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जीवन का सच...............जगत् में मानव का अस्तित्व अन्ततः क्यों !

कहाँ जाना है? यह चराचर विश्व किस सूत्र में पिरोया हुआ है?
--जीवन का उद्देश्य : प्रकाश है !
उसको प्राप्त करने के लिए अनुभूति आवश्यक है !
यह प्रकाश मनुष्य को सहज प्राप्य क्यों नहीं है?
-विभिन्न अनुभव लेने के बाद भी' मनुष्य को ज्ञान प्राप्त नहीं हो पाता है !
मनुष्य जिसे ढूंढ़ रहा है ,
वह उसके अंदर ही है।
फिर मृग - मरीचिका की भांति आखिर भटकाव क्यों? ?
-#मनुष्य परिस्थितियों का दास है।
परिस्थिति के " क्रूर थपेड़े" खाता हुआ मनुष्य आखिर जीवन जीता तो है!
": काल की नदी:" दिन और रात के मोड़ लेते हुए बहती रहती है।मै क्या हूँ?
-- यह सब जानने के लिए,यह सब देखने के लिए एक अद्भुत सुप्त नेत्र अपने इस शरीर में ही है।
--उसका नाम है":- आत्मा:"
जिस समय यह नेत्र हम खोल लेते हैं, उस समय सभी समस्याएं मिट जाती हैं।
समस्त विश्व एक दिखाई देने लगता है।
इसलिए आत्मानंद ही सर्वश्रेष्ठ आनंद है।
आत्मा का ज्ञान!
आत्म- ज्ञान!
आत्म- बोध!
आत्म -दीपो- भवः!
--बुद्ध ने भी यही दर्शन पीड़ित विश्व को दिया था।
#रामावतार मीणा, पूर्व आईएएस. जयपुर ( राजस्थान )
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