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निष्काम साधना का तत्त्वज्ञान, निष्फल नहीं जाती गायत्री साधना

निष्काम भावना से साधना करने वाला भी सकाम साधना करने वालों से कम लाभ में नहीं रहता। माता से यह छिपा नहीं है कि उसके पुत्र को वस्तुत: किस वस्तु की आवश्यकता है। जो आवश्यकता उसकी दृष्टि में उचित है, उससे वह अपने किसी बालक को वञ्चित नहीं रहने देती। अच्छा हो हम निष्काम साधना करें और चुपचाप देखते रहें कि हमारे जीवन के प्रत्येक क्षण में वह आद्यशक्ति किस प्रकार सहायता कर रही है। श्रद्धा और विश्वास के साथ जिसने माता का आश्रय लिया है, वह अपने सिर पर एक दैवी छत्रछाया का अस्तित्व प्रतिक्षण अनुभव करेगा और अपनी उचित आवश्यकताओं से कभी वञ्चित नहीं रहेगा। यह मान्य तथ्य है कि कभी किसी की गायत्री साधना निष्फल नहीं जाती।
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