Advertisement
आत्म-शक्ति का अकूत भण्डार: गायत्री महाविज्ञान
गायत्री परिवार/प्रज्ञा परिवार/युग निर्माण परिवार — युग निर्माण योजना को सफल एवं विश्वव्यापी बनाने के लिए पारिवारिक अनुशासन में गठित सृजनशील संगठन, जिसे गायत्री उपासना के आधार पर गायत्री परिवार, व्यक्तित्व परिष्कार के लिए आवश्यक दूरदर्शी विवेकशीलता के आधार पर प्रज्ञा परिवार एवं मानव मात्र के समग्र नव निर्माण के लिए प्रतिबद्धता के आधार पर युग निर्माण परिवार कहा जाता है।
लक्ष्य एवं उद्देश्य
— मनुष्य में देवत्व का उदय, धरती पर स्वर्ग का अवतरण।
— व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण।
— स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन, सभ्य समाज।
— आत्मवत् सर्वभूतेषु, वसुधैव कुटुंबकम्।
— एक राष्ट्र, एक भाषा, एक धर्म, एक शासन।
— लिंगभेद, जातिभेद, वर्गभेद से ऊपर उठकर सबको विकास का अवसर।
योजना के उद्घोषक-विस्तारक— युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा—प्रखर प्रज्ञा - सजल श्रद्धा।
तीन समर्थ आयाम :—योजना-शक्ति-ईश्वर की —अनुशासन-संरक्षण-ऋषियों का — पुरुषार्थ-सहकार-सत्पुरुषों का।
आत्मनिर्माण के दो सूत्र:—उत्कृष्ट चिन्तन, आदर्श कर्तृत्व
इक्कीसवीं सदी- उज्ज्वल भविष्य हम सुधरेंगे-युग सुधरेगा। हम बदलेंगे-युग बदलेगा।
सावधान। नया युग आ रहा है।
हमारी युग निर्माण योजना- सफल हो, सफल हो, सफल हो।
वन्दे- वेद मातरम्।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
गॉसिप्स
Advertisement