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प्राकृतिक कृषि पद्धति से मज़बूत होगी किसानों की आर्थिकी : राज्यपाल
राज्यपाल ने किन्नौर ज़िला के कल्पा में कृषि विज्ञान केंद्र, शारबो में डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी द्वारा आयोजित किसान मेले के दौरान कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन में विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों को भारत में प्राकृतिक खेती से तैयार मोटे अनाज के व्यंजन परोसे गए।
उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए हमें प्राकृतिक उत्पादों को अपनाना होगा और इसके लिए हमें पौष्टिक अनाज की पैदावार करनी होगी। उन्होंने कहा कि किन्नौर जिला में बाजरा की खेती की संभावना है और किसानों को इस खेती का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से काले जीरे की खेती को प्रोत्साहित करने पर भी बल दिया।
उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को इस दिशा में कार्य करने और किसानों को प्रोत्साहित और प्रशिक्षित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यदि विश्वविद्यालय और किसान मिलकर इस दिशा में कार्य करें तो यह लाभकारी सिद्ध होगा।
उन्होंने जिला प्रशासन से पौष्टिक अनाज के लिए उपयुक्त विपणन प्रणाली विकसित करने और स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को अच्छा बाज़ार उपलब्ध करवाकर उन्हें प्रोत्साहित करने को कहा। इससे पहले, औद्यानिकी विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति और निदेशक, विस्तार शिक्षा डॉ. इंद्र देव ने राज्यपाल का स्वागत किया और क्षेत्रीय औद्यानिकी अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र शारबो की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर प्रगतिशील किसानों ने सेब की बागवानी, महिला सशक्तिकरण और कृषि, प्राकृतिक खेती, औषधीय पौधों और मधुमक्खी पालन के संबंध में अपने अनुभव भी साझा किए। शारबो केन्द्र के सह निदेशक डॉ. अशोक ठाकुर ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इससे पहले, राज्यपाल ने सब्जी उत्पादन अनुसंधान केंद्र कल्पा का भी दौरा किया और उच्च घनत्व सेब की बागवानी का जायज़ा लिया।
उन्होंने ड्रोन का प्रदर्शन भी देखा। उन्होंने कहा कि किसानों को कृषि में नवीन तकनीक का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्च घनत्व वृक्षारोपण एवं ड्रोन तकनीक का प्रयोग कर किसानों को काफी लाभ मिल सकता है। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा, किन्नौर के उपायुक्त तोरुल रवीश, पुलिस अधीक्षक विवेक चहल और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
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