Advertisement
आतंकवादियों से मुठभेड़ में घायल मेजर सतीश दहिया शहीद

नारनौल। कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले में नारनौल के गांव बनिहाड़ी
निवासी 31 वर्षीय मेजर सतीश दहिया गंभीर रूप से घायल हुए थे। जिनका बीती
रात्रि इलाज के दौरान देहांत हो गया। उनका पार्थिव शरीर आज देर सायं तक
उनके पैत्रिक गांव नांगल चैधरी से 6 किलोमीटर दूर गांव बनिहाड़ी में
पहुंचेगा।
सतीश दहिया की शहादत की खबर सुनकर पूरे गांव में गम का माहौल बना हुआ है। वही उनके माता पिता व पत्नी का भी बुरा है। कश्मीर में आतंकवादियों से लडते हुए गांव बनिहाडी निवासी मेजर सतीश दहिया बुरी तरह से घायल हो गये थे। जिनका बीती रात्रि निधन हो गया। मेजर सतीश दहिया का पार्थिव शरीर देर सायं तक उनके गांव पहुंचने की उम्मीद है। मेजर सतीश दहिया कश्मीर में तैनात था जहां आतंकवादी हमले में बुरी तरह से घायल हो गया था। मेजर सतीश दहिया का जन्म 22 सितम्बर 1985 को गांव बनिहाडी में पिता अंचल सिंह के यहां हुआ माता अनिता देवी के लाडप्यार में पले मेजर सतीश दहिया हमेशा से ही देश भक्ति की सोचता था। मेजर सतीश के साथियों ने बताया कि जब वे साथ पढते थे तो उनकी सोच हमेशा देश भक्ति की रही।
शहीद मेजर के पिता व माता इस समय उनकी मौत सूचना पाकर बडे दुखी हैं। आंखों से आंसू थमने का नाम नही ले रहे लेकिन फिर शहीर मेजर के पिता अंचल सिंह अपनी नम आंखों से यही कहते नजर आये कि मेरा बेटा देश के काम आया है। अंचल सिंह तीन भाई हैं और तीनों भाईयों के एक-एक पुत्र है। अंचल सिंह कहता है मेरे अब एक छोटी पौती है बडी होकर उसे भी सेना में भेजूंगा। शहीद मेजर की माता अनिता देवी के आंसू थमने का नाम नही ले पा रहे हैं।शहीद मेजर सतीश का जन्म जहां 22 सितम्बर 1985 को इसी गांव में हुआ था वही 17 फरवरी 2012 को शहीद मेजर ने सुजाता देवी के साथ सात फेरे लेकर उसे अपनी जीवन संगीनी बनाया। अब शहीद मेजर सतीश के एक चार वर्ष की मासूम बेटी भी है।
शहीद की पत्नी सुजाता देवी अब अपने पति को खो चुकी है। अपनी नम आंखों से सुजाता रोती हुई एक ही बात निकलती है मैं अब क्या कहुं मेरी तो अब जिन्दगी ही खत्म है गई। मेरा पति मैंने देश के लिए कुर्बान कर दिया। अब कुछ नही है हमारे पास देश को देने के लिए। गांव में पहुंचे बडे बुजुर्ग और रिश्तेदार सब शहीद मेजर सतीश की गाथा सुनाते नही थकते हर ओर जुंबा पर सतीश की काबिलियत को लेकर चर्चाऐं हैं। उसकी देश भक्ति और देश के प्रति समर्पित होती गांथाऐं लोगों की जुंबा पर है। शहीद मेजर सतीश का जन्म 22 सितम्बर 1985 को जब उनके गांव के इस घर मेें हुआ था तब पूरे घर में खुशियों का माहौल था और गांव में लड्डू बांटे जा रहे थे। इस घर में दूसरी खुशी 17 फरवरी 2012 को तब हुई तब शहीद मेजर की शादी होकर उनकी धर्मपत्नी सुजाता देवी इस घर में आई। लेकिन बुढे मां-बाप के साथ साथ एक चार वर्ष की मासूम की मां और शहीद सतीश की पत्नी सुजाता को क्या मालूम था कि चंद वर्ष बाद ही सतीश हम सब को छोड कर चला जायेगा।
सतीश दहिया की शहादत की खबर सुनकर पूरे गांव में गम का माहौल बना हुआ है। वही उनके माता पिता व पत्नी का भी बुरा है। कश्मीर में आतंकवादियों से लडते हुए गांव बनिहाडी निवासी मेजर सतीश दहिया बुरी तरह से घायल हो गये थे। जिनका बीती रात्रि निधन हो गया। मेजर सतीश दहिया का पार्थिव शरीर देर सायं तक उनके गांव पहुंचने की उम्मीद है। मेजर सतीश दहिया कश्मीर में तैनात था जहां आतंकवादी हमले में बुरी तरह से घायल हो गया था। मेजर सतीश दहिया का जन्म 22 सितम्बर 1985 को गांव बनिहाडी में पिता अंचल सिंह के यहां हुआ माता अनिता देवी के लाडप्यार में पले मेजर सतीश दहिया हमेशा से ही देश भक्ति की सोचता था। मेजर सतीश के साथियों ने बताया कि जब वे साथ पढते थे तो उनकी सोच हमेशा देश भक्ति की रही।
शहीद मेजर के पिता व माता इस समय उनकी मौत सूचना पाकर बडे दुखी हैं। आंखों से आंसू थमने का नाम नही ले रहे लेकिन फिर शहीर मेजर के पिता अंचल सिंह अपनी नम आंखों से यही कहते नजर आये कि मेरा बेटा देश के काम आया है। अंचल सिंह तीन भाई हैं और तीनों भाईयों के एक-एक पुत्र है। अंचल सिंह कहता है मेरे अब एक छोटी पौती है बडी होकर उसे भी सेना में भेजूंगा। शहीद मेजर की माता अनिता देवी के आंसू थमने का नाम नही ले पा रहे हैं।शहीद मेजर सतीश का जन्म जहां 22 सितम्बर 1985 को इसी गांव में हुआ था वही 17 फरवरी 2012 को शहीद मेजर ने सुजाता देवी के साथ सात फेरे लेकर उसे अपनी जीवन संगीनी बनाया। अब शहीद मेजर सतीश के एक चार वर्ष की मासूम बेटी भी है।
शहीद की पत्नी सुजाता देवी अब अपने पति को खो चुकी है। अपनी नम आंखों से सुजाता रोती हुई एक ही बात निकलती है मैं अब क्या कहुं मेरी तो अब जिन्दगी ही खत्म है गई। मेरा पति मैंने देश के लिए कुर्बान कर दिया। अब कुछ नही है हमारे पास देश को देने के लिए। गांव में पहुंचे बडे बुजुर्ग और रिश्तेदार सब शहीद मेजर सतीश की गाथा सुनाते नही थकते हर ओर जुंबा पर सतीश की काबिलियत को लेकर चर्चाऐं हैं। उसकी देश भक्ति और देश के प्रति समर्पित होती गांथाऐं लोगों की जुंबा पर है। शहीद मेजर सतीश का जन्म 22 सितम्बर 1985 को जब उनके गांव के इस घर मेें हुआ था तब पूरे घर में खुशियों का माहौल था और गांव में लड्डू बांटे जा रहे थे। इस घर में दूसरी खुशी 17 फरवरी 2012 को तब हुई तब शहीद मेजर की शादी होकर उनकी धर्मपत्नी सुजाता देवी इस घर में आई। लेकिन बुढे मां-बाप के साथ साथ एक चार वर्ष की मासूम की मां और शहीद सतीश की पत्नी सुजाता को क्या मालूम था कि चंद वर्ष बाद ही सतीश हम सब को छोड कर चला जायेगा।
[@ ठगों ने बजाया कुंवारों का बैंड,ठगे लाखों]
[@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
Advertisement
Advertisement
महेन्द्रगढ़
हरियाणा से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement
Traffic
Features
