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कमरे में अंगीठी जलाकर सोए दंपति, सुबह मृत मिले

जालंधर। पंजाब के जालंधर में अवतार नगर के मार्बल ठेकेदार रंजीत महतो (40) और उनकी पत्नी रीटा (33) बंद कमरे में अंगीठी जलाकर सो गए। सुबह उनकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि अंगीठी से निकली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस से उनका दम घुट गया। बिहार के रहने वाले अमरजीत ने बताया कि रंजीत महतो मूलरूप से बिहार के लक्खीसराय के रहने वाले हैं।
महतो दंपति के 2 बच्चे अपने चाचा के साथ दूसरे कमरे में सोए हुए थे इसलिए बच गए।
एक बच्चा दादा-दादी के पास बिहार गया हुआ था। रंजीत के भाई अमरजीत सिंह ने बताया कि गुरुवार शाम को सबने अंगीठी सेकी। रात 10 बजे वह बच्चों को लेकर ऊपर वाले कमरे में चले गए। अमरजीत के अनुसार, जाते समय उसने भाई से पूछा था कि क्या अंगीठी बुझा दें, तो वह बोले हम बुझा देंगे तुम लोग सो जाओ। सुबह देर तक भी भाई-भाभी नहीं उठे तो आवाजें दीं।
जवाब कोई नहीं मिला। इसके बाद पुलिस को बुलाया। पुलिस ने पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा। अंदर रीटा और रंजीत बेजान थे। पुलिस उन्हें सिविल अस्पताल लाई। अमरजीत ने बताया कि रंजीत 3 भाइयों में सबसे बड़े थे। वह मार्बल ठेकेदार थे। अमरजीत और सबसे छोटा कमलजीत मार्बल की घिसाई करते थे।
मकर संक्रांति पर छोटा भाई कमलजीत रंजीत के बेटे को लेकर अपने घर बिहार गया था। पिताजी रामेश्वर महतो और भाई को सूचना दे दी है। उनके लौटने पर अंतिम संस्कार किया गया। थाना भार्गव कैंप के एएसआई विजय कुमार ने कहा कि छोटे से कमरे में से धुआं निकलने के लिए एक भी खिडक़ी नहीं थी। पोस्टमार्टम से पता चला कि जलते कोयले से निकली गैस कार्बन मोनोऑक्साइड से मौतें हुई हैं।
महतो दंपति के 2 बच्चे अपने चाचा के साथ दूसरे कमरे में सोए हुए थे इसलिए बच गए।
एक बच्चा दादा-दादी के पास बिहार गया हुआ था। रंजीत के भाई अमरजीत सिंह ने बताया कि गुरुवार शाम को सबने अंगीठी सेकी। रात 10 बजे वह बच्चों को लेकर ऊपर वाले कमरे में चले गए। अमरजीत के अनुसार, जाते समय उसने भाई से पूछा था कि क्या अंगीठी बुझा दें, तो वह बोले हम बुझा देंगे तुम लोग सो जाओ। सुबह देर तक भी भाई-भाभी नहीं उठे तो आवाजें दीं।
जवाब कोई नहीं मिला। इसके बाद पुलिस को बुलाया। पुलिस ने पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा। अंदर रीटा और रंजीत बेजान थे। पुलिस उन्हें सिविल अस्पताल लाई। अमरजीत ने बताया कि रंजीत 3 भाइयों में सबसे बड़े थे। वह मार्बल ठेकेदार थे। अमरजीत और सबसे छोटा कमलजीत मार्बल की घिसाई करते थे।
मकर संक्रांति पर छोटा भाई कमलजीत रंजीत के बेटे को लेकर अपने घर बिहार गया था। पिताजी रामेश्वर महतो और भाई को सूचना दे दी है। उनके लौटने पर अंतिम संस्कार किया गया। थाना भार्गव कैंप के एएसआई विजय कुमार ने कहा कि छोटे से कमरे में से धुआं निकलने के लिए एक भी खिडक़ी नहीं थी। पोस्टमार्टम से पता चला कि जलते कोयले से निकली गैस कार्बन मोनोऑक्साइड से मौतें हुई हैं।
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