Know when Tulsi Vivah will be performed on 12th or 13th November, auspicious time and mythological story-m.khaskhabar.com
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Dec 14, 2024 12:05 pm
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जानिये कब किया जाएगा तुलसी विवाह 12 या 13 नवम्बर को, शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा

khaskhabar.com : सोमवार, 04 नवम्बर 2024 11:17 AM (IST)
जानिये कब
किया जाएगा तुलसी विवाह 12 या 13 नवम्बर को, शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा
हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है। इस दिन माता तुलसी का विवाह शालिग्राम के साथ संपन्न करवाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शालिग्राम को भगवान विष्णु का रूप ही माना जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक तुलसी विवाह करवाने से जातक के दांपत्य जीवन में मधुरता और खुशहाली आती है। वहीं कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।


आइए डालते हैं एक नजर इस साल तुलसी विवाह की सही तिथि और पूजा शुभ मुहूर्त पर—
तुलसी विवाह तिथि और शुभ मुहूर्त 2024

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का आरंभ 12 नवंबर को शाम 4 बजकर 4 मिनट पर होगा। द्वादशी समाप्त 13 नवंबर 2024 को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, तुलसी विवाह 13 नवंबर को मनाया जाएगा। तुलसी विवाह और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 1 मिनट तक रहेगा।

तुलसी विवाह का महत्व

गौरतलब है कि हिंदू धर्म में तुलसी को अति पूजनीय माना गया है। मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा रहता है वहां सदैव धन, समृद्धि का वास रहता है। तुलसी की रोजाना पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वहीं तुलसी पूजा के दिन तुलसी माता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। साथ ही पति-पत्नी के बीच प्यार और बढ़ता और उनका रिश्ता पहले से भी अटूट हो जाता है। तुलसी पूजा के दिन भगवान शालिग्राम का दूल्हा और माता तुलसी का दुल्हन की तरह पूरा श्रृंगार किया जाता है।

तुलसी पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा

प्रचलित पौराणिक कथा के मुताबिक, जलंधर का जन्म भगवान शिव के क्रोध से हुआ था। जालंधर आगे चलकर असुरों का शासक बन गया और फिर उसे दैत्यराद जलंधर कहा जाने लगा। जलंधर का विवाह वृंदा से हुआ था वो एक पतिव्रता स्त्री थी। वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी। उसकी पतिव्रत की शक्तियों के कारण ही जलंधर दिनों दिन और शक्तिशाली होता चला गया है। वृंदा के पतिव्रत धर्म की वजह से ही देवता भी जलंधर से युद्ध में जीत नहीं सकते थे।

इस वजह से जलंधर को अपनी शक्ति का बहुत अभिमान होने और फिर उसने देवताओं पत्नियों को भी सताने लगा। इस पर शिवजी क्रोधित हो गए, जिस कारण महादेव और जलंधर के बीच युद्ध भी हुआ। लेकिन, जलंधर की शक्ति के कारण महादेव का हर प्रहार विफल होता गया। तब भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण कर वृंदा के पास पहुंच गए। विष्णु जी को जलंधर के रूप में देखकर उससे वृंदा अपने पति की तरह व्यवहार करने लगी और फिर वृंदा का पतिव्रता भंग हो गया। इस तरह महादेव द्वारा जलंधर का वध किया गया। इसके बाद वृंदा ने विष्णु जी को श्राप देकर पत्थर का बना दिया था। लेकिन फिर लक्ष्मी माता की विनती के बाद उन्हें वापस सही करके सती हो गई थीं। उनकी राख से ही तुलसी के पौधे का जन्म हुआ और उनके साथ शालिग्राम के विवाह की परंपरा की शुरुआत हुई।

नोट—यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खास खबर डॉट कॉम एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।

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