 तक 45 मिलियन स्क्वायर फीट के रियल एस्टेट की मांग पैदा होगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन वर्षों में घरेलू ईवी इंडस्ट्री में निवेश प्रतिबद्धताओं में तीन गुणा का इजाफा हुआ है। भारत में कुल ईवी पेनिट्रेशन रेट 8 प्रतिशत है।
कोलियर्स के मुताबिक भारत में ईवी की बिक्री 2024 में 20 लाख यूनिट्स के करीब रह सकती है।
कोलियर्स इंडिया, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बादल याग्निक ने कहा, "डिमांड और सप्लाई इंसेंटिव ईवी को अपनाने में महत्वपूर्ण निभाते रहेंगे, लेकिन लागत में कमी और कीमत के हिसाब से इलेक्ट्रिक वाहनों को किफायती बनाकर बिक्री को कई गुणा बढ़ाया जा सकता है।"
इलेक्ट्रिक वाहनों के घरेलू उत्पादन में वृद्धि के कारण 2030 तक लगभग 13,000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण हो सकता है और इस भूमि पर विकास की योजनाएं आ सकती हैं।
संभावित भूमि विकास अवसरों में से 80 प्रतिशत से अधिक लिथियम-आयन बैटरी निर्माताओं से आने की संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश भर में राजमार्गों, एक्सप्रेसवे और शहरी क्षेत्रों में चार्जिंग बुनियादी ढांचे के विस्तार में लिथियम-आयन बैटरी और सार्वजनिक निजी भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करना अनिवार्य है।
--आईएएनएस
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
ऑटोमोबाइल
Advertisement