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आपके घर के स्नानघर का आकार-प्रकार कैसा हो, यहां पढ़ें

रुबी गोस्वामी
आर्कीटेक्ट
जयपुर । विगत कुछ वर्षों में घर के स्नानघर के आकार-प्रकार और परिकल्पना में परिवर्तन हुए बहुत से महत्वपूर्ण हैं। कभी स्नान के लिए उपयोग में लाई जाने वाले नदियों नालों, झरनों तालाबो और पोखरों की जगह मानव ने जब ये सुविधा अपने घर की चार दीवारी में जुटाने की सोची तो उसकी बनावट विशेष की तरफ अधिक ध्यान नहीं दिया। घर के किसी अनुपयोगी कोने में चार दीवारें और एक दरवाज़ा लगा कर स्नान घर बना दिया जाता था जिसे घर के सभी सदस्य बारी बारी से उपयोग करते। ये प्रथा अब भी अधिकांश ग्रामीण इलाकों में अस्तित्व में है।
समय और परिस्थितियों के साथ स्नानघर के स्वरुप में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। आजकल जहाँ घर के अधिकांश हिस्सों की कल्पना सदस्यों के सामूहिक इस्तेमाल के लिए की जाने लगी है वहीं शयन कक्ष और स्नानघर अब व्यक्तिगत सुविधाओं और रुचियों का ध्यान रख कर बनाये जाते हैं। जिन्दगी की भाग दौड़ में सभी व्यस्त से अतिव्यस्त होते जा रहे हैं। इसी भागदौड़ में अपने लिए नितांत निजी और सुकून भरे पल बिताने के लिए स्नानघर एक बेहतरीन विकल्प के रूप में लोकप्रिय हो रहा है। स्नानघर की गुणवत्ता अब उसकी विशालता से नहीं बल्कि उसकी कलात्मकता से आंकी जाती है। लगभग सभी स्तरीय घरों में अब शयन कक्ष के साथ स्नानघर का होना अनिवार्य है।
स्नानघर की सुंदरता उसमें उपयोग की जाने वाली वस्तुएँ के सलीकेदार प्रदर्शन पर निर्भर करती है। ये सलीका एक कुशल आर्टिटेक्ट ही प्रदान कर सकता है। आर्किटेक्ट घर के मालिक की पसंद को समझकर उसके अनुसार सही डिजाइनदार पत्थर या बड़ी टाइल्स के साथ उपयोग किये जाने वाली प्रकाश व्यवस्था नल, शॉवर, दर्पण, पेंटिंग्स तथा दूसरी अन्य आवश्यक वस्तुओं का न केवल चुनाव करता है बल्कि उसे उपलब्ध जगह पर इस तरह करीने से सजाता है कि देखने वाला बिना वाह किये नहीं रह पाता।
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जयपुर । विगत कुछ वर्षों में घर के स्नानघर के आकार-प्रकार और परिकल्पना में परिवर्तन हुए बहुत से महत्वपूर्ण हैं। कभी स्नान के लिए उपयोग में लाई जाने वाले नदियों नालों, झरनों तालाबो और पोखरों की जगह मानव ने जब ये सुविधा अपने घर की चार दीवारी में जुटाने की सोची तो उसकी बनावट विशेष की तरफ अधिक ध्यान नहीं दिया। घर के किसी अनुपयोगी कोने में चार दीवारें और एक दरवाज़ा लगा कर स्नान घर बना दिया जाता था जिसे घर के सभी सदस्य बारी बारी से उपयोग करते। ये प्रथा अब भी अधिकांश ग्रामीण इलाकों में अस्तित्व में है।
समय और परिस्थितियों के साथ स्नानघर के स्वरुप में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। आजकल जहाँ घर के अधिकांश हिस्सों की कल्पना सदस्यों के सामूहिक इस्तेमाल के लिए की जाने लगी है वहीं शयन कक्ष और स्नानघर अब व्यक्तिगत सुविधाओं और रुचियों का ध्यान रख कर बनाये जाते हैं। जिन्दगी की भाग दौड़ में सभी व्यस्त से अतिव्यस्त होते जा रहे हैं। इसी भागदौड़ में अपने लिए नितांत निजी और सुकून भरे पल बिताने के लिए स्नानघर एक बेहतरीन विकल्प के रूप में लोकप्रिय हो रहा है। स्नानघर की गुणवत्ता अब उसकी विशालता से नहीं बल्कि उसकी कलात्मकता से आंकी जाती है। लगभग सभी स्तरीय घरों में अब शयन कक्ष के साथ स्नानघर का होना अनिवार्य है।
स्नानघर की सुंदरता उसमें उपयोग की जाने वाली वस्तुएँ के सलीकेदार प्रदर्शन पर निर्भर करती है। ये सलीका एक कुशल आर्टिटेक्ट ही प्रदान कर सकता है। आर्किटेक्ट घर के मालिक की पसंद को समझकर उसके अनुसार सही डिजाइनदार पत्थर या बड़ी टाइल्स के साथ उपयोग किये जाने वाली प्रकाश व्यवस्था नल, शॉवर, दर्पण, पेंटिंग्स तथा दूसरी अन्य आवश्यक वस्तुओं का न केवल चुनाव करता है बल्कि उसे उपलब्ध जगह पर इस तरह करीने से सजाता है कि देखने वाला बिना वाह किये नहीं रह पाता।
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