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7 अक्टूबर को है स्नान, दान की शरद पूर्णिमा, मेष से लेकर मीन राशि करें इन मंत्रों का जाप

मेष से मीन राशि तक जानिए, कौन सा मंत्र करें जाप और क्या चढ़ाएं भोग:
मेष राशि: आपके स्वामी मंगल हैं, और लाल रंग आपके लिए विशेष फलदायक है। शरद पूर्णिमा की रात “ऊँ ऐं क्लीं सौं:” मंत्र का जाप करें। मां लक्ष्मी को खीर के साथ सेब का भोग अर्पित करें।
वृषभ राशि: आपके स्वामी शुक्र हैं, जिन्हें सफेद वस्तुएं प्रिय हैं। इस दिन “ऊँ ऐं क्लीं श्रीं” मंत्र का जाप करें। मां लक्ष्मी को खीर के साथ मखाने और नारियल अर्पित करें।
मिथुन राशि: बुध ग्रह के अधिपत्य वाली इस राशि के लिए हरा रंग शुभ है। “ऊँ क्लीं ऐं सौं:” मंत्र का जाप करें। खीर के साथ हरे सिंघाड़े या हरे फलों का भोग दें।
कर्क राशि: चंद्रमा की राशि होने से सफेद रंग विशेष प्रभावशाली है। “ऊँ ऐं क्लीं श्रीं” मंत्र का जाप करें और सफेद मिष्ठान अर्पित करें। इस दिन चंद्रमा की भी पूजा करें।
सिंह राशि: सूर्यदेव की राशि होने के कारण पीला और नारंगी रंग शुभ रहता है। “ऊँ हृीं श्रीं सौं:” मंत्र का जाप करें। खीर के साथ पीले या नारंगी फलों का भोग लगाएं।
कन्या राशि: बुध की इस राशि के लिए हरा रंग असरदार होता है। “ऊँ श्रीं ऐं सौं” मंत्र का जाप करें। खीर के साथ खीरा भोग में चढ़ाएं।
तुला राशि: शुक्र की राशि होने से सफेद और नारंगी रंग उत्तम माने गए हैं। “ऊँ हृीं क्लीं श्री” मंत्र का जाप करें। कौड़ियों के साथ सफेद मिष्ठान अर्पित करें।
वृश्चिक राशि: मंगल की इस राशि के लिए लाल रंग प्रिय है। “ऊँ ऐं क्लीं सौं” मंत्र का जाप करें। केसर वाली खीर और अनार का भोग लगाएं।
धनु राशि: गुरु बृहस्पति की राशि है, इसलिए पीला रंग श्रेष्ठ है। “ऊँ हृीं क्लीं सौं:” मंत्र का जाप करें। पीले फलों के साथ केसर वाली खीर अर्पित करें।
मकर राशि: शनि की राशि होने के कारण काला रंग लकी माना जाता है, पर पूजा में कमल पुष्प और खीर से मां को प्रसन्न करें। “ऊँ ऐं क्लीं हृीं श्रीं सौं” मंत्र का जाप करें।
कुंभ राशि: शनि की ही यह दूसरी राशि है, लेकिन शुभ रंग लाल है। “ऊँ हृीं ऐं क्लीं श्रीं” मंत्र का जाप करें। लाल गुड़हल का फूल और खीर मां लक्ष्मी को अर्पित करें।
मीन राशि: सूर्य की इस राशि के लिए पीला रंग शुभ है। “ऊँ हृीं क्लीं सौं” मंत्र का जाप करें। पीले फूल और फलों के साथ केसर वाली खीर का भोग लगाएं।
शरद पूर्णिमा न सिर्फ पूजा का पर्व है, बल्कि यह आत्मशुद्धि, श्रद्धा और भक्ति से भर जाने का अवसर है। इस रात की खीर अमृत के समान मानी जाती है, विशेष रूप से जब उसे चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी पूर्णतः मान्य हो, इसका दावा नहीं किया जा सकता। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पूर्व विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
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