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Sharad Purnima 2025: 6 या 7 अक्टूबर? जानिए इस वर्ष कब है शरद पूर्णिमा, चंद्रमा की अमृतवर्षा की रात

रास पूर्णिमा के रूप में भी इस दिन की बड़ी महत्ता है। मान्यता है कि वृंदावन में इसी रात श्रीकृष्ण ने रास रचाया था और गोपियों संग दिव्य लीला का आयोजन हुआ था। इस दृष्टि से यह तिथि प्रेम, भक्ति और सौंदर्य का प्रतीक भी मानी जाती है।
इस अवसर पर खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखना एक विशेष परंपरा है। यह खीर तुलसी पत्ते के साथ बनाकर खुले आकाश के नीचे रखी जाती है ताकि चंद्र किरणों में समाहित औषधीय तत्व उसमें प्रवेश कर सकें। अगली सुबह यह खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती है, जिससे न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है। आयुर्वेद के अनुसार भी चंद्रमा की रोशनी से प्रभावित दूध और चावल पाचन शक्ति को मजबूत करते हैं।
शरद पूर्णिमा की इस पावन रात में भक्तगण लक्ष्मी-नारायण की विधिवत पूजा कर धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं। दीप जलाकर रात्रि जागरण करने की परंपरा इसीलिए है ताकि माता लक्ष्मी की कृपा घर में बनी रहे।
इस प्रकार, 2025 में शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाएगी। यह दिन केवल खगोलीय घटना नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था, चिकित्सा विज्ञान और आध्यात्मिक साधना का एक अद्भुत संगम है जो भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाता है।
इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं, पंचांग और परंपराओं पर आधारित है। किसी भी विशेष अनुष्ठान से पहले अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ ज्योतिषी या पंडित से परामर्श अवश्य लें।
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