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रमा एकादशी पर सूर्य गोचर का दुर्लभ संयोग, भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा से मिलेगा अद्भुत फल

रमा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भक्तजन व्रत रखते हैं और माता लक्ष्मी सहित श्री हरि की विशेष पूजा करते हैं। किंतु इस वर्ष रमा एकादशी पर सूर्य गोचर का होना इसे और विशिष्ट बना देता है। जब सूर्य देव तुला राशि में प्रवेश करते हैं, तो यह क्षण ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। तुला राशि के स्वामी शुक्र होते हैं और सूर्य का यह परिवर्तन मंगल ग्रह की दृष्टि में आता है, जिससे शुभ प्रभाव कई राशियों पर पड़ेगा।
सूर्य को अर्घ्य और “आदित्य हृदय स्तोत्र” का पाठ देगा विशेष लाभ
इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करके सूर्य देव को जल अर्पित करना अति शुभ माना गया है। साथ ही “आदित्य हृदय स्तोत्र” का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से मानसिक शक्ति, आत्मबल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। पंडितों के अनुसार इस दिन लाल रंग की वस्तुओं का दान जैसे गेहूं, गुड़, तांबा, और लाल वस्त्र करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
रमा एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व
रमा एकादशी को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के रूप में जाना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन और श्रद्धा से इस व्रत को करता है, उसके जीवन में दरिद्रता का नाश होता है और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
पूजा की विधि और महत्व
इस दिन पूजा से पहले व्रत का संकल्प करना चाहिए। पूजा स्थल को स्वच्छ करके पीले रंग का कपड़ा बिछाया जाता है और उस पर भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित किए जाते हैं। इसके बाद उन्हें गंगाजल, रोली, चंदन, पीले फूल, मिठाई, फल और तुलसी पत्र अर्पित किए जाते हैं। पूजा के दौरान विष्णु सहस्रनाम, लक्ष्मी स्तोत्र, और रमा एकादशी व्रत कथा का श्रवण करना अत्यंत शुभ माना गया है। अंत में दीप आरती कर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
व्रतधारी को अगले दिन प्रातःकाल शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करना चाहिए। पारण से पूर्व भगवान विष्णु का पुनः स्मरण कर आभार व्यक्त करना जरूरी होता है।
सूर्य गोचर का राशियों पर प्रभाव
सूर्य जब तुला राशि में प्रवेश करते हैं, तो यह परिवर्तन विशेष रूप से सिंह, मीन, वृश्चिक और धनु राशि के जातकों के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है। इस दौरान सरकारी कार्यों में सफलता, समाज में प्रतिष्ठा और आत्मबल में वृद्धि संभव है। वहीं कुछ राशियों को सतर्क रहने की भी आवश्यकता हो सकती है, विशेषकर जिनकी कुंडली में सूर्य या मंगल पीड़ित हों।
ध्यान रखने योग्य बातें
इस दिन केवल उपवास करना ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि मन, वचन और कर्म से भी शुद्धता बनाए रखना अनिवार्य होता है। व्रत और पूजा के दौरान किसी का अपमान, असत्य भाषण या निंदा से बचना चाहिए। दिन भर भगवान के नाम का स्मरण और भजन-कीर्तन में मन लगाना चाहिए, तभी व्रत पूर्ण फलदायी होता है।
रमा एकादशी और सूर्य गोचर का यह संयोग भक्तों के लिए एक अद्वितीय अवसर है। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति, आंतरिक शांति और ग्रहों की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है। जो व्यक्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक इस दिन व्रत एवं पूजा करता है, उसके जीवन में निश्चित रूप से शुभता और समृद्धि का प्रवेश होता है।
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