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महाशिवरात्रि : पूजन सामग्री में जरूर रखें धतूरा, दूर होगी दुख-दरिद्रता, शनि नहीं करेंगे परेशान

18 फरवरी 2023, दिन शनिवार को वर्ष 2023 का सबसे बड़ा त्योहार शिव रात्रि मनाई जाएगी। कहा जाता है कि इस रात्रि को भगवान का जन्म हुआ था। शिवरात्रि की पूजन सामग्री में बील पत्र, पुष्प, दूध, काले तिल, पुष्प माला, गाजर, बेर आदि के साथ ही धतूरे का भी अपना एक अस्तित्व है। कहते शिव पूजा में यदि धतूरा शामिल नहीं किया था शिव पूजा अधूरी रह जाती है। विशेष रूप से शिव रात्रि के दिन शिव पूजन सामग्री में धतूरा अवश्य होना चाहिए। इस दिन धतूरे के उपाय नौकरी, व्यापार और धन में वृद्धि के लिए फलदायी माना गया है। एक धतूरा आपके भाग्य को चमका सकता है।
शिव जी का धतूरे से गहरा संबंध है। पौराणिक कथानकों के अनुसार जब देवताओं ने समुद्र मंथन किया था तो अमृत प्राप्त होने से पहले इस मंथन से विष निकला था। भगवान विष्णु ने कहा कि इस विष को सिर्फ भगवान शिव अपने कंठ में समा सकते हैं। उनके कहने पर भगवान शिव ने उस विष को पीला था। इससे उसका कंठ नीला पड़ गया और इसी के चलते भगवान शिव को एक नया नाम नीलकंठ मिला। समुद्र मंथन से निकले विष को पीने के बाद भगवान शिव बैचेन हो गए थे, उनकी व्याकुलता दूर करने के देवताओं ने धतूरे, बेलपत्र की औषधि बनाकर उन्हें पिलाई थी। उसके बाद से ही भोलेनाथ की पूजा में धतूरा आवश्यक माना जाने लगा।
महाशिवरात्रि के दिन निशिता काल में काले धतूरे के फूल के साथ भोलेनाथ की पूजा करें। कहा जाता है इससे घर में सुख-शांति का आगमन होता है। साथ ही आर्थिक तंगी भी दूर होती है। महाशिवरात्रि के दिन काले धतूरे को फोडक़र उसका फल शिवलिंग पर अर्पित करें। फिर गंगाजल से धारा बनाकर 1008 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। शिव पूजा के वक्त किया गया यह कार्य नौकरी और व्यापार के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है.
महाशिवरात्रि के दिन घर में काले धतूरे का पौधा लगाने पर शिव जी की कृपा पूरे परिवार पर बरसती है। घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
शनि दोष के चलते तरक्की प्रभावित हो रही है या बार-बार काम बिगड़ रहे हैं तो महाशिवरात्रि के दिन काले धतूरे के पेड़ की जड़ का छोटा सा टुकड़ा अपने दाएं हाथ में धारण कर लें। कहते हैं कि ये जड़ शनि की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में मोडऩे का कार्य करती हैं।
धतूरा बेहद जहरीला होता है लेकिन ये शिव को अति प्रिय है। शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाकर मन और विचारों की कड़वाहट निकालने और मिठास को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए। ऐसा करना ही भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए सच्ची पूजा होगी।
शिव जी का धतूरे से गहरा संबंध है। पौराणिक कथानकों के अनुसार जब देवताओं ने समुद्र मंथन किया था तो अमृत प्राप्त होने से पहले इस मंथन से विष निकला था। भगवान विष्णु ने कहा कि इस विष को सिर्फ भगवान शिव अपने कंठ में समा सकते हैं। उनके कहने पर भगवान शिव ने उस विष को पीला था। इससे उसका कंठ नीला पड़ गया और इसी के चलते भगवान शिव को एक नया नाम नीलकंठ मिला। समुद्र मंथन से निकले विष को पीने के बाद भगवान शिव बैचेन हो गए थे, उनकी व्याकुलता दूर करने के देवताओं ने धतूरे, बेलपत्र की औषधि बनाकर उन्हें पिलाई थी। उसके बाद से ही भोलेनाथ की पूजा में धतूरा आवश्यक माना जाने लगा।
महाशिवरात्रि के दिन निशिता काल में काले धतूरे के फूल के साथ भोलेनाथ की पूजा करें। कहा जाता है इससे घर में सुख-शांति का आगमन होता है। साथ ही आर्थिक तंगी भी दूर होती है। महाशिवरात्रि के दिन काले धतूरे को फोडक़र उसका फल शिवलिंग पर अर्पित करें। फिर गंगाजल से धारा बनाकर 1008 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। शिव पूजा के वक्त किया गया यह कार्य नौकरी और व्यापार के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है.
महाशिवरात्रि के दिन घर में काले धतूरे का पौधा लगाने पर शिव जी की कृपा पूरे परिवार पर बरसती है। घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
शनि दोष के चलते तरक्की प्रभावित हो रही है या बार-बार काम बिगड़ रहे हैं तो महाशिवरात्रि के दिन काले धतूरे के पेड़ की जड़ का छोटा सा टुकड़ा अपने दाएं हाथ में धारण कर लें। कहते हैं कि ये जड़ शनि की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में मोडऩे का कार्य करती हैं।
धतूरा बेहद जहरीला होता है लेकिन ये शिव को अति प्रिय है। शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाकर मन और विचारों की कड़वाहट निकालने और मिठास को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए। ऐसा करना ही भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए सच्ची पूजा होगी।
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