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पूरे नौ दिन चलेंगे नवरात्रि, वर्ष में दो बार आती है गुप्त नवरात्रि

रविवार, 22 जनवरी से माघ मास की गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है। गुप्त नवरात्रि वर्ष में देवी के दस महाविद्याओं के स्वरूपों की साधना की जाती है। हिन्दी पंचांग में एक साल में चार बार नवरात्रि आते है। पहली चैत्र मास में, दूसरी आषाढ़, तीसरी आश्विन में और चौथी माघ मास में। माघ और आषाढ़ माह की नवरात्रि गुप्त मानी जाती है। चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि को प्रकट माना जाता है।
खास बात ये है कि इस बार तिथियों की घट-बढ़ नहीं रहेगी। जिससे नवरात्र पूरे नौ दिनों के ही रहेंगे। इसे अखंड नवरात्रि भी कहते हैं। पंडितों का मत है कि ये शुभ संयोग है, जो मंगलकारी रहेगा। इन योगों में की गई पूजा, दान-पुण्य और खरीद-फरोख्त विशेष फलदायी व समृद्धिकारक रहेगी।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में देवी मां के दस महाविद्याओं के स्वरूपों के लिए गुप्त साधनाएं की जाती हैं। इन महाविद्याओं में मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी शामिल हैं।
नवरात्रि के दिनों में व्रत-उपवास किए जाते हैं। देवी मां के भक्त अन्न का त्याग करते हैं और फलाहार से भूख शांत करते हैं। पूजा-पाठ जप, तप और साधनाओं से मन शांत होता है, नकारात्मक विचार दूर होते हैं। फलाहार से शरीर को लाभ मिलता है और जप-तप से मन को। उपवास करने से हमारे पाचन तंत्र को आराम मिलता है। खान-पान में संयम रखने से हम मौसम संबंधी बीमारियों से बचे रहते हैं। शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ी रहती है। जब हम खान-पान में संयम रखते हैं तो आलस नहीं आता है और मन पूजा-पाठ में लगा रहता है, भटकता नहीं है। पूजा-पाठ के बाद एकाग्र मन के साथ किए गए अन्य कामों में सफलता मिलती है।
नौ दिनों तक चलने वाले देवी आराधना के दिनों के मध्य में 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर बसंती पंचमी है। बसंती पंचमी को माँ सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है। लोक परंपराओं के मुताबिक यह शादियों के लिए अबूझ मुहूर्त होता है। इसलिए इस दिन बहुत शादियाँ रहेंगी। इन पर्व उत्सवों के दौरान देवगुरु बृहस्पति अपनी राशि में होंगे और शुक अपनी मित्र राशियों में रहेगा। इस साल ये दोनों ही ग्रह अस्त नहीं हैं। जिससे शुभ कामों के मुहूर्त में रुकावट नहीं होगी।
साल में आने वाली दोनों गुप्त नवरात्रि अपने आप में सिद्ध होती हैं। यानी इन दिनों में किए गए काम, पूजा-पाठ, खरीदारी और नई शुरुआत करने से सफलता मिलती है। इन तिथियों में चंद्रमा की कलाएं बढ़ती हैं। चंद्रमा मन का स्वामी होता है। इसलिए इन नौ दिनों में पूरे उत्साह और अच्छे मन के साथ किए गए काम पूरे होते हैं।
यह ऐसा विशेष समय होता है जब गृहस्थ और साधक कम समय में अपनी इच्छा अनुसार सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। इन दिनों मां दुर्गा की पूजा-उपासना की जाती है। यह नवरात्र तंत्र विद्या सीखने वाले और मंत्रों की सिद्धि चाहने वालों के लिए खास होती है। इस साल गुप्त नवरात्र पूरे नौ दिन की है। यानी अखंड नवरात्र जल्दी सफलता देने वाले माने गए हैं। गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि गुप्त नवरात्र में प्रलय एवं संहार के देवी-देवता रूद्र और मां काली की भी पूजा की जाती है।
गुप्त नवरात्र के दौरान 23 तारीख को व्हीकल खरीदी का विशेष मुहूर्त है। वहीं, 24, 25, 26, 27, 30 जनवरी को रवियोग रहेगा। वहीं, इन दिनों में 26 और 27 को सर्वार्थसिद्धि योग के साथ प्रॉपर्टी और व्हीकल खरीदारी का विशेष मुहूर्त भी रहेगा। इस तरह इन दिनों ज्वैलरी, वाहन, भूमि और भवन आदि की खरीद-फरोख्त करना फायदेमंद होगा।
खास बात ये है कि इस बार तिथियों की घट-बढ़ नहीं रहेगी। जिससे नवरात्र पूरे नौ दिनों के ही रहेंगे। इसे अखंड नवरात्रि भी कहते हैं। पंडितों का मत है कि ये शुभ संयोग है, जो मंगलकारी रहेगा। इन योगों में की गई पूजा, दान-पुण्य और खरीद-फरोख्त विशेष फलदायी व समृद्धिकारक रहेगी।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में देवी मां के दस महाविद्याओं के स्वरूपों के लिए गुप्त साधनाएं की जाती हैं। इन महाविद्याओं में मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी शामिल हैं।
नवरात्रि के दिनों में व्रत-उपवास किए जाते हैं। देवी मां के भक्त अन्न का त्याग करते हैं और फलाहार से भूख शांत करते हैं। पूजा-पाठ जप, तप और साधनाओं से मन शांत होता है, नकारात्मक विचार दूर होते हैं। फलाहार से शरीर को लाभ मिलता है और जप-तप से मन को। उपवास करने से हमारे पाचन तंत्र को आराम मिलता है। खान-पान में संयम रखने से हम मौसम संबंधी बीमारियों से बचे रहते हैं। शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ी रहती है। जब हम खान-पान में संयम रखते हैं तो आलस नहीं आता है और मन पूजा-पाठ में लगा रहता है, भटकता नहीं है। पूजा-पाठ के बाद एकाग्र मन के साथ किए गए अन्य कामों में सफलता मिलती है।
नौ दिनों तक चलने वाले देवी आराधना के दिनों के मध्य में 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर बसंती पंचमी है। बसंती पंचमी को माँ सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है। लोक परंपराओं के मुताबिक यह शादियों के लिए अबूझ मुहूर्त होता है। इसलिए इस दिन बहुत शादियाँ रहेंगी। इन पर्व उत्सवों के दौरान देवगुरु बृहस्पति अपनी राशि में होंगे और शुक अपनी मित्र राशियों में रहेगा। इस साल ये दोनों ही ग्रह अस्त नहीं हैं। जिससे शुभ कामों के मुहूर्त में रुकावट नहीं होगी।
साल में आने वाली दोनों गुप्त नवरात्रि अपने आप में सिद्ध होती हैं। यानी इन दिनों में किए गए काम, पूजा-पाठ, खरीदारी और नई शुरुआत करने से सफलता मिलती है। इन तिथियों में चंद्रमा की कलाएं बढ़ती हैं। चंद्रमा मन का स्वामी होता है। इसलिए इन नौ दिनों में पूरे उत्साह और अच्छे मन के साथ किए गए काम पूरे होते हैं।
यह ऐसा विशेष समय होता है जब गृहस्थ और साधक कम समय में अपनी इच्छा अनुसार सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। इन दिनों मां दुर्गा की पूजा-उपासना की जाती है। यह नवरात्र तंत्र विद्या सीखने वाले और मंत्रों की सिद्धि चाहने वालों के लिए खास होती है। इस साल गुप्त नवरात्र पूरे नौ दिन की है। यानी अखंड नवरात्र जल्दी सफलता देने वाले माने गए हैं। गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि गुप्त नवरात्र में प्रलय एवं संहार के देवी-देवता रूद्र और मां काली की भी पूजा की जाती है।
गुप्त नवरात्र के दौरान 23 तारीख को व्हीकल खरीदी का विशेष मुहूर्त है। वहीं, 24, 25, 26, 27, 30 जनवरी को रवियोग रहेगा। वहीं, इन दिनों में 26 और 27 को सर्वार्थसिद्धि योग के साथ प्रॉपर्टी और व्हीकल खरीदारी का विशेष मुहूर्त भी रहेगा। इस तरह इन दिनों ज्वैलरी, वाहन, भूमि और भवन आदि की खरीद-फरोख्त करना फायदेमंद होगा।
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