what a coincidence, the party which will win the New Delhi Lok Sabha seat will form the government at the same center!-m.khaskhabar.com
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संयोग : जो पार्टी नई दिल्ली लोकसभा सीट जीतेगी वही केंद्र में सरकारी बनाएगी!

khaskhabar.com : गुरुवार, 02 मई 2019 10:51 PM (IST)
संयोग : जो पार्टी नई दिल्ली लोकसभा सीट जीतेगी वही केंद्र में सरकारी बनाएगी!
नई दिल्ली। इसे संयोग कहें या कुछ और, 1992 के उपचुनाव से जो भी पार्टी नई दिल्ली लोकसभा सीट जीती है, वही केंद्र में सरकार बनाती रही है। असल में, 1951 से 16 आम चुनाव और दो उपचुनाव में 13 बार ऐसा हुआ है कि जिस पार्टी ने यह सीट जीती उसने ही केंद्र में सरकार बनाई।

इस बार यह देखने लायक होगा कि क्या फिर से एक बार ऐसा होता है।

यह प्रतिष्ठित निर्वाचन क्षेत्र, जिसका मतदाता अभिजात वर्ग, मध्यम वर्ग के केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और समाज के सबसे निचले तबके के लोगों का मिश्रण है, दिल्ली के सात निर्वाचन क्षेत्रों में सबसे पुराना है।

निर्वाचन क्षेत्र में संसद भवन, सर्वोच्च न्यायालय, केंद्र सरकार के कार्यालय, राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास, प्रधानमंत्री, सभी केंद्रीय मंत्री, शीर्ष नागरिक, न्यायिक, सैन्य अधिकारी और राजनयिक परिक्षेत्र जैसे प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं।

इसमें खान मार्केट, डिफेंस कॉलोनी, साउथ एक्सटेंशन, कनॉट प्लेस, ग्रीन पार्क, हौज खास और लाजपत नगर जैसे हाई प्रोफाइल मार्केट भी आते हैं। 1951 में अस्तित्व में आया यह निर्वाचन क्षेत्र हमेशा से ही उच्च मुकाबले के लिए जाना जाता है।

2014 के चुनाव में यह सीट भाजपा प्रत्याशी मीनाक्षी लेखी ने जीती थी। उन्हें 4,53,350 वोट (47.02 प्रतिशत) मिले थे, जबकि आप के प्रत्याशी आशीष खेतान को 2,90,642 वोट (30.14 प्रतिशत) और कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन को 1,82,893 वोट (18.97 प्रतिशत) प्राप्त हुए थे।

2004 और 2009 में जब केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार बनी थी तब नई दिल्ली ने माकन के लिए वोट किया था। वर्ष 2009 में कांग्रेस नेता माकन ने भाजपा के विजय गोयल को 1,87,809 वोटों से हराया और 2004 में भाजपा के जगमोहन को 12,784 वोटों से शिकस्त दी थी।

1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने केंद्र में सरकार बनाई थी। तब यहां से भाजपा के जगमोहन ने कांग्रेस के नेता आर. के. धवन को हराकर जीत हासिल की थी। दिलचस्प बात यह है कि दोनों बार जीत का अंतर 30,000 वोटों का रहा।

वर्ष 1996 में जब निर्वाचन क्षेत्र ने भाजपा के जगमोहन को जनादेश दिया, उस वक्त भाजपा लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई और केंद्र में सरकार बनाई। हालांकि, सरकार केवल 13 दिनों में ध्वस्त हो गई क्योंकि वह सदन के पटल पर अपेक्षित बहुमत नहीं जुटा सकी।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल जगमोहन ने उग्रवाद के चरम के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी अभिनेता से नेता बने राजेश खन्ना को 58,315 मतों से हराया था।

-- आईएएनएस

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