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खेती-बाड़ी से खुशहाली की राह दिखा रहा है मरुस्थल का यह कृषि विज्ञान केन्द्र, देखें तस्वीरें

जैसलमेर । किसानों को कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में तकनीकि रूप से सशक्त बनाने में कृषि विज्ञान केन्द्रों की भूमिका बहुत अधिक है। राजस्थान की सीमा पर अवस्थित जैसलमेर जिले में जैसलमेर तथा पोकरण में कृषि विज्ञान केन्द्र संचालित हैं।
कृषि विज्ञान केन्द्र जैसलमेर कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में लगातार नई-नई कृषि तकनीकों को किसानों के बीच में पहुंचाने में सफल रहा है। इसी का परिणाम है कि एवं जिस का परिणाम आज धीर- धीरे जैसलमेर की कृषि में दिखाई देने लगा है, जिस की वजह से जैसलमेर जिले के कृषक भी आज अन्य क्षेत्र के किसानों की तरह कृषि में नवाचारों का प्रयोग कर खेती-बाड़ी को आधुनिक स्वरूप देने में सफल हो रहे हैं।
केंद्र के द्वारा जैसलमेर जिले के खडीन क्षेत्रों के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अन्तर्गत ‘‘राजस्थान के जैसलमेर जिले में खेती प्रणाली के प्रलेखन, चना एवं गेहूं फसलों में किस्मों एवं पोषक तत्व प्रबंधन का मूल्यांकन‘‘ विषय पर तीन वर्षों के लिए प्रोजेक्ट संचालित है। इसमें खड़ीन क्षेत्र में चना एवं गेंहू फसल की बुवाई का कार्य कृषि वैज्ञानिकों की देखरेख में किया गया है। इसका मूल्यांकन कार्य भी समय-समय पर किया जाता रहा है।
कृषि विज्ञान केन्द्र जैसलमेर कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में लगातार नई-नई कृषि तकनीकों को किसानों के बीच में पहुंचाने में सफल रहा है। इसी का परिणाम है कि एवं जिस का परिणाम आज धीर- धीरे जैसलमेर की कृषि में दिखाई देने लगा है, जिस की वजह से जैसलमेर जिले के कृषक भी आज अन्य क्षेत्र के किसानों की तरह कृषि में नवाचारों का प्रयोग कर खेती-बाड़ी को आधुनिक स्वरूप देने में सफल हो रहे हैं।
केंद्र के द्वारा जैसलमेर जिले के खडीन क्षेत्रों के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अन्तर्गत ‘‘राजस्थान के जैसलमेर जिले में खेती प्रणाली के प्रलेखन, चना एवं गेहूं फसलों में किस्मों एवं पोषक तत्व प्रबंधन का मूल्यांकन‘‘ विषय पर तीन वर्षों के लिए प्रोजेक्ट संचालित है। इसमें खड़ीन क्षेत्र में चना एवं गेंहू फसल की बुवाई का कार्य कृषि वैज्ञानिकों की देखरेख में किया गया है। इसका मूल्यांकन कार्य भी समय-समय पर किया जाता रहा है।
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