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लैंड पूलिंग योजनाः फागी रोड के किसानों को नए जेडीए आयुक्त जोगाराम से बंधी उम्मीद

डिग्गी रोड के किसानों ने की थी मंत्री धारीवाल से जेडीए को भूमि समर्पित करने की पेशकश
जयपुर। सरकार की भूमि एकीकरण (लैंड पूलिंग) योजना को लेकर फागी रोड के किसानों में अब उम्मीद की किरण जागी है। पिछले करीब 5 महीने से यह योजना ठंडे बस्ते में पड़ी थी। जबकि राज्य सरकार ने तत्कालीन जेडीए आयुक्त रवि जैन को फागी रोड की स्कीम बनाकर ड्राफ्ट मंजूरी के लिए सरकार को भिजवाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने इस फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। लेकिन, अब नए आयुक्त जोगाराम से किसानों को उम्मीद जगी है कि यह योजना अब साकार रूप लेगी।
उल्लेखनीय है कि सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी-2020 से आकर्षित होकर फागी रोड पर करीब 15 गांवों के सैंकड़ों किसानों ने आगे होकर सरकार को निःशुल्क भूमि समर्पित करने की पेशकश की थी। ताकि फागी रोड पर जेडीए की सुनियोजित आवासीय योजनाएं समय पर मूर्त रूप लें और इस क्षेत्र का तेजी से विकास हो सके। इसके लिए जेडीए को इस भूमि के हिसाब से अपनी आवासीय योजनाएं बनानी थी। साथ ही किसानों को समर्पित की जाने वाली भूमि के बदले कोई मुआवजा राशि भी नहीं देनी थी। बल्कि नियमानुसार विकसित जमीन ही देनी थी।
बालावाला-डिग्गी रोड भूमि एकीकरण (लैंड पूलिंग) विकास समिति के अध्यक्ष पं. बद्रीनारायण शर्मा के नेतृत्व में सैंकड़ों किसानों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ठंडी पड़ी योजना को गति देने के उद्देश्य से स्व प्रेरित होकर भूमि समर्पित करने की आगे होकर पेशकश करने के बावजूद 5 महीने तक कोई कार्रवाई नहीं होने से किसानों को समझ आ गया कि जेडीए में बिना सुविधा शुल्क कोई काम नहीं होता।
इन किसानों का कहना है कि यह स्थिति तो तब है जब इस लैंड पूलिंग पॉलिसी को लेकर जेडीए से सरकार तक तमाम अफसरों की मीटिंगें हो चुकी है। लगभग सारे अफसर इस पॉलिसी और किसानों की जमीनें समर्पित करवाने को लेकर सैद्धांतिक सहमति दे चुके हैं। जबकि आम तौर पर सरकार अथवा जेडीए को मांगने पर भी किसान भूमि देने के लिए राजी नहीं होते हैं।
रसूखदार लोग सरकार और जेडीए में सैटिंग करके जहां अपनी जमीनें अवाप्ति से छुड़वा लेते हैं। वहीं अधिकतर किसान अवाप्ति कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट में चले जाते हैं। क्योंकि सरकारी मुआवजा बाजार दर से काफी कम होता है। पृथ्वीराज नगर योजना इसका सटीक उदाहरण है। इसके अलावा रीको, हाउसिंग बोर्ड समेत ऐसी कई संस्थाएं हैं जिनकी अवाप्तशुदा जमीनों पर गृह निर्माण सहकारी समितियों ने पट्टे काटकर आवासीय योजनाएं बसा दीं। ये संस्थाएं कुछ भी नहीं कर पाईं। बल्कि राज्य सरकार के फैसले के मुताबिक जेडीए को नियमन शिविर लगाकर पट्टे देने पड़ रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर जेडीए ने फागी रोड पर भूमि समर्पित करने वाले किसानों की जमीनों को लेकर समय पर उचित निर्णय नहीं लिया तो यहां जो अवैध कॉलोनियां कट रही हैं। वे एक दिन पूरा क्षेत्र निगल जाएंगी।
लैंड पूलिंग स्कीम से जेडीए को होगा सुनियोजित योजना बनाने का फायदाः
एक्सपर्ट्स के मुताबिक लैंड पूलिंग स्कीम के तहत संभवतः यह पहला प्रस्ताव है जब फागी रोड पर करीब 15 गांवों के किसानों ने आगे होकर अपनी 12000 बीघा भूमि समर्पित करने का प्रस्ताव दिया है। अगर यहां जेडीए स्कीम बनाकर किसानों को नियमानुसार भूमि के बदले विकसित भूमि देकर संतुष्ट करता है तो आगे की योजनाओं के लिए यह सबसे बेहतर नजीर साबित होगी। इससे जेडीए को अधिक राजस्व मिलने के साथ ही सुनियोजित विकास के साथ-साथ किसानों और शहर के लोगों को भी फायदा होगा। सुविधा क्षेत्र भी स्कीम के साथ ही विकसित हो सकेगा।
सेक्टर रोड के नाम पर बदले में दिए जा रहे महंगे भूखंडः
जेडीए सूत्रों के मुताबिक जेडीए के सेक्टर 57 के तहत आने वाले 14 गांवों के किसानों की अभी तो जमीनें समर्पित भी नहीं करवाई हैं। लेकिन, जेडीए सेक्टर सड़कों के बदले रिंग रोड और जगतपुरा में महंगे भूखंड आवंटित कर रहा है। यह मामला खुल ना जाए। इसलिए किसानों की मीटिंगें बुलाकर उन्हें झांसा देने का खेल शुरू किया गया। किसानों के मुताबिक लैंड पूलिंग पॉलिसी-2020 से प्रभावित होकर 14 गांवों के लोगों ने 7 माह पहले नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल को 12000 बीघा भूमि समर्पित करने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन, तत्कालीन जेडीए आयुक्त रवि जैन और अन्य अधिकारियों ने इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
जयपुर। सरकार की भूमि एकीकरण (लैंड पूलिंग) योजना को लेकर फागी रोड के किसानों में अब उम्मीद की किरण जागी है। पिछले करीब 5 महीने से यह योजना ठंडे बस्ते में पड़ी थी। जबकि राज्य सरकार ने तत्कालीन जेडीए आयुक्त रवि जैन को फागी रोड की स्कीम बनाकर ड्राफ्ट मंजूरी के लिए सरकार को भिजवाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने इस फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। लेकिन, अब नए आयुक्त जोगाराम से किसानों को उम्मीद जगी है कि यह योजना अब साकार रूप लेगी।
उल्लेखनीय है कि सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी-2020 से आकर्षित होकर फागी रोड पर करीब 15 गांवों के सैंकड़ों किसानों ने आगे होकर सरकार को निःशुल्क भूमि समर्पित करने की पेशकश की थी। ताकि फागी रोड पर जेडीए की सुनियोजित आवासीय योजनाएं समय पर मूर्त रूप लें और इस क्षेत्र का तेजी से विकास हो सके। इसके लिए जेडीए को इस भूमि के हिसाब से अपनी आवासीय योजनाएं बनानी थी। साथ ही किसानों को समर्पित की जाने वाली भूमि के बदले कोई मुआवजा राशि भी नहीं देनी थी। बल्कि नियमानुसार विकसित जमीन ही देनी थी।
बालावाला-डिग्गी रोड भूमि एकीकरण (लैंड पूलिंग) विकास समिति के अध्यक्ष पं. बद्रीनारायण शर्मा के नेतृत्व में सैंकड़ों किसानों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ठंडी पड़ी योजना को गति देने के उद्देश्य से स्व प्रेरित होकर भूमि समर्पित करने की आगे होकर पेशकश करने के बावजूद 5 महीने तक कोई कार्रवाई नहीं होने से किसानों को समझ आ गया कि जेडीए में बिना सुविधा शुल्क कोई काम नहीं होता।
इन किसानों का कहना है कि यह स्थिति तो तब है जब इस लैंड पूलिंग पॉलिसी को लेकर जेडीए से सरकार तक तमाम अफसरों की मीटिंगें हो चुकी है। लगभग सारे अफसर इस पॉलिसी और किसानों की जमीनें समर्पित करवाने को लेकर सैद्धांतिक सहमति दे चुके हैं। जबकि आम तौर पर सरकार अथवा जेडीए को मांगने पर भी किसान भूमि देने के लिए राजी नहीं होते हैं।
रसूखदार लोग सरकार और जेडीए में सैटिंग करके जहां अपनी जमीनें अवाप्ति से छुड़वा लेते हैं। वहीं अधिकतर किसान अवाप्ति कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट में चले जाते हैं। क्योंकि सरकारी मुआवजा बाजार दर से काफी कम होता है। पृथ्वीराज नगर योजना इसका सटीक उदाहरण है। इसके अलावा रीको, हाउसिंग बोर्ड समेत ऐसी कई संस्थाएं हैं जिनकी अवाप्तशुदा जमीनों पर गृह निर्माण सहकारी समितियों ने पट्टे काटकर आवासीय योजनाएं बसा दीं। ये संस्थाएं कुछ भी नहीं कर पाईं। बल्कि राज्य सरकार के फैसले के मुताबिक जेडीए को नियमन शिविर लगाकर पट्टे देने पड़ रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर जेडीए ने फागी रोड पर भूमि समर्पित करने वाले किसानों की जमीनों को लेकर समय पर उचित निर्णय नहीं लिया तो यहां जो अवैध कॉलोनियां कट रही हैं। वे एक दिन पूरा क्षेत्र निगल जाएंगी।
लैंड पूलिंग स्कीम से जेडीए को होगा सुनियोजित योजना बनाने का फायदाः
एक्सपर्ट्स के मुताबिक लैंड पूलिंग स्कीम के तहत संभवतः यह पहला प्रस्ताव है जब फागी रोड पर करीब 15 गांवों के किसानों ने आगे होकर अपनी 12000 बीघा भूमि समर्पित करने का प्रस्ताव दिया है। अगर यहां जेडीए स्कीम बनाकर किसानों को नियमानुसार भूमि के बदले विकसित भूमि देकर संतुष्ट करता है तो आगे की योजनाओं के लिए यह सबसे बेहतर नजीर साबित होगी। इससे जेडीए को अधिक राजस्व मिलने के साथ ही सुनियोजित विकास के साथ-साथ किसानों और शहर के लोगों को भी फायदा होगा। सुविधा क्षेत्र भी स्कीम के साथ ही विकसित हो सकेगा।
सेक्टर रोड के नाम पर बदले में दिए जा रहे महंगे भूखंडः
जेडीए सूत्रों के मुताबिक जेडीए के सेक्टर 57 के तहत आने वाले 14 गांवों के किसानों की अभी तो जमीनें समर्पित भी नहीं करवाई हैं। लेकिन, जेडीए सेक्टर सड़कों के बदले रिंग रोड और जगतपुरा में महंगे भूखंड आवंटित कर रहा है। यह मामला खुल ना जाए। इसलिए किसानों की मीटिंगें बुलाकर उन्हें झांसा देने का खेल शुरू किया गया। किसानों के मुताबिक लैंड पूलिंग पॉलिसी-2020 से प्रभावित होकर 14 गांवों के लोगों ने 7 माह पहले नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल को 12000 बीघा भूमि समर्पित करने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन, तत्कालीन जेडीए आयुक्त रवि जैन और अन्य अधिकारियों ने इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
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