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क्या अब कांग्रेस राजस्थान के नेताओं पर भरोसा करेगी?

सैयद हबीब
उदयपुर । राजस्थान कांग्रेस नेताओं के बतौर प्रभारी काम करने के तरीकों पर सवाल उठने लगे हैं। गुजरात कांग्रेस के प्रभारी रघु शर्मा ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा हाईकमान को भेज दिया है। गुजरात में कांग्रेस का सबसे बुरा प्रदर्शन रहा है। इससे पहले राजस्थान कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी के नेतृत्व में पार्टी सत्ता से बाहर गई। डॉ. सीपी जोशी बिहार में और धीरज गुर्जर उत्तर प्रदेश में प्रभारी रहे, जहां पार्टी का बहुत ही निराशाजनक प्रदर्शन रहा। अब पार्टी को राजस्थान के कांग्रेस नेताओं पर विचार करना पड़ेगा। यह बात सच है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जरूर अन्य राज्यों में बतौर प्रभारी अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहे थे।
गुजरात चुनाव में बुरी तरह से हारने की जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस राज्य प्रभारी रघु शर्मा ने इस्तीफा दे दिया है। बतौर प्रभारी रहते हुए रघु शर्मा वहां के नेताओं के साथ तालमेल नहीं बैठा सके। आप और भाजपा की चुनावी रणनीति को नहीं समझ सके। यही वजह है कि हार्दिक पटेल भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर प्रभारी रघु शर्मा पर आरोप लगाए थे।
इससे पहले पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी भी राजस्थान कांग्रेस के नेताओं को दी गई थी। तब पार्टी के शर्मनाक प्रदर्शन के बाद पार्टी ने इन नेताओं को हटाया। सबसे निराशाजनक प्रदर्शन उत्तर प्रदेश पा रहा है, जहां पार्टी महज 3 सीटों पर ही सिमट गई। तब भी इन नेताओं की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे थे। उत्तर प्रदेश चुनावों में राजस्थान कांग्रेस के तीन नेताओं के पास बड़ी जिम्मेदारी थी। इनमें अलवर के पूर्व सांसद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह तब यूपी में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन थे। पूर्व विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर और जुबेर खान कांग्रेस के सह प्रभारी थे।
राजस्थान के नेता डॉ. सीपी. जोशी को एक बार बिहार का प्रदेश प्रभारी बनाया था। तब बिहार में कांग्रेस बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीपी जोशी को हटाकर शक्ति सिंह गोहिल को प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी थी। क्योंकि सीपी जोशी और उस वक्त बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी के बीच तालमेल नहीं बैठ पाया था। तब डॉ. सीपी जोशी के पास नार्थ ईस्ट के कई राज्यों का प्रभार था।
उदयपुर । राजस्थान कांग्रेस नेताओं के बतौर प्रभारी काम करने के तरीकों पर सवाल उठने लगे हैं। गुजरात कांग्रेस के प्रभारी रघु शर्मा ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा हाईकमान को भेज दिया है। गुजरात में कांग्रेस का सबसे बुरा प्रदर्शन रहा है। इससे पहले राजस्थान कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी के नेतृत्व में पार्टी सत्ता से बाहर गई। डॉ. सीपी जोशी बिहार में और धीरज गुर्जर उत्तर प्रदेश में प्रभारी रहे, जहां पार्टी का बहुत ही निराशाजनक प्रदर्शन रहा। अब पार्टी को राजस्थान के कांग्रेस नेताओं पर विचार करना पड़ेगा। यह बात सच है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जरूर अन्य राज्यों में बतौर प्रभारी अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहे थे।
गुजरात चुनाव में बुरी तरह से हारने की जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस राज्य प्रभारी रघु शर्मा ने इस्तीफा दे दिया है। बतौर प्रभारी रहते हुए रघु शर्मा वहां के नेताओं के साथ तालमेल नहीं बैठा सके। आप और भाजपा की चुनावी रणनीति को नहीं समझ सके। यही वजह है कि हार्दिक पटेल भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर प्रभारी रघु शर्मा पर आरोप लगाए थे।
इससे पहले पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी भी राजस्थान कांग्रेस के नेताओं को दी गई थी। तब पार्टी के शर्मनाक प्रदर्शन के बाद पार्टी ने इन नेताओं को हटाया। सबसे निराशाजनक प्रदर्शन उत्तर प्रदेश पा रहा है, जहां पार्टी महज 3 सीटों पर ही सिमट गई। तब भी इन नेताओं की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे थे। उत्तर प्रदेश चुनावों में राजस्थान कांग्रेस के तीन नेताओं के पास बड़ी जिम्मेदारी थी। इनमें अलवर के पूर्व सांसद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह तब यूपी में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन थे। पूर्व विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर और जुबेर खान कांग्रेस के सह प्रभारी थे।
राजस्थान के नेता डॉ. सीपी. जोशी को एक बार बिहार का प्रदेश प्रभारी बनाया था। तब बिहार में कांग्रेस बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीपी जोशी को हटाकर शक्ति सिंह गोहिल को प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी थी। क्योंकि सीपी जोशी और उस वक्त बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी के बीच तालमेल नहीं बैठ पाया था। तब डॉ. सीपी जोशी के पास नार्थ ईस्ट के कई राज्यों का प्रभार था।
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