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संसद भवन में लगें सभी बलिदानियों की प्रतिमाएंः जयहिन्द

रोहतक। शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के बलिदान दिवस पर नवीन जयहिन्द ने रोहतक के भिवानी स्टैंड स्थित शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर फूल-माला चढ़ाकर शहीद दिवस मनाया। उन्होंने मांग की कि संसद भवन में सभी बलिदानियों की प्रतिमाएं लगनी चाहिए। इसके साथ ही भगत सिंह समेत सभी बलिदानियों को भारत रत्न मिलना चाहिए।
जयहिन्द का कहना है कि भारत में कानूनी तौर पर बलिदान दिवस 30 जनवरी को मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन महात्मा गांधी की हत्या हुई थी। लेकिन, 23 मार्च को सभी लोग अपने-अपने लेवल पर शहीद दिवस मनाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि भगत सिंह का बलिदान महात्मा गांधी के बलिदान से बड़ा नही था तो उनसे कम भी नहीं था।
इन सब क्रांतिकारियों ने लाला लाजपत राय की मृत्यु के जिम्मेदार अंग्रेज अफसर स्कॉट का वध करने की योजना बनाई। इस काम के लिए राजगुरु और भगत सिंह को चुना गया। राजगुरु तो अंग्रेजों को सबक सिखाने का अवसर ढूंढ़ते ही रहते थे। वह सुअवसर उन्हें मिल गया था। 19 दिसंबर, 1928 को राजगुरु, भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद ने सुखदेव के कुशल मार्गदर्शन के फलस्वरूप सांडर्स नाम के एक अन्य अंग्रेज अफसर, जिसने स्कॉट के कहने पर लाला लाजपत राय पर ताबड़तोड़ लाठियां चलायी थीं, का वध कर दिया।
अपने काम को पूरा करने के बाद भगत सिंह अंग्रेज साहब बनकर और राजगुरु उनके सेवक बनकर पुलिस को चकमा देकर लाहौर से निकल गए थे। उस समय भगत सिंह और राजगुरु के साथ दुर्गा भाभी भी थीं। वे भगत सिंह की परम सहयोगी थीं। दुर्गा भाभी का पूरा नाम दुर्गा देवी वोहरा था। वो मशहूर हुईं दुर्गा भाभी के रूप में। शहीद भगत सिंह ने 8 अप्रैल, 1929 को जब केंद्रीय असेंबली (अब संसद भवन) में बम फेंका और पर्चे बांटे तब बटुकेशवर दत्त उनके साथ थे। इसके बाद दोनों ने गिरफ्तारी दी और उनके खिलाफ मुकदमा चला। जब भगत सिंह को फांसी लगने वाली थी तो भगत सिंह जेल में ही साम्राज्यवाद मुर्दाबाद ओर इंक़लाब जिंदाबाद के नारे लगाए।
जयहिन्द का कहना है कि भारत में कानूनी तौर पर बलिदान दिवस 30 जनवरी को मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन महात्मा गांधी की हत्या हुई थी। लेकिन, 23 मार्च को सभी लोग अपने-अपने लेवल पर शहीद दिवस मनाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि भगत सिंह का बलिदान महात्मा गांधी के बलिदान से बड़ा नही था तो उनसे कम भी नहीं था।
इन सब क्रांतिकारियों ने लाला लाजपत राय की मृत्यु के जिम्मेदार अंग्रेज अफसर स्कॉट का वध करने की योजना बनाई। इस काम के लिए राजगुरु और भगत सिंह को चुना गया। राजगुरु तो अंग्रेजों को सबक सिखाने का अवसर ढूंढ़ते ही रहते थे। वह सुअवसर उन्हें मिल गया था। 19 दिसंबर, 1928 को राजगुरु, भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद ने सुखदेव के कुशल मार्गदर्शन के फलस्वरूप सांडर्स नाम के एक अन्य अंग्रेज अफसर, जिसने स्कॉट के कहने पर लाला लाजपत राय पर ताबड़तोड़ लाठियां चलायी थीं, का वध कर दिया।
अपने काम को पूरा करने के बाद भगत सिंह अंग्रेज साहब बनकर और राजगुरु उनके सेवक बनकर पुलिस को चकमा देकर लाहौर से निकल गए थे। उस समय भगत सिंह और राजगुरु के साथ दुर्गा भाभी भी थीं। वे भगत सिंह की परम सहयोगी थीं। दुर्गा भाभी का पूरा नाम दुर्गा देवी वोहरा था। वो मशहूर हुईं दुर्गा भाभी के रूप में। शहीद भगत सिंह ने 8 अप्रैल, 1929 को जब केंद्रीय असेंबली (अब संसद भवन) में बम फेंका और पर्चे बांटे तब बटुकेशवर दत्त उनके साथ थे। इसके बाद दोनों ने गिरफ्तारी दी और उनके खिलाफ मुकदमा चला। जब भगत सिंह को फांसी लगने वाली थी तो भगत सिंह जेल में ही साम्राज्यवाद मुर्दाबाद ओर इंक़लाब जिंदाबाद के नारे लगाए।
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