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झारखंड में बनती और बदलती रहीं सरकारें ,पर नक्सलवाद बना रहा चुनौती

रांची। बिहार से अलग निकलकर झारखंड राज्य बने तो करीब दो दशक गुजर गए। इस दौरान कई सरकारें आई और कई सरकारें चली गईं, कई मुख्यमंत्री बने और कई मुख्यमंत्री सत्ता से दूर हुए, लेकिन नक्सलवाद की समस्या तब भी थी और आज भी है। सभी सरकारें इसे चुनौती के रूप में लेते हुए खत्म करने का वादा जरूर करती रहीं।
कई राजनीतिक दल नक्सलवाद को खत्म करने के वादे के साथ सत्ता तक पहुंच भी गए, लेकिन लोगों के लिए यह समस्या आज भी बनी हुई है।
एकबार फिर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में कांग्रेस, झााखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की सरकार बनी है और इसके सामने में चुनौती नक्सलवाद की समस्या है।
झारखंड में नक्सल की समस्या का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि झारखंड में झामुमो नेता हेमंत सोरेन की अगुवाई में जिस दिन सरकार बनने जा रही थी, एक प्रकार से चुनौती देते हुए प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के नक्सलियों ने अड़की थाना क्षेत्र के सेल्दा में विस्फोटकों के जरिए सामुदायिक भवन को उड़ा दिया था।
कई राजनीतिक दल नक्सलवाद को खत्म करने के वादे के साथ सत्ता तक पहुंच भी गए, लेकिन लोगों के लिए यह समस्या आज भी बनी हुई है।
एकबार फिर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में कांग्रेस, झााखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की सरकार बनी है और इसके सामने में चुनौती नक्सलवाद की समस्या है।
झारखंड में नक्सल की समस्या का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि झारखंड में झामुमो नेता हेमंत सोरेन की अगुवाई में जिस दिन सरकार बनने जा रही थी, एक प्रकार से चुनौती देते हुए प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के नक्सलियों ने अड़की थाना क्षेत्र के सेल्दा में विस्फोटकों के जरिए सामुदायिक भवन को उड़ा दिया था।
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