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प्रधानमंत्री मोदी निजी हस्तक्षेप से शिलांग के गुरुद्वारे को ध्वस्त करने से रोकें : ग्लोबल सिख काउंसिल
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में जी.एस.सी. अध्यक्ष लेडी सिंह कंवलजीत कौर ओबीई ने कहा कि यह चिंताजनक है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थित मेघालय सरकार ने शिलांग के बड़ा बाजार में दो शताब्दी पुराने गुरुद्वारा साहिब के साथ पंजाबी कॉलोनी को ध्वस्त करने का फैसला लिया है, जहां लगभग 340 परिवार रहते हैं। पंजाबी लेन (थम ल्यू मावलोंग) में स्थित इस गुरुद्वारे सहित अन्य धार्मिक स्थलों को भी सरकार की तथाकथित सौंदर्यीकरण परियोजना के तहत ध्वस्त करने की धमकी दी गई है।
उन्होंने कहा कि गुरुद्वारा गुरु नानक दरबार न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि इस क्षेत्र में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक स्मारक भी है, जो सिखों और क्षेत्र के समुदाय के बीच पुराने संबंधों का प्रतीक है। गुरु नानक देव जी की पूर्व यात्रा की स्मृति में बना यह गुरुद्वारा शांति, समानता और सार्वभौमिक भाईचारे के उस शाश्वत संदेश का भी प्रमाण है जो गुरु नानक देव जी ने दुनिया को दिया था। उन्होंने कहा कि इस गुरुद्वारे को तोड़ने से सिख कौम की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बड़ा झटका लगेगा।
जी.एस.सी. अध्यक्ष ने इस मुद्दे को मेघालय सरकार के साथ समय पर उठाने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रयासों की सराहना करते हुए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (डीएसजीएमसी) से कहा है कि वे तुरंत अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें और इस सिख तीर्थस्थल के विध्वंस को अविलंब रोकने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एनडीए सरकार से संपर्क करें।
इसके अलावा जी.एस.सी. ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान से भी अपील की है कि वे इस गुरुद्वारे के संरक्षण के लिए दबाव डालें और मौजूदा स्थिति का पता लगाने और मेघालय के सिखों का समर्थन करने के लिए सांसदों और विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल शिलांग भेजें।
इसके अलावा जी.एस.सी. ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से पूर्वी राज्य में ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण इस गुरुद्वारे की सुरक्षा के लिए त्वरित कार्रवाई करने की भी अपील की है। उन्होंने कहा कि गुरुद्वारा गुरु नानक दरबार, एक शताब्दी से अधिक समय से अस्तित्व में है और इसमें एक विरासत स्थल के रूप में क्षमता है, इसलिए इसे भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक स्मारकों की समृद्ध विरासत के तहत संरक्षित घोषित किया जाना चाहिए।
कंवलजीत कौर ने कहा कि पंजाबी लेन के सिख निवासियों के पास 1863 से पहले की जमीन के स्वामित्व के दस्तावेज हैं, इसलिए उनके कानूनी दावों को स्वीकार किया जाना चाहिए, जिससे जमीन और गुरुद्वारा दोनों पर उनका अधिकार साबित होता है। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे को ध्वस्त करने की अनुमति देना सिख विरासत के एक स्तंभ को मिटाने की अनुमति देना है। यह न केवल सिख क़ौम के लिए बल्कि भारत के विविध सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण के लिए भी क्षति है। उन्होंने सभी जिम्मेदार दलों को एकजुट होकर इस वास्तविक मुद्दे को वहां के अधिकारियों के समक्ष उठाने के लिए आमंत्रित किया है।
जी.एस.सी. ने सभी धर्मों के पूजा स्थलों के संरक्षण और रखरखाव पर जोर देते हुए कहा कि धार्मिक सहिष्णुता, आपसी सद्भाव और पवित्र स्थानों की सुरक्षा भारत के बुनियादी, नैतिक और आध्यात्मिक ढांचे के लिए महत्वपूर्ण है।
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